Latest Hindi Banking jobs   »   बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़: जानिए कैसे...

बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़: जानिए कैसे दी जाती है बैंकों को रेटिंग- बैंकों की रेटिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (All important information about Ratings of Banks)

बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़: जानिए कैसे दी जाती है बैंकों को रेटिंग- बैंकों की रेटिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (All important information about Ratings of Banks) | Latest Hindi Banking jobs_3.1


All important information about Ratings of Banks: हम सभी जानते है कि लगभग सभी बैंकिंग परीक्षाओं में अधिकांश सवाल बैंकिंग अवेयरनेस यानि बैंकिंग से जुड़ी हाल ही घटनाओं से पूछे जाते है, ऐसे में उम्मीदवारों के लिए जरुरी है कि वे हाल के Important Banking Event के बारे में अपडेट रहे और परीक्षा में पूछे गए सवालों का Confident के जवाब दें. Candidates की इसी बात को समझते हुए Adda247 की टीम ने आपके लिए तैयार की है सभी बैंकिंग परीक्षाओं के लिए बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़. 




इस सीरीज़ में, हम रोज़ाना (daily basis) आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण बैंकिंग अवेयरनेस टॉपिक्स लेकर आएंगे, इसी कड़ी में आज की हमारी इस सीरीज़ का टॉपिक- बैंकों की रेटिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (All important information about Ratings of Banks)यदि आप किसी Goverment Bank Job में जाना चाहते है तो ये बहुत ही जरुरी हो जाता है कि आपको बैंकों को रेटिंग देने के बारे में अच्छी Knowledge हो. इस आर्टिकल में आगे कैसे दी जाती है बैंकों को रेटिंग से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी यानी बेसिक फैक्ट्स दिए जा रहे हैं



बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़: जानिए कैसे दी जाती है बैंकों को रेटिंग- बैंकों की रेटिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (All important information about Ratings of Banks)

बैंकों की रेटिंग क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा निर्धारित की जाती है। यह बैंकों के लिए वित्तीय स्वास्थ्य का माप है और जो बैंकिंग उद्योग से संबंधित सभी कार्यों को करने के लिए इसकी क्षमता को भी दर्शाता है। विश्व की कुछ जानी-मानी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (S&P), मूडीज़, फिच हैं, जो व्यक्तिगत और निगमों को क्रेडिट रेटिंग देती हैं, और फ़ेडरल डिपॉज़िट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (FDIC) बैंकों और वित्तीय संस्थानों को क्रेडिट रेटिंग देती है।

आम तौर पर बैंकों को रेटिंग 1 से 5 के स्केल के बीच रेटिंग दी जाती है, जिसमें 1 को सबसे अच्छा और 5 को सबसे खराब माना जाता है। बैंक रेटिंग को CAMELS रेटिंग प्रणाली का उपयोग करके मापा जाता है, जिसे रेटिंग प्रणाली के लिए वैश्विक रूप से मान्यता प्राप्त है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों के वित्तीय कारकों को छह कारकों के आधार पर मापता है। नीचे CAMELS रेटिंग सिस्टम के छह घटक दिए गए हैं:-

CAMELS full form: C for Capital Adequacy, A for Asset Quality, M for Management, E for Earnings, L for Liquidity, and S for Sensitivity

1.) पूंजी पर्याप्तता (Capital Adequacy):- पूंजी पर्याप्तता का आंकलन नियामक अथॉरिटीज द्वारा निर्धारित न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं (minimum capital requirements) के संबंध में बैंकों और वित्तीय संस्थानों के नकदी भंडार के आधार पर किया जाता हैं। बैंकों और वित्तीय संस्थानों को नियामकों द्वारा निर्धारित पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखकर पूंजी पर्याप्तता पर हाई रेटिंग मिल सकती है। बैंकों और संस्थान को नियामक एजेंसियों द्वारा निर्धारित अन्य आवश्यकताओं को भी पूरा करना पड़ता है, जिसमें दिशानिर्देश और ब्याज और लाभांश से संबंधित नियामक नीतियां शामिल हैं। इसे 25% भार (weightage) दिया गया हैl

