यह वर्ष बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) श्रेणी के तहत रखने का सीजन रहा है.आरबीआई ने 13 अप्रैल 2017 को पीसीए का ढांचा संशोधित किया था. तब से, अब तक 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पीसीए श्रेणी के तहत रखा गया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्पष्ट किया कि तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) बैंकों में सुधार लाने के उद्देश्य से है और उन्होंने पीसीए के तहत रखे उधारदाताओं के साथ अपने बैंकिंग संबंध जारी रखने के लिए भी कहा. रिजर्व बैंक का स्पष्टीकरण पीसीए के ढांचे के सन्दर्भ में गलत सूचना के मद्देनजर दिया गया है, जिसके साथ लोगों को एक सन्देश दिया गया है जिसमें लोगों को अपनी जमा राशि को निकालने और नए सावधि जमा खोलने के लिए चेतावनी दी गई है.
अब सबसे बड़ा प्रश्न ये उठता है कि ‘क्या यह बैंकों में भर्ती का अंत है?’ खैर पीसीए खलनायक नहीं है जैसा दिखता है. यह बैंकों को उनके हित के लिए पेश किया जाता है ताकि विशेष बैंक अपने एनपीए, खराब ऋण, जोखिम और हानि जो कि उस समय की अवधि में हो, उस से उभर सके. हानि से उभरने पर पर, बैंक को जल्द ही पीसीए से हटा दिया जाएगा. भारत सरकार पहले से ही कई नीतियां बना रही है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बेहतर बनाने हेतु विधेयकों को पेश कर रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात, बैंकों में जनशक्ति की आपूर्ति के बिना किसी बैंक में खातों, ऋण, वाणिज्यिक व्यापार आदि को प्रबंधित करना संभव नहीं है. तो, विद्यार्थियों, आपको बैंकिंग क्षेत्र में रिक्तियों के सन्दर्भ में अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. अब यदि प्रश्न बैंकों में रिक्तियों की संख्या के सन्दर्भ में आपके मन में आता है, तो यह कम हो सकती हैं. लेकिन उस पर आपका क्या नियंत्रण है? एक उम्मीदवार होने के नाते, आपको अपने भाग्य पर रोना और भुनभुनाना नहीं चाहिए, लेकिन जल्द ही संभालना चाहिए तथा अवसरों का फायदा उठाना चाहिए और सफलता के साथ किसी भी कार्य को पूरा करना चाहिए. सीटों की सीमित संख्या के साथ, प्रतियोगिता में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी, इसलिए आपको अपनी तैयारी में बढ़ोतरी करनी चाहिए.
नियामक द्वारा पीसीए शुरू हो जाने पर, बैंक को शाखाओं को खोलने, कर्मचारियों की भर्ती और कर्मचारियों के वेतन वृद्धि आदि पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा, बैंक केवल उन कंपनियों को ऋण का भुगतान कर सकता है जिनका उधार निवेश ग्रेड से ऊपर है. अभी तक, सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों को पीसीए के तहत रखा गया है अर्थात यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक.
रिज़र्व बैंक ने त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) फ्रेमवर्क के एक भाग के रूप में कैपिटल टू रिस्क-वेटेड एसेट्स रेशियो (सीआरएआर), नेट नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) और रिटर्न ऑन एसेट्स (आरओए) जैसे तीन मापदंडों के संदर्भ में निश्चित नियामक ट्रिगर बिन्दुओं को निर्दिष्ट किया है, ऐसे ट्रिगर बिन्दुओं से प्रभावित बैंकों के संबंध में कुछ संरचित और विवेकाधीन कार्रवाइयों की शुरुआत करने हेतु. पीसीए का फ्रेमवर्क केवल वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है तथा सहकारी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और एफएमआई तक विस्तृत नहीं है.
13 अप्रैल, 2017 को नए नियमों को उद्घाटित करते हुए, आरबीआई ने एनपीए जैसे महत्वपूर्ण संकेतकों के लिए तीन जोखिम सीमा तय की और प्रत्येक थ्रेशोल्ड के लिए विशिष्ट सुधारात्मक उपायों को जोड़ा. 6-9 प्रतिशत के शुद्ध एनपीए अनुपात वाले बैंक जोखिम श्रेणी 1 के अंतर्गत आते हैं,सभी ऋणों के 9-12 प्रतिशत के बीच शुद्ध एनपीए वाले ऋणदाता दूसरी जोखिम श्रेणी में आते हैं, जबकि 12 प्रतिशत से अधिक शुद्ध एनपीए अनुपात वाले तीसरी श्रेणी में आते है.
अतः, यह बैंकों पर एनपीए की पूर्ण जानकारी तथा इसके प्रभाव थे. अपनी तैयारी को बेहतर गति और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जारी रखें.
आप सभी को आपकी सभी परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएँ!!!!!!!!