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Banking Ombudsman & Banking Ombudsman Scheme: बैंकिंग लोकपाल क्या है, जानें ‘बैंकिंग लोकपाल योजना’ सहित नियुक्ति, कार्यकाल और शिकायतों के प्रकार के बारे में

Banking Ombudsman & Banking Ombudsman Scheme: बैंकिंग लोकपाल क्या है, जानें 'बैंकिंग लोकपाल योजना' सहित नियुक्ति, कार्यकाल और शिकायतों के प्रकार के बारे में | Latest Hindi Banking jobs_3.1


Banking Ombudsman in Hindi: हमें बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) शब्द अक्सर सुनने को मिलता है और JAIIB/CAIIB परीक्षा में बैंकिंग लोकपाल के बारे में कई प्रश्न पूछे जाते हैं। बैंकिंग जगत में बैंकिंग लोकपाल एक बहुत ही महत्वपूर्ण शब्दावली (Terminology) है और प्रत्येक उम्मीदवार को इस शब्द के बारे में पता होना चाहिए। बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) आरबीआई द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी होते हैं जो  बैंकिंग सेवाओं के संबंध में किसी प्रकार की कोई समस्या होने पर ग्राहकों की शिकायतों को सुनता है। इस लेख में हमने बैंकिंग लोकपाल, बैंकिंग लोकपाल योजना, उनकी नियुक्ति, कार्यकाल और बैंकिंग लोकपाल द्वारा संभाली जाने वाली शिकायतों के प्रकार के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है।

बैंकिंग लोकपाल कौन है? (Who is a Banking Ombudsman?)

बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 (Banking Ombudsman Scheme) में भारतीय बैंकों के ग्राहकों की शिकायतों एवं समस्याओं को सुलझाने के लिए शुरू की गई एक योजना थी। इसके अंतर्गत एक बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति की जाती है जो कि अर्ध न्यायिक पदाधिकारी (Quasi Judicial Authority) होता है। बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) के द्वारा की जाती है।

बैंकिंग लोकपाल का कार्य बैंक व उपभोक्ता के बीच में सामंजस्य बिठाकर समस्याओं का समाधान करना है। बैंकिंग लोकपाल की शुरुआत 1995 में की गई थी, लेकिन साल 2000 में इसे संशोधित किया गया और उसके बाद साल 2006 में इसे पुनः संशोधित करके नए तरीके से लागू किया गया।

बैंकिंग लोकपाल का कार्यालय 22 स्थानों (राज्य की राजधानियों में) पर स्थित है।

जबकि लोकपाल एक अधिकारी होता है, जिसे आमतौर पर सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है, जो व्यवसायों, वित्तीय संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सरकारी विभागों या अन्य सार्वजनिक संस्थानों के खिलाफ शिकायतों (आमतौर पर निजी नागरिकों द्वारा दर्ज) की जांच करता है, और या तो मध्यस्थता या सिफारिशें करके उठाए गए संघर्षों या चिंताओं को हल करने का प्रयास करता है, या तो मध्यस्थता या सिफारिशें करके।

बैंकिंग लोकपाल योजना क्या है? (What is Banking Ombudsman Scheme?)

बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए बैंक ग्राहक को एक त्वरित और सस्ता फॉर्म, बैंकिंग लोकपाल योजना (Banking Ombudsman Scheme) के रूप में जाना जाता है। बैंकिंग लोकपाल योजना को बीआर अधिनियम 1949 (BR Act 1949) की धारा 35 के तहत तैयार किया गया है। बैंकिंग लोकपाल योजना साल 1995 में शुरू की गई थी और बाद में इसे 2006 और 2009 में संशोधित किया गया है।

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (Scheduled Commercial Banks), आरआरबी और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक (Scheduled Primary Co-operative Banks) बैंकिंग लोकपाल योजना के अंतर्गत आते हैं। एक ग्राहक, किसी बैंक के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज़ कर सकता है, यदि बैंक उधारदाताओं के लिए उचित व्यवहार कोड (Fair Practice Code) या बीसीएसबीआई (Banking Codes and Standards Board of India – BCSBI) द्वारा ज़ारी ग्राहक के प्रति बैंक की प्रतिबद्धता के कोड  का पालन नहीं करता है या उकसाता है।

बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति और कार्यकाल (Appointment and tenure of Banking Ombudsman)

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), एक या एक से अधिक अधिकारियों को मुख्य महाप्रबंधक (Chief General Manager) या महाप्रबंधक (General Manager) के पद पर नियुक्त करता है और इन्हें ही बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) के रूप में जाना जाता है। एक बार में बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति 3 वर्ष के लिए की जाती है, और उनके कार्यकाल एक बार में 3 वर्ष की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। हर साल 30 जून को बैंकिंग लोकपाल, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को एक रिपोर्ट भेजता है।

बैंकिंग लोकपाल द्वारा नियंत्रित शिकायतों के प्रकार (Types of Complaints handled by the Banking Ombudsman)

