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क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA)
जैसे कि आप नाम से ही समझ सकते हैं कि यह देश की सुरक्षा से सम्बंधित हैं. इस कानून के माध्यम से उन पर लगाम लगाईं जाती है जो देश की सुरक्षा के आड़े आते हैं अर्थात ऐसे लोग जो देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं. उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के लिए यह कानून प्रयोग में आता है. अगर ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा बना हुआ है ऐसे में NSA के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है. इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने हिरासत में रखा जा सकता है अगर सरकार को मामले से संबंधित नए सबूत मिलते हैं तो समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है. कुल मिला कर इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना न्यायिक प्रक्रियाओं से गुज़रे सीधे ही गिरफ्तार किया जा सकता है.
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम कब अस्तित्व में आया –
वैसे तो भारत में यह कानून प्रभावी रूप से इंदिरा गांधी की सरकार के कार्यकाल में 23 सितंबर, 1980 को आया. लेकिन अगर इसकी पृष्ठभूमि (background) देखें तो भारत में सबसे पहले बंगाल विनियमन- III, 1818 के दौरान एक ऐसा ही कानून लाया गया था जो निवारक निरोध कानून था. इसके बाद 1919 में रोलेट एक्ट(Rowlatt Acts) अंग्रेजी सरकार लेकर आई, जिसके तहत संदिग्घ लोगों को सीधे गिरफ्तार करने की अनुमति दी गई. आजाद भारत में निवारक निरोधक अधिनियम (Preventive Detention Act- PDA) 1950 में आया जिसे 31 दिसंबर, 1969 को लागू किया गया. इसके बाद आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (Maintenance of Internal Security Act- MISA) सन 1971 में लागू हुआ, पर जनता पार्टी के कार्यकाल के दौरान 1977 में इस कानून को निरस्त कर दिया गया. इसके बाद 1980 में एक बार फिर से इस कानून को कांग्रेस सरकार ने लागू कर दिया.
राज्य क्यों लागू करते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा कानून?
- राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को प्रभावी ढंग से बनाए रखने के लिए लागू किया जाता है.
- यह अधिनियम सरकारी अधिकारियों को विदेशियों को हिरासत में लेने और उन्हें भारत से निष्कासित करने का अधिकार देता है.
- अगर किसी को सुरक्षा की दृष्टि से या अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों के लिए खतरनाक पाया जाता हैं तो उसे NSA के तहत किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है.
- केंद्र या राज्य सरकार रासुका के तहत किसी भी व्यक्ति को महीनों तक हिरासत में रख सकती है, जब वे उन्हें राष्ट्र की सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक पाती हैं.



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