International Labour Day 2021: अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस को हर साल दुनियाभर में 1 मई को मनाया जाता है। इसे मजदूर दिवस, श्रम दिवस तथा मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
इतिहास
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरूआत 1 मई, 1886 को अमेरिका से हुई थी जब वहाँ की मजदूर यूनियन ने काम के समय को 8 घंटे पर रखने के लिए हड़ताल और प्रदर्शन किया था। उस दौरान हुई एक घटना जिसके नाम हेमार्केट बम धमाका था (शिकागो में), जिसके उपरान्त पुलिस ने गोलियाँ चला दीं और वहाँ मौजूद 7 मजदूरों की मौत हो गई तथा अन्य घायल हो गए। बम धमाका किसने किया ये कभी पता न चल सका।
भारत में 1 मई, 1923 को भारती मजदूर किसान पार्टी के नेता कॉमरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने मद्रास हाईकोर्ट के सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया जिसका मुख्य उद्देश्य मजदूरों को समान हक़ और सम्मान दिलाना है। तभी से भारत तथा अन्य देशों में इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मई दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
उद्देश्य
- समस्त देशों के उद्योगों और दिहाड़ी रूप से काम करने वाले मजदूरों तथा कामगारों को सम्मान दिलाना तथा उन्हें किसी भी प्रकार के शोषण से बचाना इस दिवस को मनाए जाने के पीछे प्रमुख उद्देश्य है।
- महात्मा गांधी के शब्दों में – किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है।
श्रमिकों के लिए सरकारी योजनाएँ
लॉकडाउन को सबसे बुरा असर श्रमिक वर्ग पर ही पड़ा है। काम बंद हो जाने की वजह से उनकी बेसिक जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें तथा कई एन.जी.ओ. भी इस वर्ग की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में हम सबको अपने आस-पास मौजूद श्रमिक वर्ग जैसे घर में काम करने वाली बाई, रोड साफ करने वाले कर्मचारी, घरों से कूड़ा ले जाने वाले सफाई कर्मचारी आदि का ध्यान रखना चाहिए और उनकी हरसंभव मदद करनी चाहिए। केन्द्र सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए शुरू की गई योजनाएँ-
- प्रधानमंत्री
गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत भारत सरकार राशन कार्डधारकों को मई तथा जून
महीने में 5 किलो अतिरिक्त अनाज देगी। इस योजना से लगभग 80 करोड़ लोगों को
लाभ मिलेगा। - लॉकडाउन के बाद, श्रम तथा रोजगार मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश में राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को भवन निर्माण श्रमिकों को श्रमिक उपकर निधि के माध्यम से वित्तीय सहायता देने के लिए कहा था। अब तक लगभग दो करोड़ प्रवासी श्रमिकों को इस निधि के माध्यम से 5000 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में पहुँचाया जा चुका है।
- कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन के बाद, 1.7 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय योजना शुरू की गई है जिसके माध्यम से 80 करोड़ लोगों को 5 किलोग्राम गेहूँ, 5 किलोग्राम चावल और 1-1 किलो ग्राम दालें नवंबर 2020 तक उपलब्ध कराया गया था।
- मनरेगा के अन्तर्गत प्रतिदिन की मजदूरी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये तक किया गया।
- स्वनिधि योजना के तहत 50 लाख स्ट्रीट वंडरों को उनके व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए एक वर्ष के लिए 10000 रुपये तक की निःशुल्क कार्यशील पूंजा प्रदान की गई।


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