National Panchayati Raj Day 2023
पंचायती राज मंत्रालय देश में पंचायती राज व्यवस्था को दिए गए संवैधानिक दर्जे की याद में हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (National Panchayati Raj Day) के रूप में मनाता है. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाने का उद्देश्य पंचायतों और ग्राम सभाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन के लिए संविधान द्वारा अनिवार्य संस्थाएं हैं. इस दिन का उद्देश्य पंचायतों और ग्राम सभाओं की भूमिकाओं, जिम्मेदारियों, उपलब्धियों, चिंताओं और संकल्पों को उजागर करना और उन्हें ग्रामीण विकास की दिशा में अपने प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रेरित करना है. इस आर्टिकल में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 2023 की पूरी जानकारी दी गई है.
National Panchayati Raj Day 2023: History
राजस्थान को 1959 में स्वर्गीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में पंचायती राज प्रणाली को लागू करने वाला भारत का पहला राज्य होने का गौरव प्राप्त हुआ है. इस व्यवस्था को आधिकारिक मान्यता 73वें संविधान संशोधन के रूप में मिली, जिसे 24 अप्रैल 1993 को पारित किया गया.
1957 में, भारत में पंचायती राज के विकास पर विचार करने के लिए बलवंतराय मेहता के अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया थी. समिति की सिफारिश त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना थी, जिसमें ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद शामिल हैं। वर्षों तक विचार-विमर्श और कई अन्य समितियों जैसे – अशोक मेहता समिति, गाडगिल समिति, एल एम सिंघवी समिति आदि की सिफारिशों के बाद पंचायती राज को 1993 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से संवैधानिक दर्जा दिया गया था.
National Panchayati Raj Day 2023: Significance
हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल 2.51 लाख पंचायतें हैं, जिनमें 2.39 लाख ग्राम पंचायतें, 6904 ब्लॉक पंचायतें और 589 जिला पंचायतें शामिल हैं। इन पंचायतों को 29 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त है जो अपने-अपने क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए काम करते हैं। यहां पंचायतों का महत्व बताया गया है-
- जमीनी स्तर पर लोकतंत्र: पंचायतें स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं.
- स्थानीय शासन और सेवा प्रदान करना: पंचायतें अपने संबंधित क्षेत्रों में शासन, प्रशासन और सेवा वितरण के लिए जिम्मेदार हैं.
- समावेशी विकास: पंचायतें समाज के सभी वर्गों तक लाभ पहुँचाना सुनिश्चित करके समावेशी विकास को बढ़ावा देती हैं.
- आर्थिक विकास: पंचायतें आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देकर और स्थानीय उद्योगों को समर्थन देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देती हैं.
- सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण: पंचायतें समुदायों को सशक्त बनाती हैं और स्थानीय संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए उनकी क्षमता का निर्माण करती हैं.
- पारदर्शिता और जवाबदेही: पंचायत वित्तीय प्रबंधन सहित अपने कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखती हैं.
कुल मिलाकर, पंचायतें स्थानीय समुदायों के समग्र कल्याण में योगदान करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोकतंत्र, शासन, विकास और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.