Directions (1.10): नीचे दिए
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
भाषा का प्रयोग दो रूपों
में किया जा सकता है–एक तो सामान्य जिससे लोक में व्यवहार होता है तथा दूसरा रचना के लिए जिसमें
प्रायः अलंकारिक भाषा का प्रयोग किया जाता है। राष्ट्रीय भावना के अभ्युदय एवं
विकास के लिए सामान्य भाषा एक प्रमुख तत्व है। मानव समुदाय अपनी संवेदनाओं, भावनाओं एवं
विचारों की अभिव्यक्ति हेतु भाषा का साधन अपरिहार्यतः अपनाता है। इसके अतिरिक्त
उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। दिव्य–ईश्वरीय आनंदानुभुति के संबंध में भले ही कबीर
ने ‘गूंगे केरी शर्करा’ उक्ति का प्रयोग किया था, पर इससे उनका
लक्ष्य शब्द–रूपा भाषा के महत्व को नकारना नहीं था। प्रत्युत उन्होंने भाषा को ‘बहता नीर’ कह कर भाषा की
गरिमा प्रतिपादित की थी। विद्वानों की मान्यता है कि भाषा तत्व राष्ट्रहित के लिए
अत्यावश्यक है। जिस प्रकार किसी एक राष्ट्र के भू–भाग को भौगोलिक विविधताएँ तथा उसके पर्वत, सागर, सरिताओं आदि की
बाधाएँ उस राष्ट्र के निवासियों के परस्पर मिलने–जुलने में अवरोध सिद्ध हो सकती है। उसी प्रकार
भाषागत विभिन्नता से भी उनके पारस्परिक सम्बन्धों में निर्बाधता नहीं रह पाती।
आधुनिक विज्ञानयुग में यातायात एवं संचार के साधनों की प्रगति से भौगोलिक–बाधाएँ अब पहले
की तरह बाधित नहीं करती। इसी प्रकार यदि राष्ट्र की एक सम्पर्क भाषा का विकास हो
जाए तो पारस्परिक सम्बन्धों के गतिरोध बहुत सीमा तक समाप्त हो सकते हैं।
में किया जा सकता है–एक तो सामान्य जिससे लोक में व्यवहार होता है तथा दूसरा रचना के लिए जिसमें
प्रायः अलंकारिक भाषा का प्रयोग किया जाता है। राष्ट्रीय भावना के अभ्युदय एवं
विकास के लिए सामान्य भाषा एक प्रमुख तत्व है। मानव समुदाय अपनी संवेदनाओं, भावनाओं एवं
विचारों की अभिव्यक्ति हेतु भाषा का साधन अपरिहार्यतः अपनाता है। इसके अतिरिक्त
उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। दिव्य–ईश्वरीय आनंदानुभुति के संबंध में भले ही कबीर
ने ‘गूंगे केरी शर्करा’ उक्ति का प्रयोग किया था, पर इससे उनका
लक्ष्य शब्द–रूपा भाषा के महत्व को नकारना नहीं था। प्रत्युत उन्होंने भाषा को ‘बहता नीर’ कह कर भाषा की
गरिमा प्रतिपादित की थी। विद्वानों की मान्यता है कि भाषा तत्व राष्ट्रहित के लिए
अत्यावश्यक है। जिस प्रकार किसी एक राष्ट्र के भू–भाग को भौगोलिक विविधताएँ तथा उसके पर्वत, सागर, सरिताओं आदि की
बाधाएँ उस राष्ट्र के निवासियों के परस्पर मिलने–जुलने में अवरोध सिद्ध हो सकती है। उसी प्रकार
भाषागत विभिन्नता से भी उनके पारस्परिक सम्बन्धों में निर्बाधता नहीं रह पाती।
आधुनिक विज्ञानयुग में यातायात एवं संचार के साधनों की प्रगति से भौगोलिक–बाधाएँ अब पहले
की तरह बाधित नहीं करती। इसी प्रकार यदि राष्ट्र की एक सम्पर्क भाषा का विकास हो
जाए तो पारस्परिक सम्बन्धों के गतिरोध बहुत सीमा तक समाप्त हो सकते हैं।
मानव–समुदाय को एक
जीवित–जाग्रत एवं जीवन्त शरीर की संज्ञा दी जा सकती है। उसका अपना एक निश्चित
व्यक्तित्व होता है। भाषा अभिव्यक्ति के माध्यम से इस व्यक्तित्व को साकार करती है, उसके अमूर्त
मानसिक वैचारिक स्वरूप को मूर्त एवं बिम्बात्मक रूप प्रदान करती है। मनुष्यों के
विविध समुदाय हैं, उनकी विविध भावनाएँ हैं, विचारधाराएँ हैं, संकल्प एवं आदर्श हैं, उन्हें भाषा ही
अभिव्यक्त करने में सक्षम होती है। साहित्य, शस्त्र, गीत–संगीत आदि में मानव–समुदाय अपने
