
इस समय दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है, जिससे अब तक 90 लाख से भी अधिक लोग पूरी दुनिया में संक्रमित हो चुके हैं, इसके साथ ही अब तक 4.5 लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना की वजह से जान जा चुकी है. ऐसे में दुनिया भर के शोधकर्ता Corona Vaccine बनाने का प्रयास कर रहे हैं. दुनिया भर में और हमारे देश भारत में कई दवाओं को लेकर टेस्टिंग पिछले कुछ महीनों में की गई है और अभी भी टेस्टिंग जारी रही है, कुछ की क्लिनिकल ट्रायल की परमिशन भी मिल गई है. हाल में ही एक नई दवा के निर्माण और मार्केटिंग की अनुमति औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने दी है.
Glenmark Pharmaceuticals launches Covid 19 Drug
कोविड-19 (Covid-19) से मामूली रूप से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने एंटीवायरल दवा फेविपिराविर को फैबिफ्लू ब्रांड लांच किया है. मुंबई की कंपनी Glenmark ने शुक्रवार को कहा था कि उसे Drug Controller General of India (DCGI) से इस दवा के निर्माण और मार्केटिंग की अनुमति मिल गई. favipiravir tablets देश की पहली दावा है, जिसे कोरोना के इलाज के लिए निर्माण और मार्केटिंग की अनुमति मिली है. ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स कंपनी महीनों से इस दावा पर काम कर रही थी. इस समय जब देश में तेजी से कोरोना केस बढ़ रहे हैं, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि यह दवा कोरोना संक्रमण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी करेगी. कोरोना महामारी के इस दौर में यह Corona Vaccine एक उम्मीद लेकर आई है. यह दवा चिकित्सक की सलाह पर मार्किट में 103 रुपये प्रति टैबलेट के दाम पर मिलेगी.
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इसके अलावा अन्य किन दवावों पर देश में टेस्टिंग चल रही है आप नीचे देख सकते हैं –
रेमडेसिवियर (Remdesivir)
कोरोना मरीज की रिकवरी में Remdesivir एक अहम् भूमिका निभा सकती है, जिसके तीसरे फेज के ट्रायल में भी पॉजिटिव रिजल्ट आये, जिसके बाद पूरी दुनियां की निगायें इस समय इस पर टिकी हुयी हैं. यह कोरोना की लड़ाई में अब तक की सबसे प्रभावी दवा बताई जा रही है. कैलिफोर्निया की दवा कंपनी गिलीड साइंसेज ने इस दवा का ट्रायल किया था. इस दावा से रिकवरी 5 दिनों के भीतर होने लगती है. Remdesivir की खोज इबोला के इलाज के लिए की गई थी. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह शरीर के अन्दर वायरस को क्लोन बनाने से रोक देता है.
BCG कॉन्सेप्ट
कोरोना से जूझने के लिए नए-नए ट्रायल किये जा रहे हैं, जिसमें से एक दवा BCG यानी Bacillus Calmette-Guerin है. यह टीबी(ट्यूबरक्यूलोसिस) की मेडिसिन है. महाराष्ट्र के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट (MED) के साथ मिलकर अमेरिका के हॉफकिन रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक TB की इस दावा का ट्रायल कर रहे हैं.
Gimsilumab –
कोरोना वायरस का प्रभाव, फेफड़ों में सबसे अधिक पड़ता है. इसी बात को टारगेट करते हुए अमेरिका के टेंपल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी Gimsilumab का टेस्ट कोरोना प्रभावित मरीजों पर करना शुरू कर दिया है. शुरुआत में इस दवा का नॉन-क्लिनिकल ट्रायल दो बार हो चुका है, और अभी तक के टेस्ट के अनुसार यह दवा सेफ है.
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इन दवाओं के आलावा भी दुनिया भर में विभिन्न दवाओं और तरीकों पर रिसर्च चल रही है. भारत में प्लाज्मा थेरपी का भी ट्रायल चल रहा है. ऐसे ही अमेरिका की एयरवे थेरेपॉटिक्स कंपनी AT-100 प्रोटीन नाम की दवा का परिक्षण कर रही है. तियाना लाइफ साइंसेज TZLS-501 नाम की मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बना रही है, भारत में भोपाल में माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू (MW) का परिक्षण हो रहा है. OYA1 नाम के ड्रग का टेस्ट OyaGen ने ने शुरू किया है. BPI-002 नाम के मॉलिक्यूल एजेंट पर BeyondSpring काम कर रही है. इसके साथ Hydroxychloroquine पर भी रिसर्च चल रही है.
यहाँ ध्यान देने की बात है कि favipiravir को मामूली रूप से संक्रमित लोगों के उपचार में कारगर उपाय माना जा रहा है. ऐसे में आपको अभी भी social distancing बनाए रखना चाहिए और धैर्य से काम लेना चाहिए.
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