फ्रांस ने 1994 के रवांडा नरसंहार के लिए मांगी माफ़ी
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इसी कड़ी में आज का हमारा करेंट अफेयर्स टॉपिक है- फ्रांस के राष्ट्रपति ने रवांडा के निवासियों से फ्रांस को 1994 के नरसंहार के लिए माफ करने को कहा।
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फ्रांस के राष्ट्रपति ने रवांडा के निवासियों से फ्रांस को 1994 के नरसंहार के लिए माफ करने को कहा
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने रवांडा
के निवासियों से 1994 के रवांडा नरसंहार के लिए माफी माँगी है। इस नरसंहार में 8 से
10 लाख तुत्सी और उदारवादी हुतुस मारे गए थे।
नरसंहार क्या है?
जब किसी राष्ट्र या विशेष समूह को नष्ट करने के उद्देश्य से किसी विशेष
राष्ट्र या जातीय समूह के द्वारा बड़ी संख्या में लोगों की हत्या कर दी जाती है तो
इसे नरसंहार कहते हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन ने रवांडा की राजधाना
किगाली में उस नरसंहार स्मारक पर बयान दिया जहाँ 2.5 लाख से अधिक मृत लोगों को
दफनाया गया था। उन्होंने कहा कि फ्रांस ने वध की धमकी की चेतावनी पर ध्यान नहीं
दिया और एक लंबे समय तक सच्चाई की जाँच पर मौन बनाए रखा। रवांडा के राष्ट्रपति पॉल
कागामे ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति के ये शब्द माफी माँगने से कहीं अधिक
मूल्यवान हैं।
मार्च में फ्रांस के विशेषज्ञ आयोग ने पाया कि
फ्रांस ने दिवंगत राष्ट्रपति फ्रेंकोइस मिटर्रैंड के शासन के समय हुए इस नरसंहार में फ्रांस एकमात्र ऐसा देश था जिसने
इस नरसंहार का समर्थन किया था।
2015 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रेंकिस
ओलांद के द्वारा की गई घोषणा के बाद रवांडा के इतिहास किया गया लेकिन दो साल बाद एक
शोधकर्ता के द्वारा जब उनका अध्ययन करने की अनुमति माँगी गई तो फ्रांस की
संवैधानिक परिषद ने फैसला सुनाया कि इस अध्ययन को गुप्त रखा जाएगा।
हाल ही में राष्ट्रपति मैक्रोन ने नई जाँच शुरू
की जो कि विशेषज्ञों को उन आधिकारिक फाइलों की जाँच करने की अनुमति देती है।
Rwanda (रवांडा)
रवांडा नरसंहार (1994) के बारे में-
रवांडा नरसंहार तुत्सी और हुतु समुदायों की बीच
जातीय संघर्ष की वजह से हुआ था। इसकी शुरुआत 6 अप्रैल, 1994 में किगली में हवाई
जहाज पर बोर्डिंग के दौरान रवांडा के तत्कालीन राष्ट्रपति हेबिअरिमाना तथा
बुरुन्डियान के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या से हई थी। करीब 10 दिनों के सशस्त्र
नरसंहार में 8 से 10 लाख लोग मारे गए थे जो कि तत्कालीन आबादी का करीब 20 प्रतिशत
थी। नरसंहार की क्रूरता और तीव्रता को देखते हुए पूरी दुनिया सदमे में थी लेकिन
किसी ने भी इसे रोकने की कोशिश नहीं की। इस नरसंहार की नींव तत्कालीन हुतु जाति के
प्रभाव वाली सरकार के द्वारा रखी गई थी जिसका प्रमुख उद्देश्य तुत्सी आबादी के देश
के सफाया था। इसमें तुत्सी लोगों के साथ उन लोगों को भी मारा गया जो तुत्सियों के
लिए सहानुभूति रखते थे। इस नरसंहार में हत्या के साथ ही बड़े पैमाने पर बलात्कार भी
किये गए।
फ्रांस के बारे में-
राजधानी- पेरिस
राष्ट्रपति- इमैनुएल मैक्रोन
प्रधानमंत्री- जीन कास्टेक्स
मुद्रा- यूरो तथा फ्रेंच फ्रैंक
रवांडा के बारे में-
राजधानी- किगाली
राष्ट्रपति- पॉल
कागामे
मुद्रा- रवांडा फ्रैंक
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