आप सभी जानते हैं कि आईबीपीएस आरआरबी परीक्षा 2019 की मेंस परीक्षा की तैयारी कर रहे होंगे. परीक्षा के पाठ्यक्रम के आधार पर आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए ADDA247 आपके लिए हिंदी की प्रश्नोतरी लेकर आया है. यह प्रश्नावली मुख्य परीक्षा की तयारी को और मजबूत करने के लिए अब से दैनिक स्तर पर आयोजित की जा रही है. सभी जानते हैं कि बैंकिंग परिक्षाओं में केवल आरआरबी ही एकमात्र ऐसी परीक्षा है , जो आपको अपनी भाषा का चयन का विकल्प देता है जिसमें आप अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी भाषा चुन सकते हैं. यह हिंदी भाषा क्षेत्र के उम्मीदवारों के लिए सफलता पाने का एक सुनहरा मौक़ा है, क्योंकि हम अपनी भाषा में अधिक से अधिक अंक स्कोर करने में सक्षम होते हैं. यदि आपका लक्ष्य इस वर्ष आईबीपीएस आरआरबी में सफलता पाना है, तो अभी से मेंस की तैयारी में जुट जाएँ. अपनी तैयारी को और बेहतर बनाते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये…
Directions (1-10) नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। कुछ शब्दों को मोटे अक्षरों में मुद्रित किया गया है, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी। गद्यांश के अनुसार, दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए।
आज से हजार साल पहले जब मनुष्य विकास के प्रारंभिक दौर में था, तो अपने मनोभावों को व्यक्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के इशारों का प्रयोग किया करता था। बाद में इसने कुछ चित्र आदि का रूप ले लिया, फिर कुछ-कुछ आवाज निकाल कर बातें होने लगीं और विकास का यह क्रम निरंतर बढ़ता चला गया। आज पूरे संसार में इतनी भाषाएँ बोलीं और समझी जाती हैं कि इसका हिसाब करना मुश्किल है। इनमें इतनी विविधतायें हैं कि कभी-कभी तो ये आपस में उलटी मालूम होती हैं। आज जब व्यक्ति जाति-धर्म, ऊँच-नींच, गरीब-अमीर आदि वर्गीकरण कर थक चूका है, तो बाटने के लिए एक नया वर्ग बना लिया है- “भाषा का वर्ग !” और इसके लिए भी लड़ाई हो रही है। यह वर्गीकरण इतना बढ़ गया है कि, साधारण आदमी सोच भी नहीं पता कि “मैं इसमें कहाँ हूँ ?” क्या भाषा कि भी कोई सीमा होती है? क्या इसका भी कोई वर्ग होता है? नहीं ! बिलकुल नहीं, भाषा कि कोई सीमा नहीं होती, इसका कोई वर्ग नहीं होता और हो भी नहीं सकता, क्योंकि भाषा तो एक ही है और वह है “प्रेम कि भाषा” ! जो तोड़ने का नहीं जोड़ने का काम करती है, मिलाने का काम करती है, प्यार बढ़ाने का काम करती है। इसका तो एक ही मतलब होता है “बस प्रेम’। जिसके लिए न भारी-भरकम शब्द कि जरूरत होती है और न मोटी-मोटी किताबों की। यह तो अनुभव करने की चीज है।
शुरू में हमारे पास न तो कोई शब्द थे और न ही कोई भाषा। थी तो केवल प्रेम की भाषा और प्रेम का भाव। तब भी हम अपने मनोभावों को व्यक्त करते थे, भले ही उस समय यह कठिन था। लेकिन बात तो होती थी। आज भी जानवरों के पास कोई शब्द नहीं कोई भाषा नहीं, लेकिन प्यार तो है। भाषा का काम तो बस इतना सा है की हम अपनी बात दूसरों को समझा दें और सामने वालों की बात समझ ले, बस और कुछ नहीं। भाषा तो बस सेतु का काम करती है, एक दूसरे को पास लाने में – एक दूसरे को जोड़ने में। इसलिए प्रेम और संगीत की कोई भाषा नहीं होती।
