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Marburg Virus क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज

Marburg Virus क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज | Latest Hindi Banking jobs_3.1

पश्चिम अफ्रीकी देश घाना (Ghana) में घातक मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) के दो केस सामने आए हैं। इसकी पुष्टि घाना के स्वास्थ्य अधिकारियों ने की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के कारण घाना में पिछले महीने दो लोगों की मौत हो गई थी। बता दें ये दोनों लोग मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) से संक्रमित पाए गए थे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने  17 जुलाई 2022 को एक बयान में कहा कि घाना ने अत्यधिक संक्रामक मारबर्ग वायरस रोग के अपने पहले दो मामलों की पुष्टि की है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, घाना के दक्षिणी अशांति क्षेत्र के दो अलग-अलग रोगियों में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इन दोनों मरीजों में दस्त,  बुखार, मतली तथा उल्टी के लक्षण दिखे थे।

Marburg Virus क्या है?

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मारबर्ग वायरस कोरोना की ही तरह चमगाड़ों के स्रोत के वजह से होने वाली एक बीमारी है. बता दें ये एक गंभीर अक्सर घातक रक्तस्रावी बुखार है. मारबर्ग, इबोला की तरह एक फाइलोवायरस है तथा दोनों रोग चिकित्सकीय रूप से समान हैं. मारबर्ग वायरस के वजह से मारबर्ग वायरस डिजीज (MVD) का खतरा होता है तथा इसकी मृत्युदर 88 प्रतिशत से अधिक हो सकती है. बताया जा रहा है कि मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) इबालो से भी ज्यादा तेजी से संक्रमण फैलाता है. 

Marburg Virus कैसे फैलता है?

विशेषज्ञों के अनुसार, इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के रक्त, शरीर के तरल पदार्थ जैसे लार, पसीना, मल, उल्टी, इत्यादि के संपर्क में आने से संक्रमण दूसरे लोगों में फैल सकता है। यही नहीं संक्रमित व्यक्ति के कपड़े एवं बिस्तर के इस्तेमाल से भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।

Marburg Virus के लक्षण

रिपोर्ट्स के अनुसार, मारबर्ग वायरस से पीड़ित इंसान में इसके लक्षण आने में 2 से 21 दिन का समय लगता है। इससे संक्रमित मरीज में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना और मायलगिया जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसका इलाज यदि समय पर नहीं किया जाता तो ये जानलेवा साबित हो सकता है।

Marburg Virus का इलाज

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीज को इलाज के तौर पर उसे लिक्विड डाइट देना चाहिए। मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीज को ऑक्सीजन और ब्लड प्रेशर की स्थिति को कंट्रोल में रखने और खून की कमी न होने देने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए। वहीं, संक्रमित व्यक्ति को क्वारंटीन में रखना चाहिए तथा इस दौरान उसके द्वारा उपयोग की गई किसी भी वस्तु से उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए। 

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