RBI to release Fraud Registry in Hindi: आज-कल बड़ी संख्या में जालसाज, बैंकों के साथ-साथ ग्राहकों को भी ठग रहे हैं। इन गतिविधियों को कम करने और विनियमित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) एक धोखाधड़ी रजिस्ट्री ब्लैकलिस्ट ज़ारी करने के लिए तैयार है। इस रजिस्ट्री में बैंकों और आम लोगों को चूना लगाने वाले ठगों के मोबाइल नंबर (Mobile Number), आईपी एड्रेस (IP Address) जैसी जानकारियां दर्ज होंगी, जिनका उपयोग धोखाधड़ी के लिए किया जा रहा है। एक तंत्र विकसित किया जा रहा है जिसके माध्यम से बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को स्कैमर के विवरण की रिपोर्ट करने में सक्षम होंगे। फ्रॉड रजिस्ट्री बनाने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है। सर्वोत्तम तंत्र को विकसित करने और इन स्कैमर्स को धोखाधड़ी करने से रोकने के लिए आरबीआई आंतरिक बैठकें कर रहा है। ये बैठकें विशेष रूप से इसके पर्यवेक्षण और भुगतान और निपटान विभागों (supervision and payments and settlements departments) के साथ की जा रही हैं। अन्य विभागों और हितधारकों की राय पर भी विचार किया जाता है।
आरबीआई स्कैमर्स के विवरण के साथ “फ्रॉड रजिस्ट्री” ब्लैक लिस्ट ज़ारी करेगा (RBI to release “fraud registry” blacklist with details of Scammers)
आरबीआई द्वारा एक नई रिपोर्टिंग प्रणाली विकसित की जा रही है, जिसमें स्कैमर्स के विवरण के साथ फ्रॉड रजिस्ट्री तैयार किया जाएगा। जालसाजों की पहचान उनके लोकेशन, आईपी एड्रेस, संपर्क नंबर आदि के आधार पर की जाएगी। रिज़र्व बैंक के एक्सीक्यूटिव डाइरेक्टर (RBI Executive Director) अनिल कुमार शर्मा ने इस बारे में बताया, “आने वाले समय में हमारे पास फ्रॉड करने वाले सभी लोगों की एक रजिस्ट्री होगी। हम अभी इस आइडिया पर काम कर रहे हैं। हम सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए विभिन्न एजेंसियों के साथ संपर्क में हैं। हमारा आइडिया है कि आईपी एड्रेस, कॉन्टैक्ट नंबर और लोकेशन आदि जैसी जानकारियों की मदद से हम वैसे लोगों की पहचान कर सकें, जो ठगी करने के काम में संलिप्त हैं।”
फ्रॉड रजिस्ट्री कुछ समस्याओं को संभालने में सक्षम होगी जैसे कि वर्तमान में हर साल एक लोकपाल (Ombudsman) को क्रेडिट कार्ड, डेबिट या एटीएम कार्ड और ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग से जुड़ी 40% से अधिक शिकायतें प्राप्त होती हैं। सभी शिकायतों में से 10% उन स्थितियों के बारे में हैं जहां किसी ने नकदी निकालने के लिए एटीएम का उपयोग करने का प्रयास किया, लेकिन पाया कि उनके खाते से पैसे काट लिए जाने के बावजूद नकदी नहीं निकाली गई।
एक राष्ट्र एक लोकपाल रणनीति (One Nation One Ombudsman Strategy)
नवंबर 2021 में आरबीआई ने वन नेशन वन ओम्बड्समैन के तहत एकीकृत लोकपाल योजना शुरू की। लोकपाल एक अधिकारी है जो विनियमित संस्थाओं के ख़िलाफ़ की गई सार्वजनिक शिकायतों को देखता है। यदि किसी ग्राहक को बैंक से संबंधित कोई समस्या है तो वर्तमान नियमन के तहत वे 30 दिनों के भीतर अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं। यदि 30 दिनों में समाधान नहीं मिला तब ग्राहक के पास आरबीआई के इंटीग्रेटेड ओम्बड्समैन (Integrated Ombudsman of RBI) में जाने का विकल्प मिलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकिंग, एनबीएफसी और पेमेंट सिस्टम में सेवाओं में कोताही की समस्या को दूर करने के लिए पिछले साल इंटीग्रेटेड कंज्यूमर ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म (Integrated Consumer Grievance Redressal Mechanism) की शुरुआत की थी। चालू वित्त वर्ष में, RBI को 4 लाख से अधिक ग्राहक शिकायतें मिलीं। वित्तीय वर्ष 2020-2021 से शिकायतों में लगभग 9% की वृद्धि हुई है। तीन अलग-अलग योजनाएं: एक बैंकों के लिए, एक ग़ैर-बैंक वित्तीय संगठनों के लिए और एक डिजिटल लेनदेन के लिए एकीकृत लोकपाल के तहत विलय कर दी गई थी। वर्ष 2019-2020 में शिकायतों का टर्नअराउंड समय 95 दिन था जिसे और घटाकर 38 दिन कर दिया गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के दौरान रिजर्व बैंक को फ्रॉड की 4.18 लाख शिकायतें मिलीं। यह आंकड़ा 2020-21 की तुलना में 9.39 फीसदी ज्यादा था। पिछले फाइनेंशियल ईयर के दौरान 97.9 फीसदी मामलों को क्लियर किया गया, जबकि 2020-21 में 96.5 फीसदी मामले क्लियर किए गए थे। एटीएम व डेबिट कार्ड, मोबाइल व इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड से जुड़े मामलों ने कुल मामलों में 39 फीसदी का योगदान दिया। वहीं 28 फीसदी हिस्सेदारी के साथ लोन से जुड़े मामले दूसरे स्थान पर रहे।
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