आज सारे संसार में हजारों-हजार प्रकार की भाषाएँ प्रयोग की जाती है । केवल भारत में ही सैकड़ों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती है। अगर हम भाषाओं के नाम पर इस प्रकार बटने लगें, तो इतने टुकड़ों में बट जायेगें जिन्हें जोड़ना शायद संभव न हो सकेगा। ऐसे में कुछ लोगों का मत है सारे संसार में बस केवल एक ही भाषा होनी चाहिए। और यह कुछ हद तक ठीक भी लगता है, एक भाषा होगी तो फिर कम से कम भाषा के नाम पर तो कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं होगा। लेकिन तब जीवन बस एकरंगी होकर रह जायेगा। इसमें कोई विविधता नहीं आ पायेगी, कोई उमंग नहीं रह पायेगी। अभी आप देश में एक छोर से दूसरे छोर तक जाएँ तो भाषाओँ की ऐसी रंगोली मिलेगी की आप दंग रह जायेगें। इस विविधता में भी एक एकता है, आनंद है, एक रस है। भले ही आप सामने वालों के शब्दों को ठीक-ठीक न समझ पायें, पर उनके मनोभावों को जरूर पढ़ लेगें। ऐसे ही सदियों से, लोग एक जगह से दूसरी जगह आया जाया करते थे, बिना किसी भय और डर के और आसानी से अपनी-अपनी संस्कृति का आदान प्रदान किया करते थे। यही है “प्रेम की भाषा”, जिसे कोई भी समझ सकता है, जानवर तक समझ लेतें हैं। बस थोड़ी सरलता होनी चाहिए, थोड़ा भाव होना चाहिए।
पर कुछ लोग इसमें भी राजनीती से बाज नहीं आते। अपने थोड़े से स्वार्थ के लिए भाषा के नाम पर लोगों को बाँट रहे हैं। और थोड़े नासमझ इसके लिए जान देने और लेने के लिए भी तैयार हो जातें हैं। ये लोग सही अर्थों में भाषा का मतलब समझ नहीं पाते। अपनी भाषा-संस्कृति की रक्षा का ये मतलब नहीं कि आप दूसरों कि भाषा-संस्कृति से घृणा करें। जैसे अगर आपको सम्मान पाना हो, तो दूसरों को सम्मान दें। अगर प्यार पाना हो तो, दूसरों को प्यार दें। इसी प्रकार दूसरों कि भाषा का सम्मान, मतलब अपनी भाषा का सम्मान। दूसरों की संस्कृति को प्यार, का मतलब अपनी संस्कृति से प्यार। भाषा-संस्कृति के नाम पर लड़ कर आप कुछ भी नहीं पा सकते, केवल द्वेष और घृणा ही बढ़ेगी। अगर आप कुछ पाना चाहतें हैं तो इसके लिए बस एक ही रास्ता है, और वो है “प्रेम का रास्ता ”।
Q1. गद्यांश के अनुसार, हजारों वर्ष पहले मनुष्य जब विकास के प्रारंभिक दौर में था तो वह अपने मनोभावों को किस प्रकार अभिव्यक्त करता था?
(a) पत्थरों पर लिख कर
(b) इशारों का प्रयोग करके
(c) भाषा का प्रयोग करके
(d) भाषा का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति द्वारा अभिव्यक्त करवाकर
(e) इनमें से कोई नहीं
Q2. गद्यांश के अनुसार, किसके लिए भारी-भरकम शब्दों की आवश्यकता नहीं होती है?
(a) शिक्षा
(b) प्रेम
(c) भाषा
(d) घृणा
(e) इनमें से कोई नहीं
Q3. गद्यांश के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा कथन भाषा के संदर्भ में असत्य है?
(a) भाषा प्रेम के लिए आवश्यक है
(b) भाषा सेतु का कार्य करती है
(c) एक-दूसरे को पास लाने का कार्य करती है
(d) भावों को आदान-प्रदान करती है
(e) इनमें से कोई नहीं
Q4. गद्यांश के अनुसार, वर्तमान में मनुष्य ने एक-दूसरे को बाँटने के लिए कौन सा नया वर्ग बनाया है?
(a) राजनैतिक-वर्ग
(b) भाषा-वर्ग
(c) धार्मिक-वर्ग
(d) दार्शनिक-वर्ग
(e) इनमें से कोई नहीं
Q5. गद्यांश के अनुसार, निम्नलिखित में से किसमें एकता, आनंद और रस तीनों हैं?
(a) आधुनिकता में,
(b) ऐतिहसिता में,
(c) विविधता में,
(d) आंचलिकता में,
(e) इनमें से कोई नहीं
Q6. गद्यांश के अनुसार, वह कौन सी भाषा है जिसे कोई भी समझ सकता है?
(a) साहित्य की भाषा
(b) प्रेम की भाषा
(c) आध्यात्म की भाषा
(d) वेदों की भाषा
(e) इनमें से कोई नहीं
Q7. गद्यांश के अनुसार, निम्नलिखित में से किस क्रिया का अर्थ, अपनी भाषा का सम्मान करना है?
