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IBPS RRB PO/Clerk | हिंदी भाषा प्रश्नावली 5 सितम्बर 2019

IBPS RRB PO/Clerk | हिंदी भाषा प्रश्नावली 5 सितम्बर 2019 | Latest Hindi Banking jobs_3.1

आप सभी जानते हैं कि आईबीपीएस आरआरबी  परीक्षा 2019 की मेंस परीक्षा की तैयारी कर रहे होंगे. परीक्षा के पाठ्यक्रम के आधार पर आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए ADDA247 आपके लिए हिंदी की प्रश्नोतरी लेकर आया है. यह प्रश्नावली मुख्य परीक्षा की तैयारी को और मजबूत करने के लिए अब से दैनिक स्तर पर आयोजित की जा रही है. सभी जानते हैं कि बैंकिंग परिक्षाओं में केवल आरआरबी ही एकमात्र ऐसी परीक्षा है, जो आपको अपनी भाषा का चयन का विकल्प देता है जिसमें आप अंग्रेजी के स्थान  पर हिंदी भाषा चुन सकते हैं. यह हिंदी भाषा क्षेत्र के उम्मीदवारों के लिए सफलता पाने का एक सुनहरा मौक़ा है, क्योंकि हम अपनी भाषा में अधिक से अधिक अंक स्कोर करने में सक्षम होते हैं. यदि आपका लक्ष्य इस वर्ष आईबीपीएस आरआरबी में सफलता पाना है, तो अभी से मेंस की तैयारी में जुट जाएँ. अपनी तैयारी को और बेहतर बनाते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये. आज की इस हिंदी भाषा प्रश्नावली 05 सितम्बर 2019 में हम आपको   गद्यांश में रिक्त स्थानों की पूर्ति पर आधारित प्रश्नों को उपलब्ध करा रहे हैं.   



Directions (1-15) नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।            
आज का युग विज्ञान का युग है। जीवन के हर क्षेत्र में विज्ञान और उस पर आधारित तकनीक का बोलबाला है। हम तकनीक पर इतने ज्यादा निर्भर हैं कि अब उसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं रही। तकनीक के इस प्रयोग ने हमारे जीवन को काफी सुविधाजनक बना दिया है। चाहे घर का काम हो, यातायात के साधन हो या औद्योगिक उत्पादन हो, सब कुछ आधुनिक तकनीक के सहारे पहले से बेहतर और तेज गति से हो रहा है। जीवन को सुखी और सुरक्षित बनाने के लिए एक से बढ़कर एक आविष्कार हो रहे हैं। इसका मानव समाज को बहुत लाभ हो रहा है। इस बात में कोई शक नहीं है कि तकनीक हमारे जीवन का आवश्यक अंग बन गई है और इससे हमें बहुत लाभ भी हुआ है। किंतु आधुनिक तकनीक की इस चकाचौंध में मानवीय संवेदनाएँ जिस तरह मजाक बन कर रह गई है, उस तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान गया है। लोगों के पास अब एक दूसरे के लिए समय ही नहीं रहा। लोग या तो काम में व्यस्त रहते हैं या आधुनिक उपकरणों में लगे रहते हैं। मोबाइल-कंप्यूटर-इंटरनेट इनसे लोगों को फुर्सत ही नहीं मिलती। पहले बच्चे घर से निकलने और खेलने का बहाना खोजते थे। किसी तरह मौका मिला नहीं कि मैदान की तरफ भागे। छुट्टियों के दिन मैदानों पर पैर रखने को जगह नहीं मिला करती थी। बच्चों का हुजूम नजर आता था। मैदान में भी बच्चे अपने खेलने की जगह बाँट लेते थे कि किसकी टीम कहाँ खेलेगी। यदि कोई और उस जगह पर खेलने आ जाए तो घमासान मच जाता था। साथ में खेलने से बच्चों में मित्रता की भावना बढ़ती। आपस में भाईचारा बढ़ता। आज हालत बिलकुल विपरीत है। बच्चों के लिए खेल का मतलब हो गया है कंप्यूटर गेमिंग। पूरा दिन निकल जाता है कंप्यूटर पर खेलते हुए। कई दिनों तक सूरज की रौशनी भी नहीं देखते। जब आपस में मिलेंगे ही नहीं तो मित्रता कैसे बढ़ेगी, भाईचारा कैसे बढेगा। यदि किसी वजह से साथ में बैठे तो भी मोबाइल में लगे रहते हैं। एक दूसरे को कुछ कहना हो तो बोलने की बजाय मेसेज भेजते हैं। जवाब भी मेसेज से मिलता है। घरों में पहले लोग साथ में खाना खाते थे। रात को पूरा परिवार साथ में बैठकर टीवी देखता, एक दूसरे से बातें करते। यदि टीवी न हो तो जाकर पड़ोसियों से बातें करते। अब लोग बाहर से आते ही अपना-अपना मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं। परिवारवालों को आपस में बात करने का समय ही नहीं। बच्चे माता-पिता से बात करने के बजाय मोबाइल पर चैट करना ज्यादा पसंद करते हैं। अभिभावकों को पता ही नहीं चलता कि हमारे बच्चे के जीवन में क्या हो रहा। एक दूसरे के प्रति जो भावनात्मक लगाव हुआ करता था, वो दिनों दिन कम हो रहा है। कई बार कंप्यूटर के दूसरे छोर पर बैठे अनजान व्यक्ति से हम घंटों बात करते हैं, उसके साथ अपनी कई बातें साझा करते हैं पर अपने परिवार वालों के साथ कई दिनों तक बातें नहीं होती। इससे परिवार के सदस्यों का एक दूसरे पर जो प्रेम हुआ करता था, अब वैसा नहीं रहा। एक ही घर में रहकर भी लोग एक दूसरे के लिए अजनबी हैं। तकनीक के आवश्यकता से अधिक प्रयोग से मनुष्य भावनाशून्य होता जा रहा है ।

