Major Treaties and Agreements Between India and Pakistan : भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध हमेशा से ही विश्व राजनीति का केंद्र रहे हैं. विभाजन के बाद से दोनों देशों के बीच कई युद्ध हुए, लेकिन इसके साथ ही समय-समय पर शांति स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण संधियाँ और समझौते भी हुए हैं. आइए जानते हैं भारत-पाकिस्तान के बीच हुई प्रमुख संधियों और समझौतों के बारे में
भारत और पाकिस्तान के बीच प्रमुख संधियाँ एवं समझौते
1. इंडस जल संधि (Indus Water Treaty) – 1960
- तारीख: 19 सितंबर 1960
- हस्ताक्षरकर्ता: भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान (विश्व बैंक की मध्यस्थता से)
- मुख्य बिंदु:
- भारत को पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) का पूरा अधिकार मिला।
- पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकांश जल मिला।
- दोनों देशों ने जल बंटवारे के लिए तकनीकी सहयोग, जल प्रबंधन और विवाद समाधान के लिए एक स्थायी आयोग (Permanent Indus Commission) बनाया।
- आज तक यह संधि लागू है और युद्धों के बावजूद बनी रही है।
2. ताशकंद समझौता (Tashkent Agreement) – 1966
- तारीख: 10 जनवरी 1966
- हस्ताक्षरकर्ता: भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान (सोवियत संघ के मध्यस्थता से)
- मुख्य बिंदु:
- 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों देशों ने युद्ध विराम पर सहमति दी।
- दोनों पक्ष अपनी सेनाएं युद्ध से पहले की स्थिति पर वापस लाने को राजी हुए।
- राजनयिक संबंध बहाल करने का निर्णय लिया गया।
- तारीख: 2 जुलाई 1972
- हस्ताक्षरकर्ता: भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो
- मुख्य बिंदु:
- 1971 के युद्ध के बाद दोनों देशों ने यह समझौता किया।
- कश्मीर विवाद सहित सभी मुद्दों को आपसी बातचीत से सुलझाने पर सहमति बनी।
- युद्धबंदियों की वापसी और युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों से सेनाओं को हटाने का प्रावधान।
- दोनों देशों ने आपसी संबंधों को सामान्य बनाने का संकल्प लिया।
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4. लाहौर घोषणा (Lahore Declaration) – 1999
- तारीख: 21 फरवरी 1999
- हस्ताक्षरकर्ता: भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ
- मुख्य बिंदु:
- दोनों देशों ने परमाणु हथियारों के परीक्षणों से बचने और आपसी भरोसा बढ़ाने की बात की।
- शांति और संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
- कारगिल युद्ध कुछ महीनों बाद हुआ, जिससे इस प्रक्रिया को झटका लगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते जटिल रहे हैं, लेकिन हर संघर्ष के बाद शांति की कोशिशें भी लगातार होती रही हैं। इन संधियों और समझौतों ने न सिर्फ दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का कार्य किया, बल्कि दक्षिण एशिया में स्थिरता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
क्या भविष्य में और भी शांति समझौते संभव हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि द्विपक्षीय संवाद और आपसी विश्वास बढ़ाने से ही स्थायी शांति का रास्ता बन सकता है।
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