आदर्शो, संकल्पनाओं, अवधारणाओं एवं विशिष्टताओं को वाणी देता है, पर क्या भाषा के अभाव में काव्य, साहित्य, संगीत आदि का
अस्तित्व सम्भव है? वस्तुतः ज्ञानराशि एवं भावराशि का अपार संचित कोष जिसे साहित्य का अभिधान दिया
जाता है, शब्द रूप ही तो है। अतः इस सम्बन्ध में वैमत्य की किंचित् गुंजाइश नहीं है कि
भाषा ही एक ऐसा साधन है जिससे मनुष्य एक–दूसरे के निकट आ सकते हैं, उनमें परस्पर
घनिष्ठता स्थापित हो सकती है। यही कारण है कि एक भाषा बोलने एवं समझने वाले लोग परस्पर
एकानुभूति रखते हैं, उनके विचारों में ऐक्य रहता है। अतः राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए भाषा
तत्व परम आवश्यक है।
जीवित–जाग्रत एवं जीवन्त शरीर की संज्ञा दी जा सकती है। उसका अपना एक निश्चित
व्यक्तित्व होता है। भाषा अभिव्यक्ति के माध्यम से इस व्यक्तित्व को साकार करती है, उसके अमूर्त
मानसिक वैचारिक स्वरूप को मूर्त एवं बिम्बात्मक रूप प्रदान करती है। मनुष्यों के
विविध समुदाय हैं, उनकी विविध भावनाएँ हैं, विचारधाराएँ हैं, संकल्प एवं आदर्श हैं, उन्हें भाषा ही
अभिव्यक्त करने में सक्षम होती है। साहित्य, शस्त्र, गीत–संगीत आदि में मानव–समुदाय अपने
आदर्शो, संकल्पनाओं, अवधारणाओं एवं विशिष्टताओं को वाणी देता है, पर क्या भाषा के अभाव में काव्य, साहित्य, संगीत आदि का
अस्तित्व सम्भव है? वस्तुतः ज्ञानराशि एवं भावराशि का अपार संचित कोष जिसे साहित्य का अभिधान दिया
जाता है, शब्द रूप ही तो है। अतः इस सम्बन्ध में वैमत्य की किंचित् गुंजाइश नहीं है कि
भाषा ही एक ऐसा साधन है जिससे मनुष्य एक–दूसरे के निकट आ सकते हैं, उनमें परस्पर
घनिष्ठता स्थापित हो सकती है। यही कारण है कि एक भाषा बोलने एवं समझने वाले लोग परस्पर
एकानुभूति रखते हैं, उनके विचारों में ऐक्य रहता है। अतः राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए भाषा
तत्व परम आवश्यक है।
Q1. उपर्युक्त अनुच्छेद का
सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है–
सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है–
(a) राष्ट्रीयता और भाषा–तत्व
(b) बहता नीर भाषा का
(c) व्यक्तित्व–विकास और भाषा
(d) साहित्य और भाषा तत्व
(e) इनमें से कोई नहीं
Q2. मानव के पास अपने भावों, विचारों, आदर्शो आदि को
सुरक्षित रखने के सशक्त माध्यम है–
सुरक्षित रखने के सशक्त माध्यम है–
(a) भाषा और शैली
(b) साहित्य और कला
(c) साहित्य शास्त्र एवं संगीत
(d) व्यक्तित्व एवं चरित्र
(e) इनमें से कोई नहीं
Q3. ‘भाषा बहता नीर’ से आशय है–
(a) लालित्यपूर्ण भाषा
(b) साधुक्कड़ी भाषा
(c) सरल–प्रवाहमयी भाषा
(d) तत्समनिष्ठ भाषा
(e) इनमें से कोई नहीं
Q4. राष्ट्रीय भावना के विकास के
लिए भाषा–तत्व आवश्यक है, क्योंकि–
लिए भाषा–तत्व आवश्यक है, क्योंकि–
(a) वह ज्ञान राशि का अपार भंडार है
(b) वह शब्दरूपा है और उसमें साहित्य सर्जना संभव है
(c) वह मानव–समुदाय की विचाराभिव्यक्ति का साधन है
(d) वह मानव–समुदाय में एकानुभूति और विचार–ऐक्य का साध्न
है
है
(e) इनमें से कोई नहीं
Q5. ‘गूंगे केरी शर्करा’ से कबीर का
अभिप्रेत है कि ब्रह्मानंद की अनुभूति–
अभिप्रेत है कि ब्रह्मानंद की अनुभूति–
(a) अनिर्वचनीय होती है
(b) अत्यन्त मधुर होती है
(c) मौनव्रत से प्राप्त होती है
(d) अभिव्यक्ति के लिए कसमसाती है
(e) इनमें से कोई नहीं
Directions (6.11): निम्नलिखित में से कौन–सा शब्द–वाक्यांश
गद्यांश में मोटे अक्षरों में लिखें गए शब्द/वाक्यांश का समानार्थी है?
