पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव, लेकिन इतिहास सिखाता है कुछ और…
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहालगाम स्थित बैसरान घाटी में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति को और गंभीर बना दिया है। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन “रिजिस्टेंस फ्रंट” ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए। भारत ने इस हमले के बाद कई कड़े कदम उठाए—इंडस वॉटर ट्रीटी को निलंबित किया, अटारी-वाघा बॉर्डर बंद किया, और पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने 28 अप्रैल को बयान देकर कहा कि भारत से “तत्काल हमला” हो सकता है, और जवाब में उन्होंने हथियारों की तैनाती की बात कही। लेकिन इन राजनीतिक और सैन्य घटनाओं के बीच, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इसका असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा?
इतिहास बताता है, हां। लेकिन कैसे और कितना? आइए समझते हैं:
भारत-पाक टकराव से क्या सीखा जा सकता है? कारगिल से लेकर पुलवामा और अब पहलगाम तक के आर्थिक सबक
Kargil युद्ध (1999): बाजार में गिरावट, फिर तेज़ वापसी
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Sensex में गिरावट: युद्ध के शुरुआती दौर में सेंसेक्स 5% गिर गया था।
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राजकोषीय घाटा: भारत का घाटा 5.1% तक पहुंचा।
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पाकिस्तान की स्थिति: KSE-100 इंडेक्स 7% गिरा, जीडीपी ग्रोथ घटकर 4.2% रह गई।
सीख: बाजार गिरते हैं, लेकिन भारत का आर्थिक आकार उन्हें जल्दी रिकवर करने में सक्षम बनाता है।
संसद पर हमला (2001): एक और सैन्य संकट, आर्थिक झटका
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Sensex में 7% की गिरावट, FII ने $200 मिलियन निकाले।
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भारत की जीडीपी ग्रोथ 4.8% तक घट गई।
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पाकिस्तान की GDP 3.1% पर आ गई और $50 मिलियन का एयरस्पेस लॉस हुआ।
सीख: वैश्विक मंदी जैसे कारकों के साथ मिलकर टकराव आर्थिक रूप से ज्यादा नुकसानदायक साबित होता है.
मुंबई हमला (2008): आतंकवाद का सीधा असर वित्तीय केंद्र पर
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Sensex गिरा 4%, पर्यटन में $2 बिलियन का नुकसान।
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भारत की ग्रोथ 6.7% तक सीमित हो गई।
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पाकिस्तान की GDP सिर्फ 1.7% रही।
सीख: यदि युद्ध टाला जाए, तो झटका अस्थायी रहता है। भारत की अर्थव्यवस्था ज़्यादा लचीली साबित होती है।
पुलवामा–बालाकोट (2019): सीमित संघर्ष, सीमित आर्थिक असर
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Sensex में 2% गिरावट, पर साल के अंत तक 10% की तेजी।
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पाकिस्तान की ग्रोथ घटकर 0.5% रह गई, FATF दबाव बढ़ा।
सीख: भारत जैसे बड़े बाजार में झटकों का असर सीमित और अल्पकालिक होता है, जबकि पाकिस्तान की छोटी अर्थव्यवस्था लंबी रिकवरी में जाती है।
आज की स्थिति: क्या दोहराया जाएगा इतिहास?
इस बार भारत ने Indus Waters Treaty को निलंबित करके एक रणनीतिक और आर्थिक हथियार का प्रयोग किया है। एयरस्पेस, बॉर्डर, और डिप्लोमैटिक चैनल बंद होने से पाकिस्तान को सीधे तौर पर मिलियन डॉलर के नुकसान का अनुमान है।
यदि तनाव बढ़ता है:
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भारत में अस्थायी FII आउटफ्लो हो सकता है।
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पर्यटन और एविएशन सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं।
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लेकिन भारत की $3.7 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था इसे जल्दी संभाल सकती है।
वहीं पाकिस्तान, जिसकी अर्थव्यवस्था IMF बेलआउट पर निर्भर है, और जिसकी ग्रोथ पहले से धीमी है, को अधिक गहरा झटका लग सकता है।
युद्ध नहीं, आर्थिक दबाव ही सबसे बड़ा हथियार
इतिहास गवाही देता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षों का असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, लेकिन भारत की आर्थिक क्षमता और वित्तीय संस्थानों की गहराई उसे जल्दी वापसी की ताकत देती है। वहीं पाकिस्तान की सीमित अर्थव्यवस्था बार-बार अंतरराष्ट्रीय दबाव और निवेश की कमी के कारण संघर्षों से अधिक प्रभावित होती है।
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