बैंकिंग लोकपाल द्वारा नियंत्रित की जाने वाली शिकायतों के प्रकार नीचे सूचीबद्ध हैं:

1. अदायगी न होना या चेकों, ड्रापूटों, बिलों आदि की वसूली अथवा भुगतान में असाधारण बिलम्‍ब,

2. किसी भी प्रयोजन हेतु अदायगी के लिए प्रदत कम मूल्‍य वर्ग के नोटों का बिना पर्याप्‍त कारण के स्‍वीकार नहीं किया जाना तथा सम्‍बन्‍ध में किसी भी तरह का कमीशन वसूल करना,

3. सिक्‍कों को बिना किसी पर्याप्‍त कराण के स्‍वीकार ने करना तथा उसके संबंध में कमीशन लेना,

4. आवक परेषणों के भुगतान में विलंब अथवा भुगतान न करना,

5. ड्राफ्ट, भुगतान आदेश अथवा बैंकर्स चेक जारी करने में विलम्‍ब अथवा जारी न करना,

6. कामकाज के निर्धारित समय का पालन न किया जाना,

7. बैंक अथवा उसके सीधे बिक्री एजेंटों द्वारा लिखित रूप में वचन दी गई बैंकिंग सुविधाएँ (ऋणों और अग्रिमों के अतिरिक्‍त) प्रदान करने में विलम्‍ब ने कराना,

8. बैंक द्वारा अनु‍रक्षित बचत, चालू या अन्‍य खाते में जमाराशियों पर लागू ब्‍याज दर संबंध में रिज़र्व बैंक के निर्देश, यदि कोई हों, का पालन न करना, जमाराशियों का भुगतान न करना, पार्टियों के खातों मे आय जमा न करना विल्‍म्‍ब करना,

9. निर्यातकों के लिए निर्यात प्राप्तियॉं मिलने, निर्यात बिलों पर कारवाई, बिलों की वसूली आदि में विलंब बशर्ते कि ऐसी शिकायतें बैंक के भारत में परिचालन से संबंधित हों-

10. इनकार करने के लिए किसी वैध कारण के बिना जमा खाता खोलने हेतु इनकार,

11. ग्राहक को पर्याप्‍त पूर्व सूचना दिए बिना प्रभार लगाना,

12. एटीएम / डेबिट कार्ड परिचालन या क्रेडिट कार्ड परिचालन पर रिज़र्व बैंक के अनुदेशों का बैंक अथवा उनके अनुषंगियों द्वारा अनुपालन न होना,

13. पेंशन संवितरण में विलंब अथवा संवितरण न करना (कुछ हद तक इस शिकायत हेतु संबंधित बैंक द्वारा की गई कारवाई के लिए बैंक को उतरदायी ठहरा सकते हैं लेकिन उनके कर्मचारियों के मामले में नहीं),

14. रिज़र्व बैंक/ सरकार द्वारा की गई अपेक्षा के अनुसार करों के प्रति भुगतान स्‍वीकार करने में विलंब अथवा इन्‍कार करना,

15. सरकारी प्रतिभतियाँ जारी करने से इनकार अथवा विलंब, या सेवा प्रदान करने में असमर्थता अथवा सेवा प्रदान करने या शोधन में विलंब,

16. बिना पर्याप्‍त सूचना अथवा बिना पर्याप्‍त कारण के जमा लेखों को जबरन बंद करना,

17. लेखे बंद करने से इनकार या बंद करने में विलंब,

18. बैंक द्वारा अपनाई गई बेहतर व्‍यवहार संहिता का अनुपालन न करना, तथा

19. बैंकिंग अथवा अन्‍य सेवओं के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के उल्‍लंघन से संबंधित अन्‍य कोई मामला,

20. इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं में कमी

21. बैकों द्वारा यथा अंगीकृत ऋणदाताओं के लिए निष्‍पक्ष व्‍यवाहर संहिता अथवा ग्राहकों के लिए बैंकों की प्रतिबद्धता की संहिता के प्रावधानों का पालन नहीं किया जाना

22. बैंकों द्वारा वसूली एजंटों की सेवाएँ लेने पर विनियामक दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जाना

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FAQs: Banking Ombudsman

Q.1 Who is a Banking Ombudsman?

Ans. Banking Ombudsman is a senior official appointed by the Reserve Bank of India(RBI) to rectify the complaints of the customer against the inadequacy of certain banking services.

Q.2 What do you know by Banking Ombudsman Scheme?

Ans. An expeditious and inexpensive form to bank customer for resolution of complaints related to the services provided by the banks is known as Banking Ombudsman Scheme.

Q.3 Which all banks are covered under the Banking Ombudsman Scheme?

Ans. All scheduled commercial banks, RRBs, and Scheduled Primary Co-operative Banks are covered under the Banking Ombudsman Scheme.

Q.4 What are the types of complaints handled by a Banking Ombudsman?

Ans. The types of complaints handled by a Banking Ombudsman is discussed above in the article.

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