प्रिय पाठको!!
IBPS RRB की अधिसूचना जल्दी ही जारी होने वाली है. ऐसे में आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए हम आपके लिए हिंदी की प्रश्नोतरी लाये है. आपनी तैयारी को तेज करते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये…
निर्देश (1-10) : नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। कुछ शब्दों को मोटे अक्षरों में मुद्रित किया गया है, जिससे आपको कुछ प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता मिलेगी। दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त का चयन कीजिए।
तत्त्वेत्ता शिक्षाविदों के अनुसार विद्या दो प्रकार की होती है। प्रथम वह, जो हमें जीवन-यापन के लिए अर्जन करना सिखाती है और द्वितीय वह, जो हमें जीना सिखलाती है। इनमें से एक का अभाव भी जीवन को निरर्थक बना देता है। बिना कमाए जीवन-निर्वाह सम्भव नहीं। कोई भी नहीं चाहेगा कि वह परावलम्बी हो, माता-पिता, परिवार के किसी सदस्य, जाति या समाज पर आश्रित रहे। ऐसी विद्या से विहीन व्यक्ति का जीवन दूभर हो जाता है। वह दूसरों के लिए भार बन जाता है। साथ ही दूसरी विद्या के बिना सार्थक जीवन नही ंजिया जा सकता। बहुत अर्जित कर लेने वाले व्यक्ति का जीवन यदि सुचारू रूप से नहीं चल रहा, उसमें यदि वह जीवन शक्ति नहीं है, जो उसके अपने जीवन को तो सत्पथ पर अग्रसर करती ही है, साथ ही वह अपने समाज, जाति एवं राष्ट्र के लिए भी मार्गदर्शन करती है, तो उसका जीवन भी मानव जीवन का अभिधान नहीं पा सकता। वह भारवाही गर्दभ बन जाता है या पूँछ-सींग-विहीन पशु कहा जाता है। वर्तमान भारत में पहली विद्या का प्रायः अभाव दिखाई देता है, परन्तु दूसरी विद्या का रूप भी विकृत ही है, क्योंकि न तो स्कूलों-कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त करके निकला छात्र जीविकोपार्जन के योग्य बन पाता है और न ही वह उन संस्कारों से युक्त हो पाता है, जिन्हें ‘जीने की कला’ की संज्ञा दी जाती है, जिनसे व्यक्ति ‘कु’ से ‘सु’ बनता है, सुशिक्षित, सुसभ्य और सुसंस्कृत कहलाने का अधिकारी होता है।
वर्तमान शिक्षा पद्धति के अन्तर्गत हम जो विद्या प्राप्त कर रहे हैं, उसकी विशेषताओं को सर्वथा नकारा भी नहीं जा सकता है। यह शिक्षा कुछ सीमा तक हमारे दृष्टिकोण को विकसित भी करती है, हमारी मनीषा को प्रबुद्ध बनाती है तथा भावनाओं को चेतन करती है, हमारी मनीषा को प्रबुद्ध बनाती है तथा भावनाओं को चेतन करती है, किन्तु कला, शिल्प, प्रौद्योगिकी आदि की शिक्षा नाम मात्र की होने के फलस्वरूप इस देश के स्नातक के लिए जीविकार्जन टेढ़ी खीर बन जाता है और बृहस्पति बना युवक नौकरी की तलाश में अर्जियाँ लिखने में ही अपने जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद कर देता है। जीवन के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए यदि शिक्षा के क्रमिक सोपानों पर विचार किया जाए तो भारतीय विद्यार्थी को सर्वप्रथम इस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए जो आवश्यक हो, दूसरी जो उपयोगी हो, और तीसरी जो हमारे जीवन को परिष्कृत एवं अलंकृत करती हो। ये तीनों सीढ़ियाँ एक के बाद एक आती हैं। इनमें व्यतिक्रम नहीं होना चाहिए। इस क्रम में व्याद्यात आ जाने से मानव-जीवन का चारू-प्रसाद खड़ा करना असम्भव है। यह तो भवन की छत बनाकर नींव बनाने के सदृश है। वर्तमान भारत में शिक्षा की अवस्था देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है। प्राचीन भारतीय दार्शनिकों ने ‘अन्न’ से ‘आनन्द’ की ओर बढ़ने को जो ‘विद्या का सार’ कहा था, वह सर्वथा समीचीन ही था।
1. मानव-जीवन की सर्वतोमुखी उन्नति का लक्ष्य क्या है?
(a)मनुष्य की भौतिक साधन सम्पन्नता
(b)मानव-जीवन की सम्पन्नता एवं परिष्कार
(c)सहज सुख-सुविधा सम्पन्न जीवन
(d)मनुष्य का स्वावलम्बन
(e)इनमें से कोई नहीं
2. ‘भारवाही गर्दभ’ पदबन्ध से अभिप्रेत क्या है?