प्रश्न1. गद्यांश के अनुसार, आधुनिक युग में किसके बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं रह गया है?     
(a) विकसित परिवेश 
(b) तकनीक  
(c) आधुनिक जीवन शैली 
(d) आत्मनिर्भरता 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2   
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प्रश्न2. गद्यांश के अनुसार, वर्तमान में आधुनिक व्यक्ति कहाँ व्यस्त है?  
(a) कार्यों में व्यस्त हैं 
(b) आधुनिक उपकरणों में व्यस्त हैं
(c) a और  b दोनों  
(d) सुखों को भोगने में व्यस्त है,
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2  
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प्रश्न3. जीवन को सुखी और सुरक्षित बनाने के लिए मनुष्य क्या कर रहा है?
 (a) आपसी प्रेम को बढ़ा रहा है 
(b) एक-दूसरे से बैर भाव को नष्ट कर रहा है 
(c) आविष्कार कर रहा है
(d) एक दूसरे से होड़ कर रहा है
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2 
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प्रश्न4. आधुनिक तकनीक की चकाचौंध में किसका मजाक बन गया है?
 (a) मानवीय आवश्यकताओं का         
(b) मानवीय संवेदनाओं का 
(c) मानवीय सोच का 
(d) मानवीय कठिनाइयों का 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 3 
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प्रश्न5. गद्यांश के अनुसार, कुछ दशक पहले छुट्टियों के दिन मैदानों पर पैर रखने के लिए भी जगह क्यों नहीं मिल पाती थी?
(a) मैदान नहीं थे   
(b) मैदानों में अनेक सामूहिक कार्यक्रम हुआ करते थे
(c) मैदानों का रख-रखाव सही नहीं होता था    
(d) बच्चे खेलने के लिए अधिक उत्सुक हुआ करते थे
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2 
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प्रश्न6. गद्यांश के अनुसार, बच्चों में मित्रता की भावना और आपसी भाईचारा कैसे बढ़ता है? 
 (a) एक-दूसरे को वाट्सअप करने से    
(b) साथ खेलने से 
(c) साथ रहने से 
(d) एक-दूसरे के लिए अपने सुखों का त्याग करने से 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 3 
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प्रश्न7. गद्यांश के अनुसार, वर्तमान समय में एक-दूसरे व्यक्ति के प्रति क्या कम होता जा रहा है? 
(a) ऋणात्मक लगाव     
(b) सकारात्मक लगाव 
(c) व्यावहारिक लगाव  
(d) भावनात्मक लगाव 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2 
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प्रश्न8. गद्यांश के अनुसार, वर्तमान समय में बच्चे, माता-पिता से बात करने की बजाय अब क्या करना पसंद करते हैं? 
 (a) मोबाइल पर चैट करना
(b) मैदान पर खेलना 
(c) पढ़ना  
(d) विभिन्न स्थलों पर घूमना 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 3 
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प्रश्न9. गद्यांश के अनुसार, तकनीक के अत्यधिक प्रयोग से मनुष्य क्या होता जा रहा है?   
 (a) तनाव ग्रस्त 
(b) सृजनात्मकता शून्य 
(c) भावनाशून्य 
(d) विचारहीन 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2 
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प्रश्न10. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘निर्भर’ के लिए कौन सा शब्द समानार्थी अर्थ नहीं देता है? 
(a) अवलंबित 
(b) प्रच्छन्न  
(c) पराश्रित 
(d) अधीन 
(e) इनमें से कोई नहीं  
L1Difficulty 2 
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Directions (11-15) नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।         
