हाल में ही कर्नाटक मंत्रिमंडल ने विपक्षी दलों की आपत्तियों के बावजूद एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी जो कृषि उपज विपणन समिति (APMC) कानून में संशोधन करेगा. इससे बाजार तक किसानों की पहुँच की सुविधा में सुधार होगा. संशोधन का कदम किसानों के हितों की रक्षा के लिए किया गया है. जिससे वह कर्ज के बोझ में न फंसे और बिचौलियों के हस्तक्षेप को कम किया जा सके.
कृषि विपणन का अर्थ उन समस्त क्रियाओं से लगाया जाता है, जिनके माध्यम से कृषि उपज को उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है. इसके अंतर्गत आने वाली क्रियाएं संग्रहण एवं भण्डारण (Preservation and Storage), परिष्करण(Processing), श्रेणीकरण तथा प्रमाणीकरण (Grading and Standardisation), एकत्राीकरण(Collection) हैं.
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वर्तमान APMC system
आजादी के बाद भारत में गांवों की संपूर्ण वितरण प्रणाली (whole distribution system) को साहूकार या व्यापारी नियंत्रित करते थे. जिससे किसानों को बहुत कम लाभ होता था. इससे छुटकारा पाने के लिए और कृषकों को लाभ पहुँचाने के लिए राज्य सरकारों ने कृषि बाजार स्थापित किये, जिसके लिए APMC अधिनियमों को लागू किया. Agricultural Produce Market Committee (APMC) एक marketing board है, जो आमतौर पर भारत में एक राज्य सरकार द्वारा स्थापित किया जाता है ताकि किसानों को बड़े खुदरा विक्रेताओं(retailers) के शोषण से बचाया जा सके. जिससे किसान कर्ज के जाल में न फंसे. साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि खेत से लेकर retail price तक मूल्य उच्च स्तर तक न पहुँचे.
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APMC एक्ट फीचर
a) इस अधिनियम के अनुसार, राज्य को भूगोल और अन्य किसी प्रिंसिपल या उप बाजारों के आधार पर विभिन्न बाजारों में विभाजित किया जाता है. जब किसी विशेष क्षेत्र को बाजार क्षेत्र के रूप में घोषित कर दिया जाता है तो वह विशेष क्षेत्र बाजार समिति के अधिकार क्षेत्र में आ जाता है, इसके बाद किसी अन्य व्यक्ति या एजेंसी को स्वतंत्र रूप से थोक विपणन गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाती है.
b) बाजार समितियों द्वारा प्रबंधित इन बाजारों का गठन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है. मार्केट कमेटी में 10-20 सदस्य होते हैं जो सरकार द्वारा निर्वाचित या मनोनीत होते हैं लेकिन चुनाव rare होते हैं.
c) कृषि उपज से संबंधित विभिन्न खरीद और वितरण गतिविधियों को करने के लिए विभिन्न कमीशन एजेंटों या व्यापारियों को authorize करने की जिम्मेदारी बाजार समिति(market committee) की होती है. दूसरे शब्दों में, लाइसेंस राज आज के उदार भारत में प्रचलित है क्योंकि व्यापारियों को किसी भी गतिविधि को करने से पहले लाइसेंस लेना पड़ता था.
Current Affairs 2020
APMC System के दोष :
• नीचे दिए गए निम्नलिखित कारणों के कारण यह एकाधिकार की ओर जाता है:
1. यह मार्केट कमेटी की जिम्मेदारी है कि वहAPMC में विभिन्न गतिविधियों को करने के लिए बाजार क्षेत्र में कई कमीशन एजेंटों या व्यापारियों को अधिकृत करे.
2. किसान केवल अपने कृषि उत्पाद केवल इन कमीशन एजेंटों को या तो personal relations के माध्यम से या नीलामी की प्रक्रिया के माध्यम से बेच सकते हैं.
3.एजेंट एक साथ मिल कर एक निर्धारित मूल्य से अधिक उत्पादन नहीं करने के लिए कार्टेल तैयार कर सकते हैं, आखिरकार किसान को कम लाभ दे कर, अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं.
4. थोक व्यापारी(wholesalers) और खुदरा विक्रेता(retailers) केवल इन एजेंटों या व्यापारियों से कृषि उपज खरीदने के लिए मजबूर होते हैं. फिर वे थोक विक्रेताओं को उपज बेचने के लिए कार्टिलाइजेशन की तकनीक अपनाते हैं.
5. इसके कारण किसानों को अपनी उपज के लिए कम कीमत मिलती थी और अंत उपभोक्ता को उसी उपज को खरीदने के लिए अधिक पैसे चुकाने पड़ते थे जो शायद तब नहीं होता जब APMC की स्थिति नहीं होती थी.