एसबीआई पीओ, बैंक ऑफ़ बड़ौदा पीओ, देना बैंक पीओ, एनआईसीएल एओ और बैंक ऑफ़ इंडिया आदि सभी परीक्षाओं में जनरल अवेयरनेस खंड में बैंकिंग अवेयरनेस के प्रश्न काफी मात्रा में पूछे जाते हैं. यहाँ हम माइक्रो-यूनिट डेवलपमेंट एंड रिफाइनेन्स एजेंसी लिमिटेड(MUDRA) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दों पर चर्चा कर रहे हैं; यह आगामी बैंकिंग या इंश्योरेंस परीक्षाओं में आपके लिए बेहद मददगार होगा.
मुद्रा
मुद्रा (MUDRA), जिसका पूर्ण रूप माइक्रो-यूनिट डेवलपमेंट एंड रिफाइनेन्स एजेंसी लिमिटेड है, यह एक वित्तीय संस्था है जिसे भारत सरकार ने सूक्ष्म इकाई के उद्यमों के विकास और पुनर्वित्त के लिए स्थापित किया है. इसकी घोषणा माननीय वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2016 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए की थी. MUDRA का उद्देश्य विभिन्न अंतिम मील वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों, एनबीएफसी और एमएफआई के माध्यम से गैर-कॉरपोरेट लघु व्यवसाय क्षेत्र को वित्तपोषण प्रदान करना है..
गैर-कॉरपोरेट लघु व्यवसाय क्षेत्र (एनसीएसबी) में उद्यमशीलता के विकास में सबसे बड़ी बाधा इस क्षेत्र में वित्तीय सहायता की कमी है. इस क्षेत्र के 90% से अधिक की औपचारिक वित्त स्रोतों तक पहुँच नहीं है. भारत सरकार ने एनसीएसबी खंड या अनौपचारिक क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा कर इन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए एक सांविधिक अधिनियमन के माध्यम से मुद्रा बैंक की स्थापना की है. मुद्रा बैंक के लिए अधिनियम को लंबित रखते हुए, एक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी के रूप में मुद्रा लिमिटेड को सिडबी की सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया है.
मुद्रा की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां
मुद्रा सभी अंतिम मील फाइनेंसरों जैसे नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां, सोसाइटीज, ट्रस्ट्स, सेक्शन 8 की कंपनियां [भुतपूर्व धारा 25], को-ऑपरेटिव सोसाइटीज, लघु बैंक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, जो विनिर्माण, व्यापार और सेवाओं की गतिविधियों में लगे सूक्ष्म/लघु व्यवसायिक संस्थाओं को ऋण देने के व्यवसाय को पुनर्वित्त के लिए जिम्मेदार होगा. मुद्रा छोटे/लघु व्यवसाय उद्यमों के अंतिम मील फाइनेंसर को वित्त प्रदान करने के लिए राज्य/क्षेत्रीय स्तर के वित्तीय मध्यस्थों के साथ भी भागीदार होगा.
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तत्वावधान में, मुद्रा ने पहले ही अपने प्रारंभिक उत्पाद/योजना बना ली हैं.लाभार्थी माइक्रो यूनिट/उद्यमी की आवश्यकताओं और स्नातक/प्रगति के अगले चरण की दिशा में एक संदर्भ बिंदु प्रदान करने के लिए विकास/उन्नति और धन के स्तर को दर्शाने के लिए व्यवधान का नाम ‘शिशु’, ‘किशोर’ और ‘तरुण’ रखा गया है. इन योजनाओं की वित्तीय सीमा है:-
(a) शिशु: – इसके अंतर्गत 50,000/- तक के ऋण आते है
(b) किशोर: – इसके अंतर्गत 50,000/- से अधिक और 5 लाख तक के ऋण आते है
(c) तरुण: – इसके अंतर्गत 5 लाख 10 लाख से कम के ऋण आते है
मुद्रा के डिलीवरी चैनल को मुख्य रूप से बैंकों/एनबीएफसी/एमएफआई को पुनर्वित्त करने के माध्यम माना जाता है.साथ ही, यहाँ वितरण प्रणाली को जमीनी स्तर पर विकसित और विस्तारित करने की आवश्यकता है. इस संदर्भ में, पहले से ही, कंपनी, ट्रस्ट, समाज, संघ और अन्य नेटवर्क के रूप में ‘अंतिम माइल फाइनेंसर’ की एक बड़ी संख्या अस्तित्व में है, जो छोटे व्यवसायों के लिए अनौपचारिक वित्त प्रदान कर रही है.
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ऋण सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे पीएसयू बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), सहकारी बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक, माइक्रो फाइनेंस संस्थान और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी द्वारा बढ़ाया गया है.
अप्रैल 08, 2015 को या उसके बाद गैर-कृषि आय सृजन गतिविधियों के लिए 10 लाख तक के स्वीकृत ऋण को पीएमएमवाई ऋण के रूप में ब्रांडेड किया जाएगा.
अप्रैल 08, 2015 को या उसके बाद गैर-कृषि आय सृजन गतिविधियों के लिए 10 लाख तक के स्वीकृत ऋण को पीएमएमवाई ऋण के रूप में ब्रांडेड किया जाएगा.