(a) अपनी भाषा में महारथ हासिल करना
(b) कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करना
(c) दूसरों कि भाषा का सम्मान करना
(d) अन्य भाषाओं के साहित्य को अपनी भाषा में अनुदित करना
(e) इनमें से कोई नहीं
Q8.गद्यांश के अनुसार, किसकी कोई सीमा नहीं होती?
(a) विकास की
(b) संस्कृति की
(c) प्रकृति की
(d) भाषा की
(e) इनमें से कोई नहीं
Q9. गद्यांश के अनुसार, भाषा-संस्कृति के नाम पर लड़ने से किसमें वृद्धि होती है?
(a) द्वेष और घृणा में
(b) विविधता में
(c) राष्ट्रीयता में
(d) प्रथकत्व में
(e) इनमें से कोई नहीं
Q10. गद्यांश में प्रयुक्त शब्द ‘विविधता’ का समानार्थी शब्द है?
(a) समरूप
(b) अभिन्नता
(c) एकरूपता
(d) अनेकता
(e) इनमें से कोई नहीं
निर्देश(11-15) नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। गद्यांश के अनुसार, दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की आजादी भारत के नागरिकों की गारंटी के मूल अधिकारों में से एक है। यह स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आती है जो भारतीय संविधान में शामिल सात मौलिक अधिकारों में से एक है। अन्य अधिकारों में बराबरी का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, गोपनीयता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार और संवैधानिक उपाय के अधिकार शामिल हैं। भारत का संविधान हर नागरिक को स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति प्रदान करता है हालांकि कुछ सीमाओं के साथ। इसका मतलब यह है कि लोग स्वतंत्र रूप से दूसरों के बारे में अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं साथ ही सरकार, राजनीतिक प्रणाली, नीतियों और नौकरशाही के प्रति भी। हालांकि नैतिक आधार, सुरक्षा और उत्तेजना पर अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित किया जा सकता है। भारतीय संविधान में स्वतंत्रता के अधिकार के तहत देश के नागरिकों के पास निम्नलिखित अधिकार हैं: स्वतंत्रता से बोलने तथा अपनी राय और विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की आज़ादी। किसी भी हथियार और गोला-बारूद के बिना शांति से इकट्ठे होने की स्वतंत्रता। समूहों, यूनियनों और संघों के लिए स्वतंत्रता। स्वतंत्र रूप से देश के किसी भी हिस्से में घूमने के लिए। देश के किसी भी हिस्से में बसने के लिए स्वतंत्रता। किसी पेशे का अभ्यास करने की स्वतंत्रता। किसी भी तरह के व्यापार या उद्योग में शामिल होने की स्वतंत्रता बशर्ते वह गैरकानूनी ना हो। भारत सही अर्थों में एक लोकतांत्रिक देश के रूप में जाना जाता है। यहां के लोगों को सूचना का अधिकार है और सरकार की गतिविधियों पर वे अपनी राय भी दे सकते हैं। अभिव्यक्ति की आजादी मीडिया को उन सभी ख़बरों को साझा करने की शक्ति देती है जो देश में और साथ ही दुनिया भर में चल रही है। यह लोगों को अधिक जागरूक बनाती है और उन्हें दुनिया भर से नवीनतम घटनाओं के साथ जुड़ा हुआ रखती है। जहाँ अभिव्यक्ति की आजादी एक व्यक्ति को अपनी राय और विचारों को साझा करने और अपने समाज और साथी नागरिकों की भलाई के लिए योगदान करने का मंच प्रदान करती है वही इसके साथ कई कमज़ोर पहलू भी जुड़े हुए हैं। बहुत से लोग इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करते हैं। वे सिर्फ अपने विचारों को व्यक्त नहीं करते बल्कि दूसरों पर भी उन्हें लागू करते हैं। वे गैरकानूनी गतिविधियां करने के लिए लोगों का समूह बनाते हैं। मीडिया अपने विचारों और राय को व्यक्त करने के लिए भी स्वतंत्र है। कभी-कभी उनके द्वारा साझा की जाने वाली जानकारी आम जनता में आतंक पैदा करती है। अलग-अलग सांप्रदायिक समूहों की गतिविधियों से संबंधित कुछ समाचारों ने भी अतीत में सांप्रदायिक दंगों को जन्म दिया है। इससे समाज की शांति और सद्भाव में बाधा आ गई है।
इंटरनेट ने अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की आजादी बढ़ा दी है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के आगमन ने इसे और आगे बढ़ाया है। लोग इन दिनों हर चीज़ पर और सब कुछ पर अपने विचार देने के लिए उत्सुक है चाहे उन्हें इसके बारे में ज्ञान हो या नहीं। वे बिना किसी की भावनाओं की कद्र करते हुए या उनके मान-सम्मान का लिहाज़ करते हुए नफरतपूर्ण टिप्पणियां लिखते हैं। यह निश्चित रूप से इस आजादी का दुरुपयोग कहा जा सकता है और इसे तुरंत बंद होना चाहिए। प्रत्येक देश को अपने नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करनी चाहिए। हालांकि इसे पहले स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि यह व्यक्तियों के साथ-साथ समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर सके और यह सामान्य कार्य को बाधित ना करे।
Q11. गद्यांश के अनुसार, अभिव्यक्ति के संदर्भ में कौन सा कथन सत्य है?
