सुनैना जिंदल की एसबीआई क्लर्क परीक्षा पास करने की यात्रा दृढ़ संकल्प, मेहनत और अटूट समर्पण का प्रमाण है. दो वर्षों की कड़ी मेहनत और लगातार अभ्यास के बाद, उन्होंने आखिरकार बैंकिंग सेक्टर में अपनी जगह बना ली। उनकी कहानी उन असंख्य उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है जो असफलताओं का सामना करते हैं लेकिन हार नहीं मानते.
सुनैना जिंदल की सफलता की कहानी
सुनैना ने अपनी तैयारी एक स्पष्ट लक्ष्य के साथ शुरू की: एक बैंकिंग परीक्षा पास करनी है. उन्होंने आईबीपीएस पीओ परीक्षा से शुरुआत की और घंटों तक पढ़ाई व मॉक टेस्ट का अभ्यास किया। उन्होंने विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों से स्टडी मैटेरियल का उपयोग किया, जिसमें वीडियो लेक्चर, ई-बुक्स और क्विज़ शामिल थे। हालांकि, अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, वह आईबीपीएस पीओ मुख्य परीक्षा को केवल 4-5 अंकों के अंतर से पास नहीं कर सकीं। यह असफलता निराशाजनक थी, लेकिन सुनैना ने इसे असफलता नहीं बल्कि सीखने का अवसर समझा। उन्होंने अपनी गलतियों का विश्लेषण किया, अपनी कमजोरियों को पहचाना और उन्हें सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किया।
इसके बाद उनका ध्यान एसबीआई क्लर्क परीक्षा पर केंद्रित हो गया। सुनैना ने एक व्यवस्थित अध्ययन योजना बनाई, जिसमें उन्होंने अपना समय गणितीय योग्यता, तर्कशक्ति, अंग्रेजी भाषा और सामान्य जागरूकता के बीच विभाजित किया। उन्होंने पिछली परीक्षाओं के प्रश्नपत्र हल किए और मॉक टेस्ट देकर अपनी गति और सटीकता में सुधार किया। उनका मंत्र था – निरंतरता। वह रोज़ 6-7 घंटे पढ़ाई करती थीं, यहाँ तक कि अपने पार्ट-टाइम जॉब के लंबे दिनों के बाद भी।
उनकी मेहनत तब रंग लाई जब उन्होंने एसबीआई क्लर्क प्रीलिम्स परीक्षा में 87.5 अंक प्राप्त किए। मुख्य परीक्षा के लिए, उन्होंने अपनी तैयारी को और अधिक मजबूत किया, जिसमें वर्णनात्मक लेखन और उच्च स्तर के प्रश्नों पर विशेष ध्यान दिया। उनकी प्रतिबद्धता और रणनीतिक दृष्टिकोण ने उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में मदद की और अंततः उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली।
अपनी यात्रा को याद करते हुए, सुनैना दृढ़ता और आत्म-विश्वास के महत्व पर जोर देती हैं। वह उम्मीदवारों को प्रेरित रहने, असफलताओं से सीखने और अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहने की सलाह देती हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास से सफलता अवश्य प्राप्त होती है। जैसा कि अब्दुल कलाम ने कहा था, ‘सपने वे नहीं होते जो हम सोते समय देखते हैं, बल्कि सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।’ सुनैना की यात्रा इसी भावना को दर्शाती है।
सुनैना जिंदल की यह उपलब्धि केवल उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि सभी बैंकिंग उम्मीदवारों के लिए एक आशा की किरण है। उनकी यात्रा हमें यह याद दिलाती है कि असफलताएँ सफलता की सीढ़ियाँ होती हैं और यदि मेहनत और लगन हो तो सपने जरूर सच होते हैं।