RBI Releases Revised Priority Sector Lending Guidelines 2020 | guidelines related to Priority Sector Lending (PSL) in Hindi
भारतीय रिज़र्व बैंक(RBI) ने, सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद उभरती राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने और समावेशी विकास पर गहन ध्यान केंद्रित करने हेतु, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार (पीएसएल) दिशानिर्देशों की व्यापक समीक्षा की है।
संशोधित पीएसएल दिशानिर्देश (Revised Priority Sector Lending Guidelines) ऋण की कमी वाले क्षेत्रों में ऋण गति को बेहतर करने में सक्षम होगा; छोटे और सीमांत किसानों और कमजोर वर्गों को उधार में वृद्धि; नवीकरणीय ऊर्जा, और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के लिए ऋण को बढ़ावा देगा।
स्टार्ट-अप्स को बैंक वित्त (₹ 50 करोड़ तक); प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में वित्त के लिए पात्र नई श्रेणियों में ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सोलराइजेशन के लिए सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए किसानों को ऋण और कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) संयंत्रों की स्थापना को शामिल किया गया है। संशोधित पीएसएल दिशानिर्देशों की कतिपय मुख्य विशेषताएं हैं:
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प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के ऋण के प्रवाह में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिए, ‘पहचान किए गए जिलों’ में वृद्धिशील प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण को उच्च प्राथमिकता दी गई है, जहां प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम है।
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“छोटे और सीमांत किसानों” और “कमजोर वर्गों” के लिए निर्धारित लक्ष्यों को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जा रहा है।
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किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) / किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) के लिए उच्च ऋण सीमा को पूर्व निर्धारित मूल्य पर अपनी उपज के सुनिश्चित विपणन के साथ खेती करने के लिए निर्दिष्ट किया गया है।
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नवीकरणीय ऊर्जा के लिए ऋण सीमा बढ़ा दी गई है(दोगुनी)।
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स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे (आयुष्मान भारत सहित) के लिए ऋण सीमा दोगुनी कर दी गई है।
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किसे कहते हैं प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार (What is Priority Sector Lending-PSL)?प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र, वे क्षेत्र होते हैं, जिन्हें भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक देश की मूलभूत ज़रूरतों के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण मानते हैं और इन क्षेत्रों को अन्य क्षेत्रों पर प्राथमिकता दी जानी चाहिये। लेकिन, इन क्षेत्रों को समय पर पर्याप्त मात्रा में ऋण नहीं मिल पाता है।
ऐसे में केंद्रीय बैंक द्वारा ऐसे क्षेत्रों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये बैंकों को अपनी कुल उधारियों का एक निश्चित भाग इन क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से वितरित करने का आदेश दिया गया है। इसे ही प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग(Priority Sector Lending (PSL)) कहा जाता है।
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