National Safe Motherhood Day 2023
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National Safe Motherhood Day) प्रत्येक वर्ष 11 अप्रैल को मनाया जाता है। यह उन कई पहलों में से एक है जो भारत सरकार ने मातृ और नवजात मृत्यु को कम करने के लिए की हैं। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक देखभाल, चिकित्सा जांच, स्वास्थ्य सहायता और सरकारी पहल के बारे में जागरूकता फैलाता है। इस लेख में राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2023 (National Safe Motherhood Day 2023) की सारी जानकारी दी गई है।
National Safe Motherhood Day 2023 History
पहला राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2023 (National Safe Motherhood Day 2023), 11 अप्रैल 2023 को मनाया गया था। यह महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी की जयंती है। कस्तूरबा गांधी, महात्मा गांधी की सभी पहलों की सदैव साहभागी और सक्रिय सदस्य थीं।
भारत सरकार कस्तूरबा गांधी की जयंती का उपयोग जनता के बीच जागरूकता पैदा करने और सुरक्षित मातृत्व के संदेश को फैलाने के लिए करती है।
National Safe Motherhood Day 2023 Theme
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2023 (National Safe Motherhood Day 2023) की थीम अभी तक घोषित नहीं की गई है। यहां आप पिछले राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National Safe Motherhood Day 2023) की थीम देख सकते हैं।
National Safe Motherhood Day: Theme | |
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Year | Theme |
2022 | Remain at Home Amid Coronavirus, Protect Mother and Infant Safe from Coronavirus |
2021 | Stay Safe, Stay Healthy: Let’s Make Motherhood Safe and Secure |
2020 | Prioritizing Quality Midwifery Care for Mothers and Babies |
2019 | Midwives for Mothers |
National Safe Motherhood Day 2023 Significance
गर्भवती और नई माताओं के साथ-साथ उनके नवजात बच्चों का स्वास्थ्य समाज के स्वास्थ्य और स्थिति का प्रतिबिंब होता है। यह विभिन्न योजनाओं और सूचकांकों जैसे – विश्व स्वास्थ्य सूचकांक आदि के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां भारत में गर्भवती और नई माताओं की स्थिति से संबंधित कुछ आवश्यक आंकड़े दिए गए हैं।
- राष्ट्रीय स्तर पर NNFHS 4 और 5 के बीच कुल प्रजनन दर (TFR) 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है।
- NFHS-5 के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 23.3% महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की कानूनी आयु प्राप्त करने से पहले हुई थी, जो NFHS-4 में रिपोर्ट की गई 26.8% से कम है।
- किशोर गर्भावस्था 7.9% से घटकर 6.8% हो गई है।
- संस्थागत जन्म – यह भारत में 79% से बढ़कर 89% हो गया।
- मातृ मृत्यु अनुपात 2014-16 में 130 से घटकर 2018-20 में 97 प्रति लाख जीवित जन्म हो गया है।
- मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) को प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
MMR अनुपात को कम करने के लिए भारत के प्रयास सराहनीय हैं और 2030 के निर्धारित समय से पहले 70 से कम MMR के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने पर एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। सरकार की विभिन्न पहलें, जैसे जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK) और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) ने देश में मातृ स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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