 मानव संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। कारण यह है कि इसमें चिंतन की शक्ति है जिसके द्वारा यह प्राचीन काल से सब पर शासन करता आया है। आज प्रकृति भी इसके सामने नतमस्तक हो रही है। संसार के सम्पूर्ण ऐश्वर्य के पीछे मानव मस्तिष्क के विकास का इतिहास गुंथा हुआ है लेकिन यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि केवल मस्तिष्क का विकास एकांगी है। मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ शारीरिक शक्ति का भी होना अनिवार्य है। अतः मस्तिष्क के विकास के लिए जहां शिक्षा की आवश्यकता है, वहां शारीरिक शक्ति को प्राप्त करने के लिए क्रीड़ा की भी आवश्यकता है। दोनों एक-दूसरे के अभाव में अपूर्ण हैं।
शरीर के विकास के लिए खेलों के अतिरिक्त अन्य साधन भी हैं। व्यायाम के द्वारा तथा प्रातः काल में भ्रमण द्वारा भी स्वास्थ्य लाभ किया जा सकता है। कुश्ती, कबड्डी, दंगल, भ्रमण, दौड़ना आदि भी स्वास्थ्यवर्द्धन के लिए उपयोगी हैं। इसमें शरीर तो पुष्ट होता है, पर मनोरंजन आदि से मनुष्य वंचित रहता है। खेलों से मनोरंजन भी पर्याप्त हो जाता है। इससे खिलाड़ी में आत्म-निर्भर होने की भावना का उदय होता है। वह केवल अपने लिए ही नहीं खेलता बल्कि उसकी हार और जीत पूरी टीम की हार और जीत है। अत: उसमें अपने साथियों के लिए स्नेह तथा मित्रता का विकास होता है। उसमें अपनत्व तथा एकत्व की भावना जन्म लेती है। वह अपने में ही अपनी टोली की प्रगति देखता है। रुचि की भिन्नता के कारण किसी को हॉकी, किसी को क्रिकेट और किसी को फुटबाल अच्छा लगता है। खेलों से अनेक लाभ हैं। इनका जीवन और जाति में विशिष्ट स्थान है। शारीरिक और मानसिक स्थिति तो कायम रखने के लिए खेलों का बड़ा महत्त्व है। इसलिए प्राचीन काल से ही खेलों को महत्त्व दिया जाता है। विद्यार्थी आश्रमों में अध्ययन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के खेलों में भी पारंगत होते थे। उस समय के खेल युद्ध की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते थे। धनुर्विद्या की शिक्षा का विशेष बोल-बाला था। खेलों से केवल शरीर ही नहीं बनता अपितु इससे मस्तिष्क और मन का भी पर्याप्त विकास होता है क्योंकि पुष्ट और स्वस्थ शरीर में ही सुन्दर मस्तिष्क का वास होता है। बिना शारीरिक शक्ति के  शिक्षा पंगु है। मान लो कि एक विद्यार्थी अध्ययन में बहुत अच्छा है पर वह शरीर से कमजोर। उसके लिए किसी भी बाधा का सामना करना सम्भव नहीं। अपने मार्ग में पड़ा एक पत्थर तक उठा कर अपना मार्ग निष्कंटक बनाने की शक्ति उसमें नहीं। तब ऐसे विद्यार्थी से देश और जाति क्या कामना कर सकती है? रात-दिन किताबों पर ही अपनी दृष्टि गड़ाए रखने वाले विद्यार्थी जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते। शक्ति के अभाव में अन्य सब गुण व्यर्थ सिद्ध होते हैं। यहां तक कि मानव के सर्वश्रेष्ठ गुण तप-त्याग तक शक्ति के अभाव में व्यर्थ साबित होते हैं। बलिष्ठ शरीर के साथ-साथ खेलों से मनुष्य में क्षमाशीलता, दया, स्वाभिमान, आज्ञा पालन, अनुशासन आदि अनेक गुणों का समावेश भी होता है। बहुत-से विद्यार्थी तो खेलों के बल पर ही ऊंचे-ऊंचे पदों को प्राप्त कर लेते हैं। खेलों के अभाव तथा निर्बलकाय होने के कारण ही अधिकांश विद्यार्थी किसी महत्त्वपूर्ण स्थान से वंचित रह जाते हैं। कहने का तात्पर्य यह कि मस्तिष्क कितना ही सबल क्यों न हो पर चलना पैरों से ही है। अतः शिक्षण के साथ-साथ क्रीड़ा में भी कुशल होना उज्जल भविष्य का प्रतीक है। खेलों से राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का भी उदय होता है। 

