Assam – Mizoram border clash: असम-मिजोरम बॉर्डर पर तनाव, जानिए क्या हैं विवाद की वजह
क्या हुआ झड़प में?
अधिकारियों से मिली जानकरी के अनुसार, मिजोरम के साथ लगने वाली राज्य की “संवैधानिक सीमा” की रक्षा करते समय असम पुलिस के 5 जवान ड्यूटी करते में वक्त शहीद हो गए। इन दोनों उत्तर-पूर्वी राज्यों के बीच हुए सीमा विवाद में लगभग 60 लोग घायल हो गए, जिसमें एक एसपी भी शामिल है, जो सोमवार (यानी 26 जुलाई, 2021) को एक खूनी संघर्ष में बदल गया था। हालाँकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सोमवार को पहले किस ओर से फायरिंग की गई, इस कारण दोनों राज्य एक दूसरे पर आरोप लगाया है।
क्यों हुई झड़प?
- झड़प से एक दिन पहले, हिमंत बिसवा सरमा (असम के मुख्यमंत्री) और जोरमथांगा (मिजोरम के मुख्यमंत्री) ने ट्विटर पर सार्वजनिक रूप से एक दूसरे को परेशान करने का आरोप लगाते हुए सार्वजनिक रूप से लड़ाई शुरू की थी।
- इस पर ब्रेक तब लगा जब गृहमंत्री अमित शाह ने मामले में हस्तक्षेप किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अमित शाह ने दोनों मुख्यमंत्रियों से बात की और उन्हें हिंसा को तुरंत समाप्त करने और सीमा के दोनों ओर “गुमराह करने वालों” की जांच करने का आह्वान किया।
- यहां तक कि इन दोनों मुख्यमंत्रियों के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उन्होंने अमित शाह को आश्वासन दिया कि बॉर्डर पर पहले जैसी स्थिति बहाल की जाएगी और सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा।
- फायरिंग की घटना गृह मंत्री, अमित शाह और पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच इस क्षेत्र में व्याप्त अंतर-राज्य सीमा मुद्दों को लेकर बंद कमरे में हुए चर्चा के दो दिनों के बाद हुई है।
विवाद की पृष्ठभूमि:
असम-मिजोरम सीमा पर कछार-कोलासिब जिलों में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी, इसके चलते दोनों राज्यों के सुरक्षा कर्मियों को सीमा पर तैनात किया गया था।
इससे पहले अक्टूबर 2020 में, जब दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर क्षेत्र का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था, तब केंद्र ने हस्तक्षेप किया था और अर्धसैनिक बलों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर लैलापुर-वैरेंगटे में सीमा के दोनों ओर तैनात किया गया था।
असम-मिजोरम के बीच विवाद का इतिहास:
इस विवाद की जड़ें 1875 की एक अधिसूचना से थीं, जिसमें लुशाई पहाड़ियों को कछार के मैदानी इलाकों से बदल दिया और 1933 की एक अन्य अधिसूचना, जो लुशाई पहाड़ियों और मणिपुर के बीच की सीमा का परिसीमन करती है।
Assam – Mizoram border clash: मिजोरम के नेताओं के अनुसार सीमा को 1875 की अधिसूचना के आधार पर सीमांकित किया जाना चाहिए जो कि बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीईएफआर) अधिनियम, 1873 से आया है। उन्होंने 1933 में अधिसूचित सीमांकित के खिलाफ अतीत में भी विरोध किया था। क्योंकि उस समय उनसे सलाह नहीं ली गई। यह दो सीमा साझा करने वाले राज्यों के बीच संघर्ष का मुख्य कारण है।
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