देश में बजट सत्र यानी Budget Session 2020 शुरू होने जा रहा है. संसद में बजट मात्र एक दिन में पेश कर दिया जाता है, लेकिन इसके ब्लूप्रिंट से लेकर पेश होने तक कई चरणों के साथ यह एक बहुत लम्बी प्रक्रिया होती है. हम चाहते हैं कि बजट 2020 से पहले आपको बजट के बारे में पूरी जानकारी हो, इसलिए हमने यहाँ बजट क्या है, बजट का इतिहास क्या है, बजट कैसे बनता है , बजट क्यों ज़रूरी होता है , बजट शब्द कहां से आया, हलवा रस्म क्या है, बजट के प्रकार क्या हैं, बजट की प्रक्रिया क्या है,
बजट क्या है ?
भारत के संविधान में कहीं भी ‘बजट’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन अनुच्छेद 112 में भारत के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण या Annual Financial Statement कहा गया है. इसे बोलचाल की भाषा में आम बजट ( Union Budget या केन्द्रीय बजट) कहा जाता है. दरअसल, बजट में अनुमानित प्राप्तियों और खर्चों का उस साल के लिए सरकार का विस्तृत ब्योरा लिखा जाता है. इसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के पहले कार्य-दिवस को भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है. इस साल संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण Budget 2020 पेश करेंगी. बजट डॉकेट में करीब 16 दस्तावेज होते हैं, इसमें बजट भाषण होता है। इसके अलावा प्रत्येक मंत्रालय के खर्च प्रस्तावों का विस्तृत ब्योरा होता है. साथ यह रकम कहां से आएगी, इसके प्रस्ताव भी बजट में बताए जाते हैं.
कहां से आया ‘बजट’ शब्द :
‘बजट’ शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द ‘Bougete’ से हुई है, जिसका अर्थ ‘चमड़े का बैग’ होता है. दरअसल, 1733 में जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री (चांसलर ऑफ एक्सचेकर) रॉबर्ट वॉलपोल संसद में देश की माली हालत का लेखाजोखा पेश करने आए, तो अपना भाषण और उससे जुड़े दस्तावेज चमड़े के एक बैग (थैले) में रखकर लाए. चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में ‘Bougete’ (बुजेट) कहा जाता है. बस, तभी से इस परंपरा को पहले बुजेट और फिर इस समय तक आते-आते ‘बजट’ कहा जाने लगा.
आर्थिक सर्वेक्षण 2019- 2020 : मुख्य बिंदु (Key Highlights)
भारत का पहला बजट ईस्ट इंडिया कंपनी के जेम्स विल्सन द्वारा 18 फरवरी 1860 को पेश किया था. जेम्स विल्सन को भारतीय बजट (Budget) व्यवस्था का जनक भी कहा जाता है.
स्वतन्त्रता के बाद भारत का पहला बजट : स्वतंत्र भारत का पहला बजट वित्त मंत्री आर के शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 में पेश किया. और गणतन्त्र भारत का पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जॉन मथाई द्वारा पेश किया गया था.
बजट के प्रकार :
बजट पांच प्रकार के होते हैं:
1. पारंपरिक अथवा आम बजट
2. निष्पादन बजट
3. शून्य आधारित बजट
4. परिणामोन्नमुख बजट
5. लैंगिक या जेंडर बजट
पारंपरिक बजट या आम बजट (Common Budget)
हर साल वित्त वर्ष के प्रारंभ से पहले यह बजट पेश किया जाता है. इस बजट का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चो पर नियन्त्रण करना तथा विकास कार्यों को गति प्रदान करने के साथ-साथ विधायिका और कार्यपालिका पर वित्तीय नियंत्रण स्थापित करना भी है. इस बजट में सरकार की आय और व्यय का वार्षिक लेखा जोखा होता है.
निष्पादन बजट (Performance Budget)
निष्पादन बजट कार्य के परिणामों को ध्यान में रखते हुए जो बजट निकाला जाता है वह निष्पादन बजट (Performance Budget) कहलाता है। इस बजट का मुख्य उद्देश्य सरकार जिन कार्यों को पूरा करना चाहती है उस पर आधारित होता है| निष्पादन बजट में सरकार क्या कर रही है। कितना कर रही है तथा कितनी कीमत पर कर रही है इन साभी बातों को बताती है। इस बजट को उपलब्धि बजट या कार्यपूर्ति बजट भी कहा जाता है |
शून्य आधारित बजट (Zero Base Budget)
निष्पादन बजट का क्रियान्वयन सही से नहीं हो होने पर शून्य आधारित बजट लाया जाता है. जब आम बजट पूरी तरह से घाटे में जाने लगता है। मतलब कि आय कम और व्यय अधिक होने की स्थिति में यह बजट जारी किया जाता है, जिससे व्ययों पर कटौती करके घाटों पर अंकुश लगाया जा सके .
