भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की, अब नई दर 6% , GDP ग्रोथ अनुमान घटाकर 6.5% किया गया
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में आज बड़ा फैसला लिया गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ऐलान किया कि रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स (0.25%) की कटौती की गई है। अब नई रेपो रेट 6% हो गई है, जो पहले 6.25% थी। यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया।
रेपो रेट में कटौती: क्या होगा असर?
रेपो रेट में कटौती का सीधा असर लोन लेने वालों पर पड़ेगा, क्योंकि अब बैंकों के पास सस्ते में पैसे उपलब्ध होंगे। इससे होम लोन, पर्सनल लोन, और ऑटो लोन की EMI घट सकती है, जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
GDP ग्रोथ अनुमान घटा
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.5% कर दिया है। इससे पहले यह अनुमान 6.8% के आसपास था। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए पारस्परिक टैरिफ्स का असर भारत की विकास दर पर पड़ रहा है।
महंगाई और आर्थिक स्थिति पर नजर
इस बैठक में मुद्रास्फीति (CPI Inflation) के आंकड़ों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। आरबीआई ने बताया कि आगे चलकर महंगाई दर में कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन वैश्विक परिस्थितियों पर लगातार नजर रखने की आवश्यकता है।
पिछली बार कब बदली थी रेपो रेट?
इससे पहले फरवरी 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में भी रेपो रेट में कटौती की गई थी। तब से लेकर अब तक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है, जिससे इस बार की बैठक को काफी अहम माना जा रहा था।
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने क्या कहा?
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा,
“हम वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू चुनौतियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस फैसले से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिलेगी।”
रेपो रेट में कटौती से जहां आम जनता को EMI में राहत मिल सकती है, वहीं GDP ग्रोथ अनुमान में गिरावट से यह साफ है कि आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां बरकरार हैं। आगामी महीनों में आरबीआई की रणनीति पर सभी की नजर बनी रहेगी.