भारत और पाकिस्तान के बीच चले आ रहे तनाव को एक बड़ा विराम देते हुए आज दोनों देशों ने “पूर्ण और तत्काल युद्धविराम” (Ceasefire) पर ऐतिहासिक सहमति जताई है। यह सीज़फायर आज शाम 5 बजे (IST) से प्रभावी हो चुका है और इसमें जमीन, हवा और समुद्र में किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई पर पूर्ण रोक लगाने की बात कही गई है।
क्या हुआ है अब तक?
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पुष्टि की कि पाकिस्तान के Director General of Military Operations (DGMO) ने भारतीय समकक्ष को फोन कर यह प्रस्ताव दिया। इसके जवाब में भारत ने भी तुरंत सहमति दे दी।
“आज दोपहर पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ को कॉल किया, जिसमें तय हुआ कि दोनों पक्ष 17:00 IST से हर तरह की सैन्य कार्रवाई बंद करेंगे” — विक्रम मिस्री, भारतीय विदेश सचिव
बातचीत की अगली तारीख तय: 12 मई
इस कदम के बाद दोनों देशों ने सहमति जताई है कि वे 12 मई को दोबारा बातचीत करेंगे। यह चर्चा एक तटस्थ स्थान पर होगी और इसमें विस्तृत विषयों पर फोकस किया जाएगा — जिसमें सीमापार आतंकवाद, व्यापार, मानवाधिकार और कूटनीतिक संबंध जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं।
अमेरिका का बड़ा रोल: रुबियो ने की सराहना
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर इस फैसले का स्वागत किया और बताया कि उन्होंने और JD Vance ने बीते 48 घंटे भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों, यहां तक कि प्रधानमंत्रियों नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ से भी मुलाकात की थी।
“हम प्रधानमंत्रियों मोदी और शरीफ की दूरदर्शिता, विवेक और नेतृत्व की सराहना करते हैं जिन्होंने शांति का मार्ग चुना” — मार्को रुबियो, अमेरिकी विदेश मंत्री
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 (कारगिल युद्ध) और 2019 (पुलवामा-बालाकोट) घटनाओं के बाद से तनाव चरम पर था। दोनों देशों के बीच LoC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बार-बार फायरिंग और घुसपैठ की घटनाएं होती रही हैं।
अब यह समझौता उम्मीद जगाता है कि शायद दक्षिण एशिया में स्थायी शांति की नींव रखी जा सकती है।
एक्सपर्ट व्यू:
विदेश नीति विशेषज्ञ डॉ. अंशुल त्रिपाठी कहते हैं:
“यह सिर्फ एक सीज़फायर नहीं, बल्कि दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव की ओर इशारा है। अगर यह बातचीत आगे बढ़ती है, तो इससे क्षेत्रीय व्यापार, निवेश और सुरक्षा में बड़ा फर्क पड़ सकता है।”
भारत और पाकिस्तान का यह कदम सिर्फ सीमा पर गोलीबारी रोकने का नहीं, बल्कि भविष्य में शांति की संभावनाओं का द्वार खोलने जैसा है। 12 मई की बातचीत पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी, जो यह तय करेगी कि यह विराम स्थायी शांति में बदल सकता है या नहीं।