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World Environment Day 2020 : विश्व पर्यावरण दिवस, इतिहास, थीम, बचाव

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World Environment Day 2020 in Hindi |  World Environment Day 2020 History Theme | Vishwa Paryavaran Sanrakshan Diwas Facts  
मानव जीवन प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है. हजारों वर्षों से हम प्रकृति पर आश्रित है. पर पिछले कुछ दशकों से हमने आवश्यकता से अधिक प्राकृतिक सम्पदा का दोहन शुरू कर दिया. बड़े पैमाने में Industrialisation, Urbanisation (शहरीकरण) किया गया. जिसके परिणाम यह ही कि पृथ्वी के वातावरण में  अनेक परिवर्तन हुए, जैसे तापमान में बढोत्तरी, ओजोन परत में छेद होना इसके साथ ही बाढ़ और सूखे जैसी समस्याओं का बढ़ना है. Nature अर्थात प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है. ऐसे में हमें इस प्रकृति का  संरक्षण करना चाहिए. प्रकृति के इसी महत्त्व को देखते  हुए हर साल 5 जून को  World Environment Day मनाया जाता है. इसके माध्यम से प्रकृति के प्रति लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया जाता है. 

World Environment Day theme – क्या है थीम

हर साल पर्यावरण दिवस को मनाने के लिए एक थीम रखी जाती है. इस वर्ष  पर्यावरण दिवस का थीम है – टाइम फॉर नेचर’ अर्थात प्रकृति के लिए समय और बायोडायवर्सिटी. इसके माध्यम से  जीवन के लिए जैव विविधताओं के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना है. हमारे  लगातार दोहन से प्रकृति की स्थिति लगातार ख़राब हुई है. ऐसे में हमें कुछ ऐसे तरीके अपनाने चाहिए, जिससे हम   पर्यावरण की रक्षा में योगदान दे सकें. हम आज कुछ तरीके बताएँगे कि आप कैसे पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं.


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World Environment Day History – विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 1972 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें 119 देश शामिल हुए थे. इसके बाद से  5 जून को विश्‍व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा.  1972 में ही इस दिन को मनाने की नींव राखी गई थी. 

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प्लास्टिक का प्रयोग न करें – 

आज के समय में प्लास्टिक सबसे अधिक पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है. प्लास्टिक की वजह से कितने ही जीव आज विलुप्त होने की कगार में है. समुद्री जीवों को भी प्लास्टिक ने बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया है. कछुए, मछली, सीबर्ड और अन्य जीव जन्तुओं को इसका सामना करना पड़ रहा  है. 

बारिश के पानी का संग्रह – 

आज के समय में मनुष्यों के लिए सबसे बढ़ी समस्या पानी है. लगातार पानी की कमी हो रही है. कई देशों में तो पानी न के बराबर रह गया है. ऐसे में बारिश के पानी का संरक्षण करना चाहिए.

कोयले की जगह अन्य एनर्जी सोर्स से बिजली बनायें – 

कोयले से बिजली बनाने में कार्बन डायऑक्साइड और निट्रस ऑक्साइड गैस प्रकृति में मिल जाती है. इस लिए हमें कोशिश करना चाहिए कि हम बिजली बनाने में सौर्य ऊर्जा, पवन चक्की और अन्य सोर्स की मदद लें. 

अधिक से  अधिक पौधें लगाना – 

पौधे प्रकृति के लिए  बहुत जरुरी है यह पर्यावरण की हवा को शुद्ध करने के साथ ही तापमान को भी स्थिर रखने में मदद करते हैं. साथ ही ओक्सीजन का सोर्स भी है. जिसके बिना मनुष्य जिन्दा नहीं रह सकता है. 

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