(a)धनार्जन में अक्षम पुरूष
(b)अध्ययन में प्रवृत्त विद्यार्थी
(c)बोझा ढोने वाला श्रमिक
(d)जीने की कला से रहित साक्षर
(e)इनमें से कोई नहीं
3. उपर्युक्त अनुच्छेद का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में कौन है?
(a)वर्तमान भारतीय शिक्षा
(b)शिक्षा के सोपान
(c)जीने की कला
(d)मानव जीवन की सार्थकता
(e)इनमें से कोई नहीं
4. ‘अन्न’ से ‘आनन्द’ की ओर बढ़ने में ‘विद्या का सार’ इसलिए निहित है क्योंकि ऐसी विद्या मनुष्य का-
(a)आध्यात्मिक विकास करती है
(b)सर्वांगीण विकास करती है
(c)भौतिक विकास करती है
(d)सामाजिक विकास करती है
(e)इनमें से कोई नहीं
5. ‘जीने के लिए अर्जन करना सिखाने वाली’ और ‘जीना सिखलाने वाली’ विद्याओं के पारस्परिक सम्बन्ध में निम्नांकित तथ्य सर्वाधिक उपयुक्त है-
(a)ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
(b)ये दोनों विरोधी विधाएँ हैं
(c)इन दोनों में पूर्वापर सम्बन्ध हैं
(d)इन दोनों में अन्योन्याश्रित संबंध हैं
(e)इनमें से कोई नहीं
निर्देश (6-10) : निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द-वाक्यांश गद्यांश में मोटे अक्षरों में लिखे गए शब्द/वाक्यांश का समानार्थी है?
6. सत्पथ
(a)सौ मार्ग
(b)शतायु
(c)सुपथ
(d)सारहीन
(e)इनमें से कोई नहीं
7. मनीषा
(a)इच्छा
(b)व्यतिक्रम
(c)शिल्प
(d)बुद्धि
(e)इनमें से कोई नहीं
8. कोई भी नहीं चाहेगा कि वह परावलम्बी हो
(a)दूसरे पर भरोसा करे
(b)दूसरे पर आश्रित हो
(c)दूसरे की निन्दा करे
(d)दूसरे की प्रशंसा करे
(e)इनमें से कोई नहीं
9. टेढ़ी खीर बन जाना
(a)खीर में स्वाद नहीं होना
(b)अकड़ जाना
(c)कठिन हो जाना
(d)निर्मम होना
(e)इनमें से कोई नहीं
10. बृहस्पति बना युवक
(a)विद्वान युवक
(b)सुसभ्य युवक
(c)धनवान युवक
(d)अकिंचन युवक
(e)इनमें से कोई नहीं
निर्देश (11-15) : नीचे दिया गया प्रत्येक वाक्य चार भागों में बाँटा गया है (a), (b), (c) और (d) क्रमांक दिए गए हैं। आपको यह देखना है कि वाक्य के किसी भाग में व्याकरण, भाषा, वर्तनी, शब्दों के गलत प्रयोग या इसी तरह की कोई त्रुटि तो नहीं है। त्रुटि अगर होगी तो वाक्य के किसी एक भाग में ही होगी। उस भाग का क्रमांक ही उत्तर है। अगर वाक्य त्रुटिरहित है तो उत्तर (e) दीजिए।
11. दहेज-प्रथा के कारण (a)/महिलाओं को (b)/उत्पीड़न एवं कठोर दण्ड का (c)/भोगी बनना पड़ता है (d)/कोई त्रुटि नहीं (e)
12. मैं यह निस्संकोचपूर्वक (a)/नहीं कह सकता हूँ कि (b)/हम दिन-प्रतिदिन जरूरतों के (c)/गुलाम होते जा रहे हैं (d)/कोई त्रुटि नहीं (e)
13. विद्या समाप्त करके (a)/मैं व्यापार करूंगा (b)/यह कह कर छात्र ने सिर नीचा कर लिया (c)/और विनम्र भाव से खड़ा रहा (d)/कोई त्रुटि नहीं (e)
14. दानवीर दयालु व्यक्ति को (a)/महादानी कहते हैं (b)/क्यांकि वह अकेला (c)/दीन-दुखियों की रक्षा करता है (d)/कोई त्रुटि नहीं (e)
15. जवाहरलाल नेहरू ने (a)/अपनी आत्मकथा में (b)/स्वतंत्रता संघर्ष का (c)/जीवन्त अंकन किया है (d)/कोई त्रुटि नहीं (e)
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सपनो की उड़ान: Ummul khair(उम्मुल खैर)
- How Hindi Language can help you to score in IBPS RRB 2017 ?
- एक लक्ष्य होना जरुरी – सपने सच करने के लिए आपको सपने देखने होंगे
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