प्रिय पाठको!!
IBPS RRB की अधिसूचना जल्दी ही जारी होने वाली है. ऐसे में आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए हम आपके लिए हिंदी की प्रश्नोतरी लाये है. आपनी तैयारी को तेज करते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये…
निर्देश (1-5) : नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए. कुछ
शब्द मोटे अक्षरों में मुद्रित किये गये हैं, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी. दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए.
शब्द मोटे अक्षरों में मुद्रित किये गये हैं, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी. दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए.
भगवान बुद्ध ने आनंद से कहा था कि मेरा चलाया हुआ धर्म केवल पाँच सौ वर्ष चलेगा. वह भविष्यवाणी, अक्षरशः तो पूरी नहीं हुई, किन्तु, तत्त्वतः, पूरी हो गयी; क्योंकि भगवान के पाँच सौ वर्ष बाद जब बौद्ध धर्म के भीतर से महायान–सम्प्रदाय का विकास हुआ, तब यह सम्प्रदाय बौद्ध कम, हिन्दू अधिक हो गया. बुद्ध ईश्वर के विषय में मौन रहे थे, महायान–सम्प्रदाय ने बौद्ध धर्म के भीतर देवी–देवताओं की पूजा की मनाही की थी, महायान–सम्प्रदाय ने बौद्ध धर्म के भीतर देवी–देवताओं की पूरी सेना खड़ी कर दी. बुद्ध के उपदेश तत्कालीन लोक–भाषा में दिए गये थे, महायान के चिन्तकों ने अपना सारा साहित्य संस्कृत में लिखना आरम्भ किया. बुद्ध का कहना था कि मोक्ष के अधिकारी केवल संन्यासी हो सकते हैं, महायान ने मोक्ष की आशा उनके सामने भी रख दी जो संन्यासी नहीं, गृहस्थ थे.
संन्यास का मार्ग कभी भी समग्र मानवता का मार्ग नहीं हो सकता. बौद्ध संन्यासियों का भी लोग आदर तो करते थे, मगर, सारी जनता संन्यास नहीं ले सकती थी, बल्कि, जनता के भीतर एक आलोचना चलती थी कि यह भी कैसा धर्म है, जिसमें गृहस्थों के लिए मुक्ति की व्यवस्था ही नहीं है. इसलिए मुक्ति की आशा जब गृहस्थों के लिए भी विहित बतायी जाने लगी, तब बौद्ध मत का महायान नाम सार्थक हो गया–महायान यानी बड़ी नौका, जिस पर सभी लोग बैठकर भव–सागर के पार जा सकते हैं; और हीनयान यानी छोटी नौका, जिस पर वे ही चढ़ सकते हैं, जिन्होंने संन्यास ग्रहण कर लिया है.
प्रत्येक निराकारी मत साकारवाद की ओर बढ़ता है. प्रत्येक प्रकार के वैराग्य की अधिकता उसे भोगवाद की ओर ले जाती है. इसी प्रक्रिया से बौद्ध मत का रूप वही रहा, जो उनके मौलिक उपदेशों से बना था. बुद्ध के देहान्त के बाद बौद्ध धर्म के भीतर से नयी–नयी शाखाएँ फूटने लगीं. कहते हैं, भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद ही बौद्ध धर्म दो निकायों में विभक्त हो गया था. स्थविरवाद के पक्षपाती वे भिक्षु हुए जो बुद्ध के मौलिक उपदेशों में विश्वास करते थे. जिनका स्थविरवादियों से मतभेद हुआ, उन्होंने अपना संघ अलग बना लिया और उसे वे महासंघ कहने लगे. ज्यों–ज्यों समय बीतता गया, निकायों की संख्या में भी वृद्धि होती गयी और बौद्धों के विश्वास और मान्यता में विविधताएँ उत्पन्न होती रही. सम्राट् अशोक के समय बौद्ध धर्म की जब तीसरी संगति हुई, उस समय बौद्ध मत के भीतर कुल अठारह निकाय थे. उन दिनों स्थविरवादी तो बुद्ध को मनुष्य ही मानते थे, लेकिन, कई अन्य निकाय उन्हें लोकोत्तर समझने लगे थे, वे यह विश्वास करने लगे थे कि बुद्ध अलौकिक, दिव्य शक्तियों से युक्त अदृश्य देवता हैं, जिनका न तो कभी जन्म होता है न मरण. कुछ निकाय ऐसे भी थे जो भिक्षुओं पर लादी गयी कृच्छ् साधनाओं से ऊबे हुए थे. जब आचार के धरातल पर वे भिक्षुओं की साधनाओं को भी सुगम बनाने की बात सोचने लगे, जिसका उद्देश्य यह बताना था कि नर– नारी समागम भी, किसी–किसी अवस्था में, भिक्षुओं के लिए क्षम्य माना जा सकता है. बुद्ध मनुष्य रहते तो उनके आचार सभी भिक्षुओं के लिए अनुकरणीय होते. जब बुद्ध लोकोत्तर बना दिये गये, तब भिक्षुओं ने उनके आचरण को अनुकरणीय समझना छोड़ दिया, क्योंकि लौकिक मनुष्य लोकोत्तर चरित्र का अनुकरण अशक्य मानता है.
