गुरु रविदास जयंती संत गुरु रविदास की जयंती के उपलक्ष्य में मनाई जाती है, जो भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। उनकी शिक्षाओं ने समाज में समानता, एकता और आध्यात्मिकता का संदेश दिया. गुरु रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था। वे संत कबीर के समकालीन थे और उनकी शिक्षाओं ने समाज में व्याप्त जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी रचनाओं में आध्यात्मिकता, मानवता, और समानता के संदेश मिलते हैं।
गुरु रविदास जयंती 2025 तिथि और समय:
पंचांग के अनुसार, गुरु रविदास जयंती 2025 में बुधवार, 12 फरवरी को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को शाम 6:55 बजे शुरू होकर 12 फरवरी को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी।
गुरु रविदास जयंती 2025 इतिहास:
गुरु रविदास का जन्म 15वीं शताब्दी में वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था। वे संत कबीर के समकालीन थे और उनकी शिक्षाओं ने समाज में व्याप्त जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी रचनाओं में आध्यात्मिकता, मानवता और समानता के संदेश मिलते हैं।
गुरु रविदास जयंती 2025 महत्व:
गुरु रविदास जयंती उनके जीवन और शिक्षाओं को स्मरण करने का अवसर है। उनकी शिक्षाओं ने समाज में समानता और एकता का संदेश दिया, जो आज भी प्रासंगिक है। उनकी रचनाएँ, जैसे “मन चंगा तो कठौती में गंगा”, आत्मशुद्धि और आंतरिक शांति का संदेश देती हैं।
गुरु रविदास जयंती 2025 उत्सव:
इस दिन, भक्तजन गुरुद्वारों में कीर्तन, भजन और सत्संग का आयोजन करते हैं। गुरु रविदास की शिक्षाओं का पाठ किया जाता है और उनके जीवन से संबंधित घटनाओं को याद किया जाता है। कई स्थानों पर शोभा यात्राओं का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें उनके अनुयायी भाग लेते हैं।
गुरु रविदास जयंती के प्रेरणादायक उद्धरण:
“मन चंगा तो कठौती में गंगा।”
“जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात।”
गुरु रविदास जयंती हमें उनके द्वारा दिए गए समानता, एकता और आध्यात्मिकता के संदेश को याद करने और अपने जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करती है.
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