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गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें

Happy Ganesh Chaturthi
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है क्योंकि यहाँ आये दिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। यही तो हमारे देश की विशेषता है जो हमें अन्य देशों से अलग बनाती है। उत्तर से दक्षिण तक न जाने कितनी मान्यताओं को विश्वास करने वाले लोग है, फिर भी सब एक साथ ख़ुशी-ख़ुशी जीवनयापन करते हैं। देश भर में मनाये जाने वाले त्योहारों की कड़ी में, कुछ त्यौहार ऐसे हैं, जिन्हें पूरा देश मिल कर, एक साथ मनाता है। इन्हीं में एक गणेश चतुर्थी है, जो मुख्य रूप से हिन्दुओं का त्योहार है। गणेश चतुर्थी को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत रखने और गणेश जी की पूजा का विधान है लेकिन इस दिन का अलग ही महत्त्व है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 2 सितम्बर को मनाई जा रही  है।
ऐसी मान्यता है कि गणेश जी सभी की समस्याओं को दूर करते हैं, इसलिए भगवान गणेश को विघ्न विनायक भी कहा जाता है। परन्तु ऐसे में सब कुछ उन्हीं पर छोड़ देना भी सही नहीं है, भगवान् उन्हीं की मदद करते हैं जो अपनी मदद खुद करते हैं, इस सम्बन्ध में एक श्लोक भी है-

न देवा दण्डमादाय रक्षन्ति पशुपालवत् ।
यं तु रक्षितुमिच्छन्ति बुद्ध्या संविभजन्ति तम् ॥


पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का अवतरण हुआ था। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है। गणेश जी का वाहन चूहा है। गणेश जी की दो पत्नियां ऋद्धि व सिद्धि  हैं। इनका सर्वप्रिय भोग लड्डू हैं। प्राचीन काल में जब गुरुकुल में शिक्षा दी जाती थी, तो उसकी शुरुआत इसी दिन से की जाती थी। कुछ जगहों में आज के दिन बच्चे, छोटे-छोटे डण्डों को बजाकर खेलते हैं इसलिए इसे कि लोकभाषा में डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
महाराष्ट्र में गणेश उत्सव 

वैसे तो देश भर में गणेश उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, परन्तु महाराष्ट्र में उसका अलग ही महत्त्व है।सैकड़ों वर्षों पहले महाराष्ट्र में लोग घर में ही गणेश जी की पूजा करते थे, परन्तु बाद में पेशवा महाराजाओं ने इसकी शुरुआत बड़े स्तर पर की और पंडाल आदि बनाये जाने लगे। कहते है प्राचीन काल में पुणे में एक क़स्बा गणपति नाम से प्रसिद्ध था, जहाँ गणेश जी की स्थापना शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई ने की थी। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस गणेश उत्सव को एक नया स्वरूप दिया। जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में गणेश उत्सव की शुरुआत की थी। इसके माध्यम से समाज में उपस्थित अनेकों कुप्रथाओं जैसे छुआ-छूत आदि को दूर करने का प्रयास किया गया। इससे पहले शूद्रों को पूजन का अधिकार नहीं था परन्तु इस उत्सव के साथ यह भेद भाव ख़त्म हो गया। 
अकेले महाराष्ट्र में आज के समय में लगभग 50 हजार से ज्यादा मंडल प्रतिवर्ष बनाये जाते हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी काफी संख्या में गणेश उत्सव मंडल है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान् गणेश की मूर्ति को स्थापित किया जाता है और दस दिनों तक रखने के बाद उनको  विदा कर दिया जाता है। गणेश विसर्जन के दिन पूरे मुंबई में सब कुछ बंद रहता है। दसवें दिन लोग गाने बजाने के साथ धूमधाम से गणेश जी का विसर्जन करते है और अगले वर्ष जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं।
गणपती बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ!
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