गद्यांश में मोटे अक्षरों में लिखें गए शब्द/वाक्यांश का समानार्थी है?
Q6. अभ्युदय
(a) तथागत
(b) अभ्यर्थी
(c) उत्थान
(d) आश्रित
(e) अनुगमन
Q7. वैमत्य
(a) विमान
(b) विचार–विमर्श
(c) विचार हीनता
(d) विचार भेद
(e) इनमें से कोई नहीं
Q8. भाषा का साधन अनिवार्य रूप
से अपनाया जाता है
से अपनाया जाता है
(a) संवदेना, भावना एवं विचार की अभिव्यक्ति हेतु
(b) शिक्षा हेतु
(c) वाद–विवाद हेतु
(d) व्याकरण की जानकारी हेतु
(e) इनमें से कोई नहीं
Q9. मानव के पारस्परिक संबंधों
के गतिरोध समाप्त हो सकते हैं
के गतिरोध समाप्त हो सकते हैं
(a) सद्विचार से
(b) प्रेम एवं भाईचारे से
(c) सम्पर्क भाषा के विकास से
(d) तीर्थ यात्रा से
(e) इनमें से कोई नहीं
Q10. ऐक्य
(a) एकांकी
(b) एकता
(c) विकटता
(d) सहजता
(e) इनमें से कोई नहीं
Directions (11-15): पांच में से
चार समानार्थी शब्द हैं। जिस क्रमांक में इनसे भिन्न शब्द दिया गया है, वही आपका उत्तर
है।
चार समानार्थी शब्द हैं। जिस क्रमांक में इनसे भिन्न शब्द दिया गया है, वही आपका उत्तर
है।
Q11.
(a) भार्या
(b) दारा
(c) कलत्र
(d) शरीरी
(e) वल्लभा
Q12.
(a) अश्म
(b) पाषाण
(c) प्रस्तर
(d) इषु
(e) उपल
Q13.
(a) चंचला
(b) चपला
(c) दामिनी
(d) सौदामनी
(e) ज्योति
Q14.
(a) अभ्र
(b) जलधर
(c) हलधर
(d) धाराधर
(e) जीमूत
Q15.
(a) पुहुप
(b) कुसुम
(c) सुमन
(d) प्रसून
(e) राग
Solutions
S1. Ans. (a)
S2. Ans. (b)
S3. Ans. (c)
S4. Ans. (d)
S5. Ans. (a)
S6. Ans. (c)
S7. Ans. (d)
S8. Ans. (a)
S9. Ans. (c)
S10. Ans. (b)
S11. Ans. (d)
Sol. ‘शरीरी’ जीव का पर्यायवाची है जबकि अन्य शब्द ‘पत्नी’ के पर्यायवाची हैं.
S12. Ans. (d)
Sol. ‘इषु’ बाण का पर्यायवाची है जबकि अन्य शब्द ‘पत्थर’ के पर्यायवाची हैं.
S13. Ans. (e)
Sol. ‘ज्योति’ जीव का पर्यायवाची है जबकि अन्य शब्द ‘बिजली’ के पर्यायवाची हैं.
S14. Ans. (c)
Sol. ‘हलधर’ बलदेव का पर्यायवाची है जबकि अन्य शब्द ‘बादल’ के पर्यायवाची हैं.
S15. Ans. (e)
Sol. ‘राग’ प्रेम का पर्यायवाची है जबकि अन्य शब्द ‘पुष्प’ के पर्यायवाची हैं.