Q1. भगवानबुद्ध ने अपने द्वारा चलाए गए धर्म की समय–सीमा कितने वर्ष मानी थी?
(a) तीन सौ वर्ष
(b) तीन हजार वर्ष
(c) पांच सौ वर्ष
(d) पांच हजार वर्ष
(e) छः हजार वर्ष
Q2. बौद्ध धर्म को हिन्दु धर्म की ओर किस सम्प्रदाय ने मोड़ा?
(a) सहजयान सम्प्रदाय
(b) महायान सम्प्रदाय
(c) नाथ सम्प्रदाय
(d) सिद्ध सम्प्रदाय
(e) शाक्त सम्प्रदाय
Q3. बौद्ध धर्म के किस सम्प्रदाय ने महात्मा बुद्ध को ईश्वर बना दिया?
(a) महायान सम्प्रदाय
(b) हीनयान सम्प्रदाय
(c) सहजयान सम्प्रदाय
(d) नाथ सम्प्रदाय
(e) इनमें से कोई नहीं
Q4. बुद्ध के उपदेश किस भाषा में थे?
(a) संस्कृत में
(b) अपभ्रंश में
(c) प्राकृत में
(d) हिन्दी में
(e) तत्कालीन लोक भाषा में
Q5. प्रत्येक निराकारी मत ………..
की ओर बढ़ता है?
की ओर बढ़ता है?
(a) निर्गुणवाद
(b) ब्राह्मणवाद
(c) साकारवाद
(d) भौतिकवाद
(e) स्वतन्त्रवाद
Q6. बुद्ध के अनुसार मोक्ष का अधिकारी कौन हो सकता है?
(a) केवल पुरूष
(b) केवल स्त्री
(c) केवल गृहस्थ
(d) केवल संन्यासी
(e) केचल देवी–देवता
Q7. स्थविरवादी किसके पक्षपाती थे?
(a) बुद्ध के मौलिक उपदेशों के
(b) बुद्ध के संशोधित उपदेशां के
(c) सनातन धर्म के उपदेशों के
(d) (a) और (c) के
(e) इनमें से कोई नहीं
Q8. सम्राट अशोक के समय में बौद्ध धर्म की किस संगति का आयोजन किया गया था?
(a) पहली
(b) दूसरी
(c) तीसरी
(d) चौथी
(e) पाँचवीं
Q9. बुद्ध के संबंध में क्या सत्य है?
(a) बुद्ध ईश्वर के विषय में मौन रहे थे
(b) बुद्ध का कहना था कि मोक्ष के अधिकारी केवल संन्यासी हो सकते हैं
(c) बुद्ध ने अपने उपदेश तत्कालीन लोक–भाषा में दिए थे
(d) बुद्ध ने देवी–देवताओं की पूजा का समर्थन नहीं किया था
(e) उपर्युक्त सभी सत्य हैं
Q10. सम्राट अशोक के शासनकाल में आयोजित बौद्ध संगति के समय बौद्ध मत के भीतर कुल कितने निकाय थे?
(a) दो
(b) नौ
(c) पन्द्रह
(d) अठारह
(e) बाइस
निर्देश (11-15) : निम्नलिखित प्रश्नों में गद्यांश में प्रयुक्त शब्द मोटे रूप दिए गए है. जिस विकल्प में समानार्थी शब्द नहीं है, वही आपका उत्तर है.
Q11. मोक्ष
(a) मुक्त
(b) स्वतन्त्र
(c) बन्धनहीन
(d) सारहीन
(e) उन्मुक्त
Q12. देवता
(a) सुर
(b) विवुध
(c) त्रिदश
(d) निर्जर
(e) विभूति
निर्देश (13-15) : निम्नलिखित प्रश्नों में गद्यांश में प्रयुक्त शब्द मोटे रूप में दिए गए है. और उसके समक्ष विकल्प में पाँच शब्द दिए गए हैं. इनमें से विपरीतार्थी शब्द का चयन कीजिए.
Q13. लौकिक
(a) अविज्ञात
(b) अविपुल
(c) अलौकिक
(d) अविपर्यय
(e) अविश्रांत
Q14. वैराग्य
(a) संन्यास
(b) ग्रहस्थ
(c) सांसारिक
(d) तरकुला
(e) नीमावत
Q15. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द अशक्य से क्या अभिप्राय नहीं है?
(a) असाध्य
(b) असमर्थ
(c) असम्भव
(d) जो वश में न किया जा सके
(e) इनमें से कोई नहीं
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