भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपनी 6वीं और अंतिम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति की घोषणा कर दी है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (bps) की कटौती करते हुए इसे 6.25% कर दिया है। यह निर्णय नए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुआ और यह केंद्रीय बजट 2025-26 की प्रस्तुति के बाद पहली आरबीआई नीति बैठक थी।
आरबीआई एमपीसी बैठक 2025 की प्रमुख घोषणाएँ
RBI Monetary Policy 2025 | |
Policy Repo Rate | 6.25% |
Standing Deposit Facility Rate | 6.00% |
Marginal Standing Facility Rate | 6.50% |
Bank Rate | 6.50% |
Fixed Reverse Repo Rate | 3.35% |
Cash Reserve Ratio | 4.00% |
Statutory Liquidity Ratio | 18.00% |
आरबीआई की नीति के मुख्य बिंदु
1. रेपो रेट में कटौती: रेपो रेट को 6.25% करने का निर्णय आर्थिक विकास को गति देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
2. आर्थिक विकास का अनुमान: आरबीआई ने FY26 में जीडीपी विकास दर 6.7% रहने का अनुमान लगाया है, जो आर्थिक स्थिरता का संकेत है।
3. मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान: FY25 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति 4.8% रहने की संभावना है, जो FY26 में घटकर 4.2% तक आ सकती है।
नए आरबीआई गवर्नर की पहली एमपीसी बैठक
यह आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक थी। वे ऐसे समय में पदभार संभाल रहे हैं जब केंद्रीय बैंक को आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।
अर्थव्यवस्था और बाज़ार पर प्रभाव
- उधार दरों में गिरावट से होम लोन, ऑटो लोन और एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
- शेयर बाजार में सकारात्मक रुझान देखने को मिल सकता है, क्योंकि निवेशकों को लिक्विडिटी में सुधार की उम्मीद होगी।
- आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा, जिससे देश की वित्तीय स्थिरता मजबूत होगी।
RBI मौद्रिक नीति समिति का उद्देश्य
आरबीआई की यह नीति देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता और संतुलन लाने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसका दीर्घकालिक उद्देश्य आर्थिक विकास, वित्तीय समावेशन और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के बीच संतुलन स्थापित करना है।
आरबीआई की नई नीति आर्थिक विकास को बनाए रखने और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के बीच संतुलन स्थापित करती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थायित्व और वृद्धि का लाभ मिलेगा।
RBI Monetary Policy 2025: मौद्रिक नीति के अन्य महत्वपूर्ण उपकरण:
आरबीआई की मौद्रिक नीति में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष साधन हैं जिनका उपयोग मौद्रिक नीति को लागू करने के लिए किया जाता है। मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण उपकरण इस प्रकार हैं:
- रेपो दर: यह (फिक्स्ड) ब्याज दर है, जिस पर बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत सरकार और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों की संपार्श्विक के खिलाफ रातोंरात तरलता उधार ले सकते हैं.
- रिवर्स रेपो दर: यह (फिक्स्ड) ब्याज दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक एलएएफ के तहत पात्र सरकारी प्रतिभूतियों की संपार्श्विकता के खिलाफ रातोंरात बैंकों से तरलता को अवशोषित कर सकता है.
- चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ): एलएएफ की रातोंरात और साथ ही इसके अंतर्गत सावधि रिपो नीलामियां हैं. रेपो शब्द इंटर-बैंक टर्म मनी मार्केट के विकास में मदद करता है. यह बाजार ऋण और जमा के मूल्य निर्धारण के लिए मानक निर्धारित करता है. यह मौद्रिक नीति के प्रसारण को बेहतर बनाने में मदद करता है. विकसित बाजार की स्थितियों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामी भी करता है.
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF): MSF एक प्रावधान है जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से रातोंरात अतिरिक्त धनराशि उधार लेने में सक्षम बनाता है. बैंक अपने वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो में ब्याज की दंड दर तक सीमित करके ऐसा कर सकते हैं. इससे बैंकों को उनके द्वारा सामना किए गए अप्रत्याशित तरलता झटके को बनाए रखने में मदद मिलती है.