लोकसभा ने हाल ही में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पारित किया, जो बैंक खातों में नामांकन नीतियों के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव करता है. इस विधेयक में खाताधारकों को अपने बैंक खातों में अधिकतम चार नामांकित व्यक्तियों को जोड़ने की अनुमति दी गई है। साथ ही, इसमें अन्य सुधार भी शामिल हैं, जो बैंकिंग संचालन और ग्राहकों की सुविधा को बढ़ाने के उद्देश्य से किए गए हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- नामांकन में लचीलापन:
खाताधारकों को अब अपने खातों में चार तक नामांकित व्यक्तियों को जोड़ने की अनुमति होगी।- जमाकर्ताओं के लिए उत्तराधिकार या साथ-साथ नामांकन की सुविधा होगी।
- लॉकर धारकों को केवल उत्तराधिकार नामांकन की सुविधा दी जाएगी।
- “महत्वपूर्ण रुचि” की नई परिभाषा:
- बैंक निदेशकों के लिए “महत्वपूर्ण रुचि” की सीमा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ करने का प्रस्ताव है।
- सहकारी बैंकों में निदेशकों का कार्यकाल:
- सहकारी बैंकों के निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रस्ताव है।
- यह संविधान के 97वें संशोधन अधिनियम, 2011 के अनुरूप किया जाएगा।
- केंद्रीय और राज्य सहकारी बैंकों में एकसमान निदेशक:
- विधेयक के पारित होने पर केंद्रीय सहकारी बैंक का निदेशक राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में भी सेवा दे सकेगा।
- लेखापरीक्षकों के पारिश्रमिक में छूट:
- बैंकों को वैधानिक लेखापरीक्षकों को दिए जाने वाले पारिश्रमिक के संबंध में अधिक छूट दी जाएगी।
- रिपोर्टिंग तिथियों का पुनर्निर्धारण:
- बैंकों के लिए नियामक अनुपालन की रिपोर्टिंग की तिथि को दूसरे और चौथे शुक्रवार से बदलकर हर महीने की 15वीं और अंतिम तिथि कर दिया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा,
“प्रस्तावित संशोधन बैंकिंग क्षेत्र में शासन को मजबूत करेंगे और ग्राहकों के लिए नामांकन प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएंगे। हमारा उद्देश्य बैंकों को सुरक्षित, स्थिर और स्वस्थ बनाना है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विधेयक बैंकों की स्थिरता सुनिश्चित करने के साथ-साथ निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर कई आलोचनाएं कीं और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
- कांग्रेस के गौरव गोगोई ने चीन से बढ़ते आयात और नोटबंदी व चुनावी बांड को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की रानी श्रीकुमार ने एटीएम निकासी और एसएमएस अलर्ट जैसी बुनियादी बैंकिंग सेवाओं के शुल्क पर चिंता जताई।
- एनसीपी की सुप्रिया सुले ने वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा कि दोषियों को जेल जाने से पहले पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए।
- कांग्रेस के कार्ति चिदंबरम ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रुपये की विनिमय दर डॉलर के मुकाबले ₹84.73 पर है, जबकि वित्तीय वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में विकास दर 5.4% है, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है।
आगे की राह
यह विधेयक अब राज्यसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इसके लागू होने के बाद, बैंकों को अपनी परिचालन प्रक्रियाओं को नए नियमों के अनुरूप बदलना होगा। साथ ही, खाताधारकों को अपने नामांकन विवरण को अपडेट करना अनिवार्य होगा।
यह विधेयक बैंकिंग क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों का प्रतिनिधित्व करता है और ग्राहकों की सुविधा व सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।