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सऊदी अरब : ड्रोन हमले के बाद दुनिया भर बढीं कच्चे तेल की कीमत

सऊदी अरब : ड्रोन हमले के बाद दुनिया भर बढीं कच्चे तेल की कीमत | Latest Hindi Banking jobs_2.1
सऊदी अरब में दुनिया की सबसे बड़ी तेल प्रसंस्करण सुविधा(ऑयल प्रॉसेसिंग फैसिलिटी) पर ड्रोन हमलों के बाद दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। Buqyaq और Khurais में तेल क्षेत्रों पर 14 सितंबर 2019 की सुबह हमला किया गया था। ड्रोन हमला की वजग से वैश्विक रूप से कच्चे तेल की आपूर्ति में  सबसे समस्या पैदा हो गई है  और फारस की खाड़ी में तनाव और बढ़ा गया है। सऊदी अरामको द्वारा संचालित Buqyaq में अबकैक सबसे बड़ा ऑयल प्रॉसेसिंग फैसिलिटी है। यह सुविधा कच्चे तेल का शुद्धिकरण करके, फारस की खाड़ी और लाल सागर पर ट्रांसशिपमेंट बिंदुओं भेजती है। अनुमान है कि यह प्रति दिन 7 मिलियन बैरल कच्चे तेल का शुद्धिकरण कर सकता है।  Buqyaq सऊदी की राजधानी रियाद से 330 किलोमीटर (205 मील) की दूरी पर स्थित है।

सऊदी अरब के तेल क्षेत्र का महत्व:

सऊदी अरब से प्रति दिन दुनियाभर में 100 मिलियन बैरल की आपूर्ति होती है जो कुल वैश्विक आपूर्ति का 10% है। लेकिन, तेल क्षेत्रों पर ड्रोन के हमलों ने दुनिया में संकट पैदा कर दिया है क्योंकि हमलों ने एक दिन में 5.7 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन बंद कर दिया है जो सऊदी अरब के वैश्विक दैनिक निर्यात का आधा है।  जो दुनिया के दैनिक कच्चे तेल के उत्पादन का 5% है।

दुनिया पर “तेल क्षेत्र हमलों” का प्रभाव:


भू-राजनीतिक घटना ने न केवल दुनिया में संकट पैदा किया है, बल्कि कच्चे तेल की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। हमलों के बाद, अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत10.2% उछलकर 5.61 डॉलर प्रति बैरल, न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज पर इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में 60.46 डॉलर प्रति बैरल हो गई। जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड 13%, बढ़कर $ 7.84 प्रति बैरल हो गया है।

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उपरोक्त घटना ने भारत में परिवहन ईंधन की कीमतों में वृद्धि की आशंका को भी बढ़ा रही है। यदि तेल की कीमतों में 10% की वृद्धि होती है, तो भारत को कर्रेंट अकाउंट डेफिसिट में 0.4-0.5% की वृद्धि होने की भी आशंका है। विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक कीमतों में किसी भी अप्रत्याशित वृद्धि का भारत के तेल आयात बिल और इसके व्यापार घाटे पर भारी प्रभाव पड़ेगा। डॉलर के मजबूत होने से भारत में तेल की कीमत में भी वृद्धि होगी और वार्षिक आधार पर आयात बिल में 10,700 करोड़ रुपये का इजाफा होगा, क्योंकि डॉलर की अधिक मांग के कारण रुपया कमजोर होता है। यह सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च करने की सरकार की क्षमता को भी प्रभावित करेगा।

हाल ही हुए परिवर्तन:

सऊदी अरामको के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमीन नासर ने हाल ही में घोषणा की, कि कंपनी की उत्पादन क्षमता जो पहले अबैक और खुराओं में अपने संयंत्रों पर आतंकी हमलों के कारण बंद थी, सितंबर के अंत तक पूरी तरह से शुरू हो जाएगी।

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