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आधुनिक समय में हिंदी और हम

आधुनिक समय में हिंदी और हम | Latest Hindi Banking jobs_3.1

मनुष्य के संचार का सबसे अच्छा माध्यम भाषा है, जिससे वह आसानी से किसी भी अन्य व्यक्ति के सामने भावनाओं को व्यक्त कर सकता है। मानव सभ्यता के विकास के साथ भाषा में भी निरंतर विकास होता जाता है। आज के दौर में दुनिया भर में हजारों भाषाएँ बोली जाती हैं पर उन सभी भाषाओँ में कुछ भाषाएँ ऐसी भी है, जिनका प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है और दुनिया भर में बहुत बड़ी तादाद में लोग उन भाषाओं को बोलते हैं। जिनमें से एक हिंदी भाषा भी है। हिंदी हमारे भारत में रहने वाले लगभग 42% लोगों की मातृभाषा है, जिसके सम्बन्ध में भारतेंदु हरिश्चंद्र लिखते हैं- 
‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल’।

अर्थात मातृभाषा की उन्नति बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना भी मुश्किल है। आप दुनिया के किसी भी देश में चले जाएँ और कोई भी भाषा बोलने लगें और वर्षों तक अपनी भाषा और देश से दूर रहने के बाद भी आपको अपनी भावना अपनी मातृभाषा में व्यक्त करने में जो संतुष्टि मिलेगी वो किसी अन्य भाषा में नहीं मिलेगी, जो सुकून और अपनापन आपको अपनी मातृभूमि में आकर मिलेगा वह कहीं नहीं मिलेगा। यही कारण हैं कि हम भारत वासियों का जो लगाव हिंदी भाषा के प्रति है, वह किसी अन्य भाषा के प्रति नहीं है, और दुनिया भर में रहने वाले भारतीय लोग आपस में हिंदी में ही बात करना पसंद करते हैं।
तकनीकी में हिंदी भाषा :
प्रद्योगिकी में हिंदी भाषा को 1991 में जोड़ा गया। इलेक्ट्रॉनिकी विभाग के अधीन भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी विकास मिशन (टीडीआईएल) की स्थापना के साथ हुई। इसके बाद हिंदी भाषा को तकनीकी के क्षेत्र में मजबूत बनाने के लिए अनेक प्रकार के मिशन के तहत बड़ी संख्या में गतिविधियां संचालित की गईं। हिंदी भाषा का जन्म संस्कृत से हुआ है और संस्कृत को मशीन की सबसे अधिक उपयुक्त भाषा माना गया है। वैसे ही हिंदी भी एक वैज्ञानिक भाषा है, जिसके वर्णों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अनेक वर्गों जैसे कंठ, तालू, होष्ठ आदि में बाँटा गया है। इसीलिए यह किसी अन्य भाषा से अधिक उपयुक्त और सीखने में सरल भाषा है।  जिसमें व्याकरण संबधी त्रुटिय बहुत कम है, हिंदी में जो लिखा जाता है उसका उच्चारण भी वही होता है। इसलिए तकनिकी में भी इसका उपयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जा सकता है।
आज इन्टरनेट में हिंदी भाषा का काफी अधिक प्रयोग हो रहा है। नए-नए सॉफ्टवेयर बनाये जा रहें है, जिससे हिंदी को आसानी से कम्पूटर में लिखा जा सके। ऑनलाइन किताबें और लेख हिंदी में बहुत अधिक मात्र में उपलब्ध है। इन्टरनेट में हिंदी भाषा दिन प्रति दिन प्रगति कर रही है। भारत में करोड़ों लोग आज मोबाइल और कंप्यूटर में हिंदी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।
इस प्रकार देखें तो आज हिंदी का विस्तार सभी क्षेत्रों में होता जा रहा है। वर्ष 2017 में राजभाषा आयोग ने ‘लीला मोबाइल ऐप‘ लाँच किया जिससे कोई भी देश में आसानी से हिंदी भाषा सीख सकता है। आज देश में हिंदी सबसे अधिक प्रभावशाली भाषा है, इसलिए सभी क्षेत्रों में उसका विकास होना बहुत आम बात है। हिंदी के विकास से आज गरीब और पिछड़े हुए लोग भी मुख्या धारा से जुड़ सके है। 