परिणामोन्मुखी बजट (आउटकम बजट)
देश की जनता के लिए शुरू की गयी योजनाएं कहां तक पहुंची? लक्ष्य मिला या नहीं इसके लिए कोई खास पैमाना नहीं होने के चलते ही 2005 में यह Outcome Budget लाया गया. जिसके तहत आम बजट में आवंटित धनराशि का विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने क्या और कैसे उपयोग किया इसका ब्योरा देना आवश्यक कर दिया गया.
लैंगिक बजट (Gender Budget)
महिला और शिशु कल्याण से सम्बंधित योजनाओं और कार्यक्रमों का आवंटन लैंगिक बजट के अंतर्गत लाया गया है. लैंगिक बजट से सरकार महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए प्रतिवर्ष एक निर्धारित राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करती है.
बजट क्यों है ज़रूरी (Importance Of Budget)
संविधान में किए गये प्रावधानों के अनुसार, केन्द्र सरकार प्रति वर्ष अपने कार्यकाल का वार्षिक लेखा-जोखा संसद में पेश करती है. इस लेखा-जोखा में जहां एक तरफ वह अपनी वार्षिक आमदनी बताती है वहीं दूसरी तरफ वह अपने एक साल के खर्च का पूरा उल्लेख करती है. इस पूरे लेखा-जोखा को आम बजट या पूर्ण बजट कहा जाता है. बजट में प्रत्येक मंत्रालय को धन का आवंटन किया जाता है. बजट में निर्धारित की गयी राशि से अधिक धन व्यय नहीं किया जा सकता है, यदि अधिक धन की आवश्यकता होती है, तो संसद से पुनः स्वीकृति लेनी होती है. बजट द्वारा आवंटित की गयी राशि के साथ योजनायें चालाई जाती हैं और इन योजनाओं का लाभ आम जनता को दिया जाता है.
कौन बनाता है बजट?
बजट बनाने में वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और सरकार के अन्य मंत्रालय शामिल होते हैं. इन्हीं के परामर्श से यह तैयार होता है. वित्त मंत्रालय खर्च के आधार पर गाइडलाइन जारी करता है. मंत्रालयों को अपनी-अपनी आवश्यकताओं को बताना होता है. वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग पर बजट को बनाने की जिम्मेदारी होती है. बजट को अंतिम रूप देने से कुछ दिन पहले वित्त मंत्रालय में एक बड़ी कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है. जिसे ‘हलवा रस्म’ कहा जाता है, बजट तैयार करने की प्रक्रिया से प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े मंत्रालय के अधिकारियों को हलवा समारोह के बाद मंत्रालय में ही रहना पड़ता है.
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कैसे बनता है बजट?
सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, स्वायत्त निकायों, विभागों और रक्षा बलों को बजट के आवंटन के लिए सर्कुलर जारी किया जाता है. इनसे अगले वर्ष के अनुमानों को बनाने के लिए कहा जाता है. मंत्रालयों और विभागों की मांगें आने के बाद केंद्रीय मंत्रालयों और वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के बीच गहन चर्चा की जाती है.
बजट की प्रक्रिया (Process Of Budget)
बजट को वित्त विधेयक द्वारा पेश किया जाता है. वित्त विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है. बजट लोकसभा में पास होने के बाद राज्य सभा के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है, यदि राज्य सभा इस पर 14 दिन के अंदर स्वीकृति प्रदान नहीं करती है, तो बजट को पास मान लिया जाता है, और वित्तीय वर्ष की पहली तिथि को बजट में किये गए प्रावधान पूरे देश में लागू कर दिया जाता है.
कैसे होता है बजट पेश ?
सरकार द्वारा बजट पेश करने की तारीख पर स्पीकर से सहमति ली जाती है. इसके बाद लोकसभा सचिवालय के महासचिव राष्ट्रपति की मंजूरी लेते हैं. वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश करते हैं. बजट पेश करने से ठीक पहले वह ‘समरी फॉर द कैबिनेट’ के जरिए बजट के प्रस्तावों पर कैबिनेट को संक्षेप में बताते हैं. वित्त मंत्री के भाषण के बाद सदन के पटल पर बजट रख दिया जाता है.
क्या होता है संसद में बजट पेश किए जाने के बाद ?
बजट भाषण के पढ़े जाने के बाद बजट उपायों पर एक आम चर्चा होती है. बहस में हिस्सा लेने वाले सदस्य बजट के प्रस्तावों और नीतियों पर चर्चा करते हैं. इस दौरान विभागों की स्थायी समितियां मंत्रालयों के अनुमानित खर्चों का विस्तार से अध्ययन करती हैं, इन्हें डिमांड्स फॉर ग्रांट्स (अनुदान मांग) कहा जाता है.
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