बैंकिंग क्षेत्र में परक्राम्य लिखत (Negotiable Instruments)
बैंकिंग क्षेत्र सुचारू रूप से चलने के लिए परक्राम्य लिखत (Negotiable Instruments) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये लिखित दस्तावेज भविष्य में या मांग पर एक निश्चित राशि के भुगतान का वादा करते हैं। परक्राम्य लिखतों की खासियत यह होती है कि इन्हें हस्तांतरित (Negotiate) किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि मूल लेनदेन में शामिल न होने वाला कोई अन्य व्यक्ति भी इसे प्राप्त कर सकता है और भुगतान का दावा कर सकता है।
कौन-से होते हैं परक्राम्य लिखत (Negotiable Instruments)
परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 या निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 भारत का एक कानून है जो पराक्रम्य लिखत – प्रॉमिजरी नोट, बिल्ल ऑफ एक्सचेंज तथा चेक आदि से सम्बन्धित है. इस अधिनियम की धारा 13 (i) के अनुसार, एक परक्राम्य लिखत को एक हस्ताक्षरित दस्तावेज के रूप में परिभाषित किया गया है जो एक निर्दिष्ट व्यक्ति या असाइनमेंट को भुगतान करने का वादा करता है. दूसरे शब्दों में, हम इसे IOU के एक औपचारिक प्रकार के रूप में समझ सकते हैं: एक हस्तांतरणीय, हस्ताक्षरित दस्तावेज़ जो भविष्य की तारीख या मांग पर धनराशि का भुगतान करने का वादा करता है.
इसे ऐसे भी परिभाषित किया जा सकता हैं – परक्राम्य लिखत एक एक अनुबंध दस्तावेज है, जो या तो मांग पर, या निर्धारित समय पर, दस्तावेज पर भुगतानकर्ता के नाम के साथ किसी विशिष्ट राशि के भुगतान की गारंटी देता है. परक्राम्य लिखत एक्ट 1881, परक्राम्य लिखत को परिभाषित करता है जिसका अर्थ है कि एक वचन पत्र, विनिमय बिल या चेक, आदेशानुसार देय है या वाहक को देय है.
कुछ महत्वपूर्ण परक्राम्य लिखत (Negotiable Instruments) – चेक, मनीऑर्डर, प्रोमिसरी नोट्स, बिल ऑफ एक्सचेंज, डिपॉजिट के सर्टिफिकेट आदि हैं।
आइए, बैंकिंग क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख परक्राम्य लिखतों को देखें:
- हुंडी (Hundis): ये सबसे पुराने परक्राम्य लिखतों में से एक हैं। इसमें एक व्यक्ति (लेखक) दूसरे व्यक्ति (देय राशि का भुगतानकर्ता) को एक निश्चित राशि का भुगतान करने का आदेश देता है।
- बिल ऑफ एक्सचेंज (Bill of Exchange): यह एक लिखित आदेश होता है, जो लेखक किसी तीसरे पक्ष (देय राशि का भुगतानकर्ता) को देता है, ताकि वह एक निश्चित राशि का भुगतान एक निश्चित व्यक्ति (भुगतान प्राप्तकर्ता) को करे।
- चेक (Cheque): यह एक लिखित आदेश होता है, जो खाताधारक (लेखक) बैंक (देय राशि का भुगतानकर्ता) को देता है, ताकि वह उसके खाते से एक निश्चित राशि का भुगतान एक निश्चित व्यक्ति (भुगतान प्राप्तकर्ता) को करे। चेक बैंकिंग लेनदेन का सबसे आम रूप है।
- प्रॉमिसरी नोट (Promissory Note): यह एक लिखित वादा होता है, जो लेखक किसी निश्चित व्यक्ति (भुगतान प्राप्तकर्ता) को एक निश्चित राशि का भुगतान करने का वादा करता है। प्रॉमिसरी नोट का उपयोग आमतौर पर ऋण या उधार लिए गए धन के भुगतान के लिए किया जाता है।
- मनी ऑर्डर: बहुत हद तक चेक के समान हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि भुगतानकर्ता के वित्तीय संस्थान द्वारा जारी किया जाए. अक्सर मनी ऑर्डर जारी होने से पहले भुगतानकर्ता से नकद प्राप्त किया जाना चाहिए. एक बार payee द्वारा मनी ऑर्डर प्राप्त करने के बाद, इसे जारी करने वाली इकाई की नीतियों के अनुरूप नकद के लिए एक्सचेंज किया जा सकता है
परक्राम्य लिखत बैंकिंग क्षेत्र में निम्न कार्यों को पूरा करने में मदद करते हैं:
- भुगतान का एक सुविधाजनक तरीका प्रदान करना: परक्राम्य लिखतों का उपयोग करके बड़ी मात्रा में धन का भुगतान आसानी से किया जा सकता है।
- ऋण प्रदान करना: बैंक प्रॉमिसरी नोटों के आधार पर ऋण प्रदान करते हैं।
- बिल डिस्काउंटिंग (Bill Discounting): बिल ऑफ एक्सचेंज को परिपक्वता से पहले बेचा जा सकता है, जिससे व्यापारियों को कार्यशील पूंजी की प्राप्ति होती है।
- आयात और निर्यात व्यापार का वित्तपोषण: बिल ऑफ एक्सचेंज का उपयोग आयात और निर्यात व्यापार के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।
हालांकि, परक्राम्य लिखतों के कुछ नुकसान भी हैं, जैसे कि:
- जालसाजी का जोखिम: परक्राम्य लिखतों की जालसाजी हो सकती है।
- खोने का जोखिम: परक्राम्य लिखत खो जाने पर भुगतान रुकवाना मुश्किल हो सकता है।
- समय लगना: परक्राम्य लिखतों को प्रक्रिया करने में समय लग सकता है।