Krishna Janmashtami 2020: Adda247 की तरफ से आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं, जन्माष्टमी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. इस दिन भगवान् श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है. हिन्दू मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कृष्ण को भगवान् विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान् श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इस वर्ष अगस्त को पूरे देश में जन्माष्टमी बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है. कुछ जगहों में 11 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाई गई है. जिसका मुख्य कारण है कि कुछ लोग रोहिणी नक्षत्र को ज्यादा महत्त्व देते है और कुछ लोग अष्टमी तिथि को, जिसकी वजह से दो अलग-अलग दिन जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है.
Janmashtami History : इतिहास
आज के समय से लगभग 5000 साल पहले भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, जब मथुरा में कंस का शासन था. कंस एक क्रूर शासक था जिसने अपने पिता को बंदी बना कर राज गद्दी हड़प ली थी. इसके बाद कंस ने अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव के साथ करा दी. जिसके बाद भविष्यवाणी हुई कि देवकी और वासुदेव का आठवां पुत्र कंस की मृत्यु का कारण बनेगा. कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया और काल कोठारी में डाल दिया. इसके बाद आठवें पुत्र के रूप में भगवान् कृष्ण ने अवतार लिया. जिसके बाद चमत्कार हुआ और सभी बेड़ियाँ और दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए. जिसके बाद वासुदेव कृष्ण को गोकुल ले गए और नन्दलाल जी की बेटी से उसे बदल दिया.
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Janmashtami 2020 : कैसे मानते हैं जन्माष्टमी
वैसे तो पूरे देश में यह उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, पर मथुरा और वृंदावन में इस उत्सव का अलग ही रंग होता है, क्योंकि मथुरा में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और वृन्दावन, नंदगाँव आदि में बाल लीलाएं की थी. इस दिन लोग जन्मदिन वैसे ही मानते हैं जैसे छोटे बच्चों का मनाया जाता है. भगवान् कृष्ण के मंदिरों को गुब्बारों और लड़ियों से सजाया जाता है. भगवान् का अभिषेक किया जाता है और उनकी पूजा करते हैं. इसके साथ ही लोक गीत गाते, नृत्य करते, कथा या धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.
योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं. जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं.
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गीता उपदेश –
श्री कृष्ण ने जीवन का सच्चा रहस्य और जीवन जीने की कला का वर्णन गीता में किया है, गीता के श्लोकों पर हम अमल करने लगे तो, हम अपने जीवन को सार्थक होने के साथ सफल बना सकते हैं…आप श्लोक को पढ़ें, जो हमें अपने जीवन में बिना फल की इच्छा किये बस कर्म करते रहने का उपदेश देता है
अर्थ: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं… इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो। कर्तव्य-कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फलों में कभी नहीं। अतः तू कर्मफल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो।
हमारे सामने अनेक बार ऐसे मौके आते हैं , जब हम किसी न किस बात पर क्रोध करना शुरू करना शुरू कर देते हैं, हमारा क्रोध पर काबू नहीं होता, कई बार हमें बहुत बातें कह देने के बाद अपने क्रोध पर पछतावा होता है, गीता में क्रोध को मनुष्य का शत्रु कहा गया है, इस श्लोक को पढ़ें,
अर्थ: क्रोध से मनुष्य की मति-बुदि्ध मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है, कुंद हो जाती है। इससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।
तो, इस जन्माष्टमी आप भी अपने मन और चित्त को शांत रखने का संकल्प करें और यह भी संकल्प करें कि हमने जो भी लक्ष्य बनाया है, उसे हम धैर्य के साथ आगे ले जाएँ और अपने कर्म में पूरी लगन दिखाएँ, यहीं आपको जीवन में सफलता पाने का रास्ता स्पष्ट होता दिखेगा, और आप अपने अंदर एक नई ऊर्जा की अनुभूति कर सकेंगे…