वैश्विक स्तर पर हिंदी 
भारत दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों में से एक बन रहा है, इसलिए हिंदी भाषा का दबदबा पूरे विश्व में बढ़ता जा रहा है। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाये और अपने विदेशी दौरों में भी ज्यादातर भाषण हिंदी भाषा में दिए, आजकल राज्यसभा, लोकसभा व ज्यादातर सरकारी कार्यों में हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी जा रही है। अनेक विद्यालयों में हिंदी माध्यम में पढाई करने का विकल्प उपलब्ध किया जा रहा है। आज दक्षिण भारत में भी हिंदी भाषा पढ़ने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है और देश हिंदी भाषा के रंग में रंगा जा रहा है।  आजकल विदेशी एयरपोर्ट पर विदेशियों द्वारा टूटी-फूटी ही सही लेकिन हिंदी में बात करना ये दर्शाता है कि अब हिंदी का दायरा सचमुच बड़ा हो चुका है। इसी प्रकार प्रवासी भारतीय लोगों ने भी बीते 100 सालों में हिंदी भाषा के प्रति रूचि दिखाते हुए हिंदी साहित्य को बढ़ावा दिया है। बहुत से प्रवासी लेखकों ने विदेशों में चुपचाप लेखन किया तो कुछ लोग भारत में धर्मयुग जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर लोकप्रिय हुए, जिनमें उषा प्रियंवदा और सोमावीरा आदि लेखक, लेखिका प्रमुख हैं।
कोई भी भाषा सिर्फ बड़े तदात में बोले जाने से महत्वपूर्ण नहीं हो जाती बल्कि उसका महत्त्व तब बढ़ता है जब उस भाषा में उन्नत विचार का जन्म होता है। पिछले हजार सालों में हिंदी साहित्य ने न जाने कितने घावों का दर्द अपने अन्दर समेट लिया, न जाने कितने वीर पुरुषों की वीरगाथाओं और संघर्षों पर चिंतन किया। दुनिया भर की भाषाओं के साहित्यों में जिस विचारधारा का जन्म लगभग 17वीं-18वीं शताब्दी के आसपास हुआ था, जिसमें जातिप्रथा, स्त्रीशोषण, गुलामी आदि विचारधाराएँ थी। हिंदी में इन विचारधारों का जन्म सैकड़ों वर्षों पहले ही हो गया था। चौदहवीं शताब्दी के लगभग जन्में कबीरदास लिखतें है-
जाति-पांति पूछे नहिं कोई।
हरि को भजै सो हरि का होई॥
भारत में ही नहीं पूरे विश्व में हैं हिंदी बोलने वाले लोग-
आज हिंदी भाषा का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। आज दुनिया में चीनी भाषा के बाद हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाती है। 2011 जनगणना में सरकार के सर्वे के अनुसार 42 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा हिंदी है, वहीं 75 प्रतिशत लोग हिंदी बोल सकते हैं । अब वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया के सभी कोनों में भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर लोगों को हिंदी भाषा का ज्ञान है । भारत के बाहर हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 6,48,983; मॉरीशस में 6,85,170; दक्षिण अफ्रीका में 8,90,292; यमन में 2,32,760; युगांडा में 1,47,000; सिंगापुर में 5,000; नेपाल में 8 लाख; जर्मनी में 30,000 हैं जबकि न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है ।

इन्हें भी देखें :
आधुनिक समय में हिंदी और हम | Latest Hindi Banking jobs_4.1आधुनिक समय में हिंदी और हम | Latest Hindi Banking jobs_5.1

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