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Bank Jobs Reducing Every Year- आखिर, कम क्यों हो गयी बैंक भर्तियाँ ? ये हैं इसके main reasons

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Why Bank Jobs Reducing Every Year- A Comparative Analysis

Job crisis अर्थात नौकरी का संकट इस समय सबसे अधिक चर्चित मुद्दों में से एक है. जिसकी सबसे बढ़ी वजह लगातार सरकारी क्षेत्र में नौकरी  की रिक्तियों में कमी (reduction of job vacancies in the government sector) है. वैसे तो देश में बैंकिंग सेक्टर बड़ी संख्या में उम्मीदवारों की भर्ती करता है पर पिछले कुछ वर्षों से लगातार बैंकिंग क्षेत्र की रिक्तियां कम होती जा रही हैं. Government jobs में कमी आने से देश में बेरोजगारी(unemployment in the country) तेजी से बढ़ रही है. सरकारी क्षेत्र में बैंकिंग नौकरियों में गिरावट का प्रमुख कारण बैंक विलय और धीमा निजीकरण(bank merger and slow privatization) है. निजी क्षेत्र के बैंक (private sector bank)  सार्वजनिक वित्तीय क्षेत्र(public financial sector) और वित्त कंपनियों( finance companies) की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने हाथों में ले रहे हैं, जिसकी वजह से  नौकरी के अवसरों की संख्या (number of job opportunities) कम हो रही है. सार्वजनिक वित्तीय, बैंकिंग क्षेत्र, और बीमा कंपनियां जो कुल कर्मचारियों का 1/6 वां हिस्सा रखती है, 2019 में employee headcount में  भारी गिरावट देखी है और 2020 में भी स्थिति समान है. 
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Impact of Bank Merger : बैंक विलय का प्रभाव

जैसे कि बैंक विलय के साथ, यह उम्मीद की जा रही थी कि देश को एक कुशलता से काम करने वाला बैंक क्षेत्र मिलेगा. लेकिन बैंक विलय के परिणामस्वरूप विभिन्न बैंक शाखाओं, भूमिका और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली ध्वस्त हो जाती है, लागत अनिवार्यता(Cost imperatives) बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है. इससे बैंकिंग भर्ती प्रक्रिया पर व्यापक प्रभाव पड़ा. वर्षों से, IBPS सदस्य बैंकों द्वारा PO और क्लर्क के पदों के लिए आयोजित की गई भर्ती में लगातार गिरावट आई है

Bank Merger: भारत में 4 मजबूत और बड़े बैंकों को चलाने के उद्देश्य से कुल 10 सार्वजनिक क्षेत्र के अंडरटेकिंग बैंकों को 4 सार्वजनिक बैंकों में विलय कर दिया गया, जिससे सार्वजनिक बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 हो गई. PSU बैंकों का यह मेगा विलय(mega-merger) 1 अप्रैल 2020 को किया गया. सूची नीचे प्रदान की गई है.

  • ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पीएनबी में विलय हो गया
  • सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय हो गया
  • इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक में विलय हो गया
  • यूनियन बैंक का आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक में विलय हो गया

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Economic Slowdown: आर्थिक मंदी

भारतीय अर्थव्यवस्था में राहत के संकेत नहीं आ रहे हैं और अब तक ऐसा नहीं हुआ है, लेकिन यह कहना स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक गंभीर आर्थिक मंदी से गुजर रही है, जिसके कारण बेरोजगारी दर पिछले वर्ष की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रही है. RBI और सरकार वर्ष 2020 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5% रहने की उम्मीद कर रही है. नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, आर्थिक मंदी(economic downturn) के कारण, रोजगार के रुझानों में भारी गिरावट है.

