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Iran-Israel Conflict: ईरान कभी-भी कर देगा इजराइल पर हमला, जानिए क्या है कारण

हमास (Hamas) प्रमुख हानिया (Haniyeh) और हिज़ुबुल्ला (Hezbollah) के एक बड़े कमांडर की मौत के बाद पश्चिम एशिया में युद्ध की आशंका और तीव्र हो गई है. ईरान (Iran) और कई दूसरे संगठन इसके लिए इज़रायल (Israel) को ज़िम्मेदार मानते हैं और उस पर सीधा हमला करने की धमकी दे रहे हैं. ऐसे में कई एयरलाइंस ने इज़ारयल के लिए अपनी उड़ान रोक दी है.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने G7 देशों के अपने समकक्षों को चेतावनी देते हुए अपने एक बयान में, ईरान और हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल के खिलाफ सोमवार से हमला शुरू करने की संभावना जताई है. हालांकि, इजरायल में, प्रमुख दैनिक टाइम्स ऑफ इजरायल ने बताया कि बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली सरकार इजरायल की धरती पर हमले को रोकने के लिए ईरान पर एक पूर्वव्यापी हमले को मंजूरी दे सकती है. इसका मतलब कि किसी भी देश से अगर कोई हमला होता है दुसरा देश उसका जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. 1980 के दशक की शुरुआत में ईरानी समर्थन से स्थापित हिजबुल्लाह मध्य पूर्व में ईरान का पहला प्रॉक्सी है। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) द्वारा वित्तपोषित और सशस्त्र, हिजबुल्लाह तेहरान की मूल विचारधारा को साझा करता है और मुख्य रूप से लेबनान की शिया मुस्लिम आबादी से भर्ती करता है.

ईरान-इजराइल संघर्ष: 

ईरान-इज़राइल संघर्ष: ईरान-इज़राइल संघर्ष अब एक युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है क्योंकि बेंजामिन नेतन्याहू सरकार इजरायल पर होने वाले हमले को रोकने के लिए ईरान पर पूर्वव्यापी हमले को मंजूरी दे सकती है.

ईरान और इजराइल के बीच का संघर्ष एक जटिल और लंबे समय से चल रहे भू-राजनीतिक तनाव का परिणाम है। यह संघर्ष विभिन्न ऐतिहासिक, धार्मिक, और रणनीतिक कारकों से प्रभावित है।

इतिहास और पृष्ठभूमि (Iran-Israel Timeline):

  1. स्थापना और प्रारंभिक संबंध:
    • 1948 में इजराइल के स्थापना के बाद, ईरान ने एकमात्र मुस्लिम देश के रूप में इजराइल को मान्यता दी थी। ईरान और इजराइल के बीच अच्छे राजनयिक और आर्थिक संबंध थे।
    • 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरान का शासन बदल गया और ईरान ने इजराइल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया।
  2. इस्लामिक क्रांति और उसके प्रभाव:
    • 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरान ने इजराइल को “यहूदी शासन” और “राष्ट्रों का दुश्मन” करार दिया। इसके बाद से दोनों देशों के संबंधों में तेजी से गिरावट आई।
  3. आतंकी संगठन और संघर्ष:
    • ईरान ने कई बार अपने समर्थन से लब्बेक और हिज़्बुल्लाह जैसे आतंकवादी संगठनों को सहायता दी है जो इजराइल के खिलाफ संघर्ष करते हैं।
    • इजराइल ने इन संगठनों द्वारा किए गए हमलों का जवाब देने के लिए कई सैन्य अभियान चलाए हैं।
  4. परमाणु कार्यक्रम:
    • ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक बड़ा विवाद का कारण बना है। इजराइल का मानना है कि ईरान परमाणु हथियारों का विकास कर रहा है, जो इजराइल के अस्तित्व के लिए खतरा हो सकता है।
    • ईरान ने बार-बार यह दावा किया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन इसका दावा अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा संदेह के साथ देखा गया है।
  5. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ:
    • कई पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, ने इजराइल का समर्थन किया है और ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगाए हैं।
    • ईरान ने इजराइल को कई बार धमकाया है और यहूदी राज्य के खिलाफ अपने एजेंडे को जोरदार तरीके से पेश किया है।
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FAQs

ईरान-इजराइल संघर्ष के पीछे का क्या कारण है?

इस पोस्ट में पढ़ सकते है कि ईरान-इजराइल संघर्ष क्या है कारण और क्यों देनों देश युद्ध की कगार पर खड़े है.

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