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Bhimrao Ambedkar Jayanti 2021: डॉ. अंबेडकर की 130वीं जयंती -14 अप्रैल 2021 जानिये, भारत के संविधान निर्माता और भारत रत्न के जीवन के बारे में

Bhimrao Ambedkar Jayanti 2021: डॉ. अंबेडकर की 130वीं जयंती -14 अप्रैल 2021 जानिये, भारत के संविधान निर्माता और भारत रत्न के जीवन के बारे में | Latest Hindi Banking jobs_3.1


Dr. Bhimrao Ambedkar Jayanti 2021: डॅा. भीमराव आंबेडकर की जयंती 
हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। 
इस साल भीमराव आंबेडकर की 130वीं जयंती मनाई जा रही है। भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को  मराठी परिवार में महू, मध्यप्रदेश के एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और मां का नाम भीमाबाई था। भीमराव आंबेडकर जयंती को समानता और ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।  वे भारत के पहले कानून मंत्री थे।  

केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल को डॉ. बीआर अंबेडकर (Dr BR Ambedkar) के जन्मदिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है. डॉ. बी आर अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता थे और देश हर साल पहले से ही उनके जन्मदिन को अंबेडकर जयंती (Ambedkar Jayanti) के रूप में मनाता है.  

चलिए, जानते हैं डॉ. अंबेडकर के जीवन के बारे में : 

 

बाबासाहेब अम्बेडकर के बारे में:

  • बाबासाहेब अंबेडकर का मूल नाम भीमराव रामजी अंबेडकर है. 
  • उनके पिता रामजी सकपाल सेना में सूबेदार थे और उनकी माँ भीमबाई कपल एक गृहिणी थीं. 
  • उनका परिवार 1897 में मुंबई में बस गया और बाबासाहेब ने एल्फिंस्टन हाई स्कूल में दाखिला लिया. मैट्रिक के बाद, उन्होंने 1907 में एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया. 
  • उन्होंने 1912 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री प्राप्त की. बाबासाहेब अम्बेडकर एक प्रसिद्ध समाज सुधारक और दलित आइकन थे, उन्होंने असमानता, अन्याय और दलित समुदाय के सदस्यों के साथ भेदभाव के खिलाफ असमान रूप से बात की. 
  • बाबासाहेब अम्बेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था. 1990 में, उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

     
    भीमराव रामजी अम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसम्बर 1956), जो बाबासाहेब के नाम से प्रसिद्ध थे, वो एक भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक थे जिन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरणा दी और अछूतों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया, साथ ही महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों का समर्थन भी किया. वह स्वतंत्र भारत के पहले विधि मंत्री थे और भारत के संविधान के मुख्य निर्माता थे.  

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