Latest Hindi Banking jobs   »   बैंकिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख जोखिम...

बैंकिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख जोखिम (A brief description of major risks in banking sector) – बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़

बैंकिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख जोखिम (A brief description of major risks in banking sector) – बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़ | Latest Hindi Banking jobs_3.1

हम सभी जानते है कि लगभग सभी बैंकिंग परीक्षाओं में अधिकांश सवाल बैंकिंग अवेयरनेस यानि बैंकिंग से जुड़ी हाल ही घटनाओं से पूछे जाते है, ऐसे में उम्मीदवारों के लिए जरुरी है कि वे हाल के Important Banking Event के बारे में अपडेट रहे और परीक्षा में पूछे गए सवालों का Confident के जवाब दें. Candidates की इसी बात को समझते हुए Adda247 की टीम ने आपके लिए तैयार की है सभी बैंकिंग परीक्षाओं के लिए बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़. 




इस सीरीज़ में, हम रोज़ाना (daily basis) आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण बैंकिंग अवेयरनेस टॉपिक्स लेकर आएंगे, इसी कड़ी में आज की हमारी इस सीरीज़ का टॉपिक- बैंकिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख जोखिम (A brief description of major risks in banking sector)यदि आप किसी Goverment Bank Job में जाना चाहते है तो ये बहुत ही जरुरी हो जाता है कि आपको  बैंकिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख जोखिम के बारे में अच्छी Knowledge हो. इस आर्टिकल में आगे  बैंकिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख जोखिम के सभी महत्वपूर्ण जानकारी यानी बेसिक फैक्ट्स दिए जा रहे हैं



बैंकिंग सेक्टर से जुड़े प्रमुख जोखिम (Major Risks in the Banking sector) – बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़: 


वैसे तो बैंकिंग सेक्टर मे कई प्रकार के जोखिम होते हैं, लेकिन आज हम बात करेंगे कुछ प्रमुख प्रकार के जोखिमों के बारे में :-

1. ऋण जोखिम (Credit Risk)- बैंकिंग सेक्टर में ऋण जोखिम को सबसे बड़ा जोखिम माना जाता है। ज़ब कोई ग्राहक किसी वजह से उसके द्वारा लिया गया ऋण समय पर वापस नहीं करता और बैंकिंग प्रबंधन उस ऋण को वापस लाने में असमर्थ होता है तो इसे ऋण जोखिम कहते हैं। इसका प्रबंधन करना एक बड़ी चुनौती है। ये जोखिम दो प्रकार का होता है-

(i) प्रतिपक्ष जोखिम- इसमें काउंटरपार्टी/उधारकर्ता ऋण चुकाने से इंकार कर देता है या इसे चुकाने में असमर्थ होता है।

(ii) देश जोखिम- इसमें देश द्वारा लगाए गए अवरोधों के कारण ज़ब काउंटरपार्टी/उधारकर्ता ऋण चुकाने में असमर्थ होता है तो इसे देश जोखिम कहते हैं। इन कारणों पर उधारकर्ता का कोई नियंत्रण नहीं होता।

 

2. परिचालन जोखिम (Operational Risk)- परिचालन जोखिम किसी व्यक्ति, विफल आतंरिक प्रक्रिया, प्रणाली, या किसी बाहरी घटना के कारण होने वाले नुकसान को कहते हैं। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के कानूनी, सुरक्षा, संचार, दस्तावेज, मॉडल, सिस्टम आदि जोखिम आते हैं। इसमें 4 प्रकार के जोखिम आते हैं-

(i) लेनदेन जोखिम- इसके तहत लेनदेन में गड़बड़ी वाले जोखिम आते हैं।

(ii) अनुपालन जोखिम- यह वित्तीय हानि या प्रतिष्ठा हानि का जोखिम है जो किसी बैंक या व्यक्ति द्वारा लागू नियमों के पालन में समर्थ ना हो पाने के कारण होता है।

(iii) सामरिक जोखिम- यह उचित प्रबंधन की कमी को दर्शाता है।

(iv) प्रतिष्ठा जोखिम- यह नकारात्मक जोखिम है जो किसी बैंक की मुक़दमेबाजी, ग्राहक गिरावट या वित्तीय नुकसान को दर्शाता है। 

3. बाजार जोखिम (Market Risk)- यह जोखिम बैंक द्वारा पूंजी बाजार में की गयी गतिविधियों पर आधारित है। बाजार में असंतुलन की दशा से उत्पन्न जोखिम को बाजार जोखिम कहते हैं। जिन बैंकों ने बाजार में भारी मात्र में निवेश किया हुआ है, उन्हें इस प्रकार का जोखिम अधिक है।

इस प्रकार के जोखिम से बचने के लिए बैंकों को अपने द्वारा किये गए निवेश में अंतर या विविधता लानी चाहिए जिससे बाजार में होने वाले असंतुलन का असर बैंक पर अधिक ना पड़े।

4. तरलता जोखिम (Liquidity Risk)- इस प्रकार का जोखिम तब सामने आता है ज़ब कोई बैंक अपने ग्राहकों को रूपए देने में असमर्थ हो जाता है और ऐसा करने पर बैंक अपने ग्राहकों का विश्वास भी खो देता है जिससे भविष्य में उसके ग्राहक कम हो जाते हैं।

बैंकों के लिए तरलता बनाये रखना आवश्यक है और इसीलिए ज़ब किसी बैंक की तरलता में कमी आती है तो वो बैंक अपने कैपिटल को देकर इस जोखिम से बाहर आते हैं।

इससे  पहले कवर किये गये टॉपिक्स : 

    Leave a comment

    Your email address will not be published. Required fields are marked *