28 सितंबर, 1907 को ब्रिटिश भारत में पंजाब में पैदा हुए
भगत सिंह एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी हैं, जो समाजवादी क्रांतिकारी थे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को लुधियाना के नाघरा मोहल्ला में रामलाल थापर और रल्ली देवी के घर हुआ और
राजगुरु का जन्म में 24 अगस्त, 1908 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के खेड़े में मध्यवर्गीय परिवार में हुआ. इन सभी ने बड़े पैमाने ब्रिटिश राज के लगातार भारत पर अन्याय और शोषण को देखा था. 18 दिसंबर 1928 को
लाहौर षडयंत्र मामले के लिए इन तीनों को याद किया गया जाता है. उन्हें 23 मार्च, 1931 को लाहौर जेल में औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी के तख़्त पर लटका दिया गया था.हम राम प्रसाद बिस्मिल द्वारा कही गयी सुंदर पंक्तियों के साथ उनको याद करते है जो हमारे खून में देशभक्ति प्रवाह और भी तेज़ कर देता है.
“सरफ़रोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बात-चीत
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे उपर निस्सार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है“
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत हमारे इतिहास में एक भावुक हिस्सा है. इन तीनों ने औपनिवेशिक शासकों से भारत की आजादी के लिए लड़े और अपना जीवन बलिदान किया. तीनो ने अपनी यौवन अवस्था के चरम पर अपना जीवन बलिदान कर दिया ताकि दूसरो को गौरवशाली जीवन प्रदान किया जा सके. अपनी फांसी के दिन, वे मुस्कुराते सिर्फ एक नारे के ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के साथ फांसी के तख्ते पर लटक गये. यह उनका ही बलिदान था जो अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को लगातार आंदोलन को तेज़ करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था. जिससे अंततः भारत स्वतंत्रता हुआ.