प्रश्न11. मनुष्य किस कारण प्राचीन काल से हर किसी पर शासन करता आया है?
(a) बाहुबल के कारण  
(b) बुद्धिजीवी होने के कारण 
(c) परोपकारी होने के कारण 
(d) चिंतन की शक्ति के कारण 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2 
QTag अपठित गद्यांश /पद्यांश    

प्रश्न12. गद्यांश के अनुसार, किस कारण से खिलाड़ी में आत्म-निर्भर होने की भावना जागृत होती है?     
 (a) व्यायाम से
(b) शिक्षा से
(c) खेलों से
(d) a, b और c सभी से 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2 
QTag अपठित गद्यांश /पद्यांश    

प्रश्न13. गद्यांश के अनुसार, प्राचीन काल में आश्रमों में विद्यार्थियों के खेल किस दृष्टि से महत्वपूर्ण होते थे? 
 (a) मानसिक दृष्टि से
(b) शारीरिक दृष्टि से
(c) युद्ध दृष्टि से
(d) क्रीडा दृष्टि से
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 3 
QTag अपठित गद्यांश /पद्यांश    

प्रश्न14. गद्यांश के अनुसार, सुंदर मस्तिष्क का वास कहाँ होता है?  
 (a) परोपकारी मनुष्य में 
(b) पुष्ट और स्वस्थ शरीर में 
(c) सुंदर ह्रदय में 
(d) सुंदर वातावरण में 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 2 
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प्रश्न15. गद्यांश के अनुसार, राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का उदय किससे होता है?
 (a) व्यायाम से 
(b) शिक्षा से 
(c) खेलों से  
(d) पुरुषार्थ से 
(e) इनमें से कोई नहीं
L1Difficulty 3
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उत्तर- 
S1. Ans. (b):           
Sol. गद्यांश के अनुसार, आधुनिक युग में तकनीक के बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं रह गया है।       
S2. Ans. (c):               
Sol. गद्यांश के अनुसार, वर्तमान में आधुनिक व्यक्ति कार्यों में और आधुनिक उपकरणों में व्यस्त हैं। 
 S3. Ans. (c):            
Sol. जीवन को सुखी और सुरक्षित बनाने के लिए मनुष्य आविष्कार कर रहा है। 
S4. Ans. (b):        
Sol. आधुनिक तकनीक की चकाचौंध में मानवीय संवेदनाओं का मजाक बन गया है।  
S5. Ans. (d):        
Sol. गद्यांश के अनुसार, कुछ दशक पहले छुट्टियों के दिन मैदानों पर पैर रखने के लिए भी जगह इसीलिए नहीं मिल पाती थी क्योंकि बच्चे खेलने के लिए अधिक उत्सुक हुआ करते थे।      
S6. Ans. (b):        
Sol. गद्यांश के अनुसार, बच्चों में मित्रता की भावना और आपसी भाईचारा साथ खेलने से बढ़ता है।   
S7. Ans. (d):         
Sol. गद्यांश के अनुसार, वर्तमान समय में एक-दूसरे व्यक्ति के प्रति भावनात्मक लगाव कम होता जा रहा है।   
S8. Ans. (a):          
Sol. गद्यांश के अनुसार, वर्तमान समय में बच्चे, माता-पिता से बात करने की बजाय अब मोबाइल पर चैट करना करना पसंद करते हैं।  
S9. Ans. (c):          
Sol. गद्यांश के अनुसार, तकनीक के अत्यधिक प्रयोग से मनुष्य भावनाशून्य होता जा रहा है।  
S10. Ans. (b):        
Sol. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘निर्भर’ के लिए प्रच्छन्न शब्द समानार्थी अर्थ नहीं देता है।   
 S11. Ans. (d):          
Sol. मनुष्य चिंतन की शक्ति के कारण प्राचीन काल से हर किसी पर शासन करता आया है।  
S12. Ans. (c):         
Sol. गद्यांश के अनुसार, खेलों से खिलाड़ी में आत्म-निर्भर होने की भावना जागृत होती है। 
 S13. Ans. (c):          
Sol. गद्यांश के अनुसार, प्राचीन काल में आश्रमों में विद्यार्थियों के खेल युद्ध दृष्टि से दृष्टि से महत्वपूर्ण होते थे।  
 S14. Ans. (b):        
Sol. गद्यांश के अनुसार, सुंदर मस्तिष्क का वास पुष्ट और स्वस्थ शरीर में होता है।  
S15. Ans. (c):          
Sol. गद्यांश के अनुसार, राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का उदय खेलों से होता है।   

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