(a) नागरिक अनुमति लेकर अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकते हैं
(b) नागरिक किसी भी व्यक्ति को कुछ भी कह सकते हैं
(c) नागरिकों द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति क़ानूनी दायरे में नहीं आती है
(d) नागरिक स्वतंत्र रूप से दूसरों के बारे में अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं
(e) इनमें से कोई नहीं
Q12. गद्यांश के अनुसार, निम्नलिखित में से किन बिन्दुओं पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया जा सकता है?
(a) नैतिक आधार पर
(b) सुरक्षा और उत्तेजना के आधार पर
(c) (a) और (b) दोनों
(d) धार्मिक आधार पर
(e) इनमें से कोई नहीं
Q13. गद्यांश के अनुसार, कौन लोगों को अधिक जागरूक बनाता है और उन्हें दुनिया की नवीनतम घटनाओं से जोड़े रखता है?
(a) प्रशासन
(b) मीडिया
(c) सिनेमा
(d) आध्यात्म
(e) इनमें से कोई नहीं
Q14. गद्यांश के अनुसार, कौन सा कथन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संदर्भ में सही नहीं है ?
(a) एक व्यक्ति अपनी राय और विचारों को साझा कर सकता है
(b) अभिव्यक्ति के माध्यम से व्यक्ति अपने समाज और साथी नागरिकों की भलाई के लिए योगदान कर सकता है
(c) अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग करना संभव नहीं है
(d) अभिव्यक्ति की आजादी भारत के नागरिकों की गारंटी के मूल अधिकारों में से एक है
(e) इनमें से कोई नहीं
Q15. गद्यांश के अनुसार, अभिव्यति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग कब होता है?
(a) जब व्यक्ति अपने विचारों को दूसरों पर भी लागू करते हैं
(b) जब व्यक्ति गैरकानूनी गतिविधियां करने के लिए लोगों का समूह बनाते हैं
(c) जब अभिव्यक्त किए गए विचारों से आम-जनता में आतंक पैदा होता है
(d) (a), (b) और (c) तीनों
(e) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
1. Ans. (b): हजारों वर्ष पहले मनुष्य इशारों का प्रयोग करके अपने मनोभावों को अभिव्यक्त करता था।
2. Ans. (b): प्रेम के लिए भारी-भरकम शब्दों की आवश्यकता नहीं होती है।
3. Ans. (a): भाषा प्रेम के लिए आवश्यक है, यह कथन गद्यांश के अनुसार असत्य है।
4 Ans. (b): वर्तमान में मनुष्य ने एक-दूसरे को बाँटने के लिए भाषा का वर्ग बनाया है।
5. Ans. (c): विविधता में एकता, आनंद और रस तीनों हैं।
6. Ans. (b): प्रेम की भाषा को कोई भी समझ सकता है।
7. Ans. (c): दूसरों कि भाषा का सम्मान करना, अपनी भाषा का सम्मान करना है।
8. Ans. (d): गद्यांश के अनुसार भाषा की कोई सीमा नहीं है।
9. Ans. (a): भाषा-संस्कृति के नाम पर लड़ने से द्वेष और घृणा में वृद्धि होती है।
10. Ans. (d): ‘विविधता’ का समानार्थी शब्द ‘अनेकता’ है।
11. Ans. (d):
Sol. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, सत्य कथन है- नागरिक स्वतंत्र रूप से दूसरों के बारे में अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।
12. Ans. (c):
Sol. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, नैतिक, सुरक्षा और उत्तेजना के आधार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
13. Ans. (b):
Sol. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, मीडिया लोगों को अधिक जागरूक बनाता है और उन्हें दुनिया की नवीनतम घटनाओं से जोड़े रखता है।
14. Ans. (c):
Sol. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संदर्भ में असत्य कथन है- अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग करना संभव नहीं है।
15. Ans. (d):
Sol. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, विकल्प (a), (b) और (c) तीनों में दिए गए कथनों द्वारा अभिव्यति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग होता है।