2.) परि‍संपत्ति गुणवत्ता (Asset Quality):- यह क्रेडिट और बाजार जोखिम दोनों के आधार पर बैंक की क्रेडिट और अन्य परिसंपत्तियों की गुणवत्ता को मापता है। यह पूंजीगत कमाई जनरेशन से संबंधित संभावित जोखिम कारकों की पहचान करता हैं। ऋण लेने वालों की ऋण की गुणवत्ता और ऋण जोखिम का आकलन क्रेडिट जोखिम को मापने के लिए किया जाता है। परिसंपत्तियों में एक बैंक की सभी संपत्तियों को गिना जाता है जैसे वर्तमान लोन, निवेश, जमीन और बैलेंस शीट के अलावा अन्य तरह के लेनदेन आदि l इसे 20% भार (weightage) दिया गया हैl

3.) प्रबंधन (Management):- प्रबंधन का आंकलन बैंकों के संचालन की प्रबंधन की क्षमता को चेक करके और उन्हें व्यवस्थित तरीके से करने के आधार पर किया जाता है। प्रबंधन की माप में जोखिम कारकों की गणना करके बाजार की अस्थिरता को अनुकूलित करने और अपने निवेश को प्रबंधित करने की प्रबंधन की क्षमता महत्वपूर्ण है। इसमें यह सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधन नीतियों की आंतरिक समीक्षा शामिल है कि वे नियामक दिशानिर्देशों का पालन करें। इसे 25% भार (weightage) दिया गया है।

4.) कमाई (Earnings):- इसमें जिन गतिविधियों के द्वारा बैंक लाभ कमाता है, को शामिल किया जाता है। यदि कोई बैंक कम रुपये निवेश कर ज्यादा लाभ कमाता है तो उसको लाभ कमाने वाला बैंक माना जाता है। बैंक की भविष्य की व्यवहार्यता और उसकी संभावनाएँ बढ़ती आय और जमा के प्रमुख निर्धारण पर निर्भर करती हैं। अधिकांश समय नियामक जमा में बैंक की वृद्धि, बैलेंस शीट स्थिरता, क्रेडिट की गुणवत्ता और ब्याज दर के प्रसार का आकलन करके आय की गुणवत्ता को मापते हैं। इसे 10% भार (weightage) दिया गया हैl

5.) तरलता(Liquidity):- परिसंपत्तियों को नकद में बदलने की बैंक की क्षमता को ‘तरलता’ कहा जाता है, इसमें बैंक की अल्पकालिक दायित्वों को पूरा करने की क्षमता को मापता है जिसमें जमा निकासी भी शामिल है। यह तरल संपत्ति की राशि और गुणवत्ता का मूल्यांकन करके मूल्यांकन किया जाता है जो संस्था के अल्पकालिक दायित्वों से संबंधित हैं। उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्ति को सामान्य रूप से मूल्यांकन के लिए माना जाता है। इसे 10% भार (weightage) दिया गया है।

6.) Sensitivity (संवेदनशीलता):- यह बैंक या वित्तीय संस्थान की आय की संवेदनशीलता को मापता है। नियामकों का उपयोग संस्था के एक्सपोज़र की संवेदनशील जानकारी और विशिष्ट उद्योगों के बीच इसके वितरण को समझने के लिए किया जाता है। इस जानकारी का उपयोग यह आकलन करने के लिए भी किया जाता है कि उधार देने वाली पूंजी उन उद्योगों को कैसे निर्दिष्ट करती है जो बैंक की आय और ऋण जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें बैंक की इस योग्यता को मापा जाता है कि बैंक बदलती बाजार की स्थितियों की दशा में किस प्रकार की नीति अपनाता है, साथ ही कितनी सटीकता से इस बात का अनुमान लगता है कि ब्याज दर में परिवर्तन, विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन बैंक के लाभ या हानि को कैसे प्रभावित करता हैl इसे 10% भार (weightage) दिया गया है।

संवेदनशीलता को मापने के लिए विदेशी मुद्रा, वस्तुओं, इक्विटी और व्युत्पन्न बाजारों में अस्थिरता के संपर्क के आधार पर आय संवेदनशीलता पर भी विचार किया जाता है।

इससे  पहले कवर किये गये टॉपिक्स : 

      बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़: जानिए कैसे दी जाती है बैंकों को रेटिंग- बैंकों की रेटिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (All important information about Ratings of Banks) | Latest Hindi Banking jobs_4.1