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आईबीपीएस आरआरबी परीक्षा 2019 : हिंदी भाषा के स्टडी नोट्स | भाग- 4

प्रिय पाठकों,  आईबीपीएस आरआरबी परीक्षा 2019 : हिंदी भाषा के स्टडी नोट्स | भाग- 4 | Latest Hindi Banking jobs_3.1

आप सभी जानते हैं कि आईबीपीएस आरआरबी  परीक्षा 2019 की अधिसूचना जारी की जा चुकी है. परीक्षा के पाठ्यक्रम के आधार पर आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए ADDA247 आपके लिए हिंदी भाषा के स्टडी नोट्स लेकर आया है. ये नोट्स मुख्य परीक्षा आने तक आपको पहले से ही तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे. अपने साथियों के लिए हम हिंदी प्रश्नोत्तरी आपको पहले से ही उपलब्ध करा रहे हैं. सभी जानते हैं कि बैंकिंग परिक्षाओं में केवल आरआरबी ही एकमात्र ऐसी परीक्षा है , जो आपको अपनी भाषा का चयन का विकल्प देता है जिसमें आप अंग्रेजी के स्थान  पर हिंदी भाषा चुन सकते हैं. यह हिंदी भाषा क्षेत्र के उम्मीदवारों के लिए सफलता पाने का एक सुनहरा मौक़ा है, क्योंकि हम अपनी भाषा में अधिक से अधिक अंक स्कोर करने में सक्षम होते हैं. यदि आपका लक्ष्य इस वर्ष आईबीपीएस आरआरबी में सफलता पाना है, तो अभी से मेंस की तैयारी में जुट जाएँ. अपनी तैयारी को और बेहतर बनाते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये…


‘अपठित गद्यांश’ से संबंधित प्रश्न पर आधारित स्टडी नोट्स 




किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में हिंदी भाषा खंड में ‘अपठित गद्यांश’ से संबंधित प्रश्न अवश्य पूछे जाते हैं। विशेषकर आईबीपीएस आरआरबी की पीओ और क्लर्क परीक्षा में इन प्रश्नों की अधिकता होती है इसलिए इन प्रश्नों से संबंधित प्रश्नों का अध्ययन एवं अभ्यास करना आवश्यक हो जाता है लेकिन अक्सर देखा गया है कि विद्यार्थी इन प्रश्नों का अभ्यास करने से बचते हैं। उन्हें लगता है कि ये प्रश्न तो बहुत सरल होते हैं और इस कारण परीक्षा में अत्यधिक आत्मविश्वास में आकर गलत उत्तर का चयन करते हैं।   


इस लेख में हम आपको ‘अपठित गद्यांश’ से संबंधित सामाग्री से अवगत करवाएगें जिससे आप निश्चित रूप से इस प्रकार के प्रश्नों को हल कर सकते हैं आपको केवल ध्यानपूर्वक इन बिन्दुओं का अध्ययन करके अभ्यास करना है। इस लेख के अंत में आपको इन प्रश्नों से संबंधित 5 प्रश्न भी दिए गए हैं ताकि आप इन प्रश्नों का अभ्यास कर परीक्षा में इस भाग से अधिकतम अंक प्राप्त कर सके। 


अपठित गद्यांश – अपठित गद्यांश को सर्वप्रथम ध्यानपूर्वक पढ़ना आवश्यक है। इसे पढ़ते समय सामग्री के अर्थ पर ध्यान देना आवश्यक है, सामग्री पर ध्यान देने के साथ-साथ प्रयोगित भाषा को भी ध्यान में रखे। दिए गये विषय के अर्थ और शब्द दोनों के गहन अध्ययन के बाद ही आप इसके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए तैयार हो सकते हैं। अपठित गद्यांश के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए गद्यांश में दी गयी जानकारी को ही सही मानना है, इसमें आपको गद्यांश से बाहर जाकर प्रश्न का उत्तर देने को आवश्यकता नहीं होती। यदि एक बार में किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पा रहा है तो आपको गद्यांश का दोबारा सावधानी से अध्ययन करने की आवश्यकता है। गद्यांश के शीर्षक का चयन करते समय ध्यान रखे कि शीर्षक मूल विषय से सम्बन्धित हो, संक्षिप्त व रोचक हो।   
उपर्युक्त सामग्री को ध्यानपूर्वक पढ़ने के बाद ‘अपठित गद्यांश’ से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देने में आसानी होगी, इन्हें पढ़ने से विद्यार्थी में इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर देने की एक समझ विकसित होगी। नीचे इस प्रकार के कुछ प्रश्न दिए हैं आप इनका अभ्यास जरुर करें क्योंकि अभ्यास से ही हर कार्य सिद्ध होता है।
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 
लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्योहारों और विशेष अवसरों पर ये गाए जाते हैं। सदा से ये गाए जाते रहे हैं और इनके रचने वाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में है। इनका संबंध देहात की जनता से है। बड़ी जान होती है इनमें। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के अन्य पूरबी और बिहार के पश्चिमी जिलों में गाए जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। पंजाब में माहिया आदि इसी प्रकार के हैं। हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में और ढोला-मारू आदि के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं। अनंत संख्या हमारे देश में स्त्रियों के गीतों की है।
प्रश्न1. गद्यांश के अनुसार, किसके लिए साधना की जरूरत नहीं होती?  
(a) वादन
(b) शास्त्रीय संगीत
(c) लोकगीत
(d) नृत्य
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर 1. (c)
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, लोकगीत के लिए साधना की जरूरत नहीं होती।   
प्रश्न2. हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत किसमें बड़े चाव से गाए जाते हैं?            
(a) राजस्थानी
(b) पंजाबी             
(c) उर्दू         
(d) अवधी
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर 2. (b)
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल संबंधी गीत पंजाबी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।
प्रश्न3. वास्तविक लोकगीत कहाँ हैं?
(a) गाँवों और देहातों में
(b) शहरों में               
(c) व्यवसायिक क्षेत्रों में   
(d) औद्योगिक क्षेत्रों में   
(e) इनमें से कोई नहीं
 उत्तर 3. (a)
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, वास्तविक लोकगीत गाँवों और देहातों में हैं।
प्रश्न4. बाउल और भतियाली कहाँ के लोकगीत हैं?
(a) कर्नाटक
(b) बंगाल           
(c) हरियाणा       
(d) जम्मू और कश्मीर
(e) इनमें से कोई नहीं
 उत्तर 4. (b)
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं।
प्रश्न5. ढोला-मारू के गीत किसमें बड़े चाव से गाए जाते हैं?     
(a) मणिपुरी 
(b) ब्रज           
(c) ओडिशी           
(d) राजस्थानी
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर 5. (d)
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, ढोला-मारू के गीत राजस्थानी में बड़े चाव से गाए जाते हैं।





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