Impact of COVID-19 on banking jobs:बैंकिंग नौकरियों पर COVID-19 का प्रभाव

देश भर में COVID-19 के लगातार बढ़ रहा है, जिसने बैंकिंग क्षेत्र में भी एक अशांति पैदा कर दी है जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक बाजारों(global markets) में significant instability और volatility बढ़ रही है. सूत्रों के अनुसार, COVID-19 की स्थिति के कारण बैंकों पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में संतुलन लाने के लिए भर्तियों की संख्या कम हो सकती है. COVID-19 के कारण, कोर बैंकिंग की लाभप्रदता(profitability) कम हो गई है क्योंकि बैंकों ने अपने ग्राहकों के लिए moratorium loans प्रदान किए थे जिससे बैंक की आय कम हो गई. बैंक को ब्याज के साथ repayments से आय प्राप्त होती है. ऐसे में बैंक कोरोना स्थिति से जूझने के लिए न्यूनतम कर्मचारियों के साथ काम कर सकते हैं ताकि हर साल होने वाली भर्तियों को कम किया जा सके.

 

Let’s understand the trend of declining vacancies : रिक्तियों में गिरावट के रुझान 

BANK PO और Clerical posts सबसे अधिक मांग वाले पद हैं जिनके लिए हर साल लाखों उम्मीदवार फॉर्म भरते हैं और केवल पात्र उम्मीदवारों को रिक्त पदों का लाभ उठाने का मौका मिलता है. पिछले कुछ वर्षों से, IBPS और SBI recruitment agencies दोनों बैंकिंग क्षेत्र में भर्ती  में  गिरावट आई है. आइए जानें कि पिछले पाँच वर्षों से बैंकिंग क्षेत्र में क्या हो रहा है.

Institute of Banking & Personnel Selection : बैंकिंग और कार्मिक चयन संस्थान

IBPS प्रमुख भर्ती एजेंसी है जो हर साल अधिकारियों और लिपिक स्तर के पदों के लिए परीक्षा आयोजित करती है, और इन पदों के लिए, लगभग 50 लाख उम्मीदवार सालाना आवेदन करते हैं. 

उम्मीदवारों के बीच बैंकिंग नौकरियों(banking jobs) की भारी मांग है, रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में 52% BANK PO jobs में गिरावट आई है. पीओ पदों के लिए कुल रिक्तियां इस वर्ष 2020 में मात्र 1417 हैं, जो पिछले वर्ष 2019 की  4336 रिक्तियों की तुलना में काफी कम है, वहीँ क्लर्क की बात करें तो 2019 में CLERK पद पर भर्ती के लिए 12075 रिक्तियां जारी की गई थीं, जबकि 2020 रिक्तियों को संख्या 1557 रह गई है. 

Posts 2020-21 2019-20 2018-19 2017-18 2016-17
Officer 1417 4336 4252 3562 8822
Clerical 1557 12075 7275 7880 19243

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State Bank of India: भारतीय स्टेट बैंक

SBI  बैंक कर्मचारियों(bank employees) के चयन के लिए अपनी अलग भर्ती परीक्षा आयोजित करता है. मार्च 2019 के डेटा  के अनुसार SBI में काम करने वाले कर्मचारियों की कुल संख्या 2,57,252 हो गई है जो 2018 में 2,64,041 थी. जबकि सेवानिवृत्ति की दर पिछले कुछ वर्षों के समान थी. यद्यपि पीओ और क्लर्क के लिए रिक्तियां 4 वर्षों के लिए स्थिर हैं, हालांकि, आवेदकों की संख्या की गिनती के लिए ये कम हैं.

Posts 2020-21 2019-20 2018-19 2017-18 2016-17
Officer 2000+ 2000 2000 2403 2313
Clerical 8134 8904 8301 7883 17140

क्या अन्य सरकारी क्षेत्रों में भी नौकरियां कम हैं?

चूंकि बड़ी संख्या में निजी कंपनियों ने भारत में अपना कारोबार शुरू किया है और धीमी गति से निजीकरण के परिणामस्वरूप सरकार की नौकरियों में कमी आई है. एक कार्यबल विश्लेषण(workforce analysis) से पता चलता है कि सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरी का भारी नुकसान हुआ है. ( “worst in recent times“). Privatization  ने भारतीय रेलवे की भर्तियों को भी प्रभावित किया है क्योंकि अधिकांश मैनुअल पावर को मशीनों के साथ बदल दिया गया है और नौकरी की सुरक्षा निजी क्षेत्र में बदल गई है. 

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