Latest Hindi Banking jobs   »   क्लाउड सीडिंग क्या है?

क्लाउड सीडिंग क्या है? दिल्ली में क्यों हो रहा ट्रायल, कैसे मिलेगी ‘आर्टिफिशियल बारिश’

What is Cloud Seeding? दिल्ली में प्रदूषण की मार से निजात पाने के लिए सरकार ने क्लाउड सीडिंग यानी ‘मेघ बीजन’ का पहला सफल ट्रायल किया है। यह तकनीक आम बारिश से अलग पूरी तरह वैज्ञानिक है—जिसमें हवाई जहाज या ड्रोन के जरिये बादलों में खास रसायन जैसे सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड छोड़ा जाता है। ये कण हवा में नमी को जकड़ते हैं, जिससे बादलों में पानी का जमाव बढ़ता है और बूँदें भारी होकर जमीन पर गिरती हैं, यानी कृत्रित बारिश होती है।

दिल्ली में क्यों हुआ क्लाउड सीडिंग ट्रायल?

दिल्ली में दिवाली के बाद धुंध और स्मॉग सामान्य से कई गुना ज्यादा हो जाता है। इसी वजह से 2025 में IIT कानपुर और दिल्ली सरकार के साझा प्रोजेक्ट के तहत 30 से अधिक इलाकों में क्लाउड सीडिंग की मंजूरी मिली। ट्रायल के दौरान कंकर, सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड जैसे उपायों से हवा में पर्याप्त नमी जुटाकर बारिश कराने की कोशिश हुई।

इस तकनीक से उम्मीद है कि आसमान से नीचे गिरने वाली बारिश वायु प्रदूषण, स्मॉग, और हानिकारक धूलकणों को काफी हद तक साफ कर सकेगी।

cloud seeding

क्लाउड सीडिंग की पूरी प्रक्रिया

  • सबसे पहले मौसम विभाग उपग्रह से बादलों की नमी और स्थिति देखता है
  • यदि बादल में नमी 20% से ज्यादा हुई तो विमान या ड्रोन से सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड आदि का छिड़काव किया जाता है
  • ये कण बादलों में पानी के कणों को जोड़ते हैं और उन्हें भारी बनाकर बारिश की प्रक्रिया को तेज करते हैं
  • ट्रायल के बाद बारिश 15 मिनट से 4 घंटे के बीच हो सकती है

दिल्ली क्लाउड सीडिंग ट्रायल: हाइलाइट्स

  • ट्रायल IIT कानपुर के विज्ञानियों व दिल्ली सरकार की निगरानी में
  • सबसे पहले बुराड़ी, क्केकड़ा, करोल बाग, सदाकपुर, भोजपुर में ट्रायल
  • 5 ट्रायल्स की मंजूरी, करीब ₹3.21 करोड़ लागत
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 305 पर, जो ‘बहुत खराब’ केटेगरी में था
  • मौसम अनुकूल न होने पर बारिश असफल भी हो सकती है

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग तकनीक से प्रदूषण नियंत्रण की नई उम्मीद जगी है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो देश के अन्य महानगरों में भी इसे लागू किया जा सकता है।

इन्हे भी पढ़ें:-

prime_image

FAQs

क्लाउड सीडिंग क्या है?

यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें बादल में रसायन डाला जाता है ताकि कृत्रिम बारिश कराई जा सके।

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग क्यों की गई?

दिवाली के बाद बढ़ते प्रदूषण और स्मॉग को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश की जरूरत पड़ी।

क्या तकनीक से तुरंत बारिश हो जाती है?

नहीं, बारिश 15 मिनट से 4 घंटे के बीच हो सकती है—वायु में नमी जरूरी है।

भारत में क्लाउड सीडिंग का प्रयोग पहले कहां और कब हुआ?

पहली बार 1952 में भारत में परीक्षण हुआ, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी उपयोग किया गया।

क्या क्लाउड सीडिंग पूरी तरह सफल है?

कई बार मौसम और नमी न होने पर ट्रायल विफल हो सकता है। इसकी सफलता की दर मौसम पर निर्भर करती है।

About the Author

Experienced content professional with 7+ years in digital content creation, SEO writing, and educational journalism. Working at Adda247, leading content generation for the aspirants of Govt job like - Banking, SSC, Railway etc. I specialize in developing accurate, student-focused content on government job exams, results, admit cards, and current affairs. Committed to delivering high-quality, search-optimized articles that inform and empower aspirants across India.