Latest Hindi Banking jobs   »   Cambridge Analytica Scandal: Should We Be...

Cambridge Analytica Scandal: Should We Be Concerned? (in Hindi)

फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल मीडिया में छाया रहा और इन दिनों बहुत ज्यादा चर्चा में है. हमें छात्रों से कई ईमेल प्राप्त हुए हैं ताकि उन्हें इस बात को सरल तरीके से समझाया जा सकें. आपने कई समाचार पत्रों में पढ़ा होगा या कई समाचार पोर्टल पर इसके बारे में सुना होगा लेकिन जो वास्तव में हुआ है उसकी जटिलता का करण या इसके होने की अफवाह, बहुत से लोगों को उलझन में डाल रही है. इसलिए हमारे सभी पाठकों को अपडेट रखने और उनकी मांग पर बेहतर जानकारी प्रदान करने में सहायता करने के लिए, यहां हम एक साधारण और अधिक सरल दृष्टिकोण में घोटाले के बारे में चर्चा करेंगे.

Cambridge Analytica Scandal: Should We Be Concerned? (in Hindi) | Latest Hindi Banking jobs_3.1

यदि आप सोच रहे हैं कि हमें इसके बारे में सबसे पहले क्यों जानना चाहिए, तो आपको अपने साक्षात्कार और परीक्षा के लिए करेंट अफेयर तैयार रखने के लिए इसके बारे में जाना जरूरी है. साथ ही, इस पर एक अनुमान लगाया जा सकता हैं कि भारत में नागरिक इससे कैसे प्रभावित हो सकते हैं, जिस पर हमने इस लेख के अंत में चर्चा की है. 

इसकी शुरूआत करने से पहले आपको यह जानने की जरूरत है कि इस घोटाले के मुख्य खिलाड़ी कौन हैं? कैम्ब्रिज एनालिटिका (सीए) एक ब्रिटिश राजनीतिक सलाहकार फर्म है जो चुनाव प्रक्रिया के लिए सामरिक संचार के साथ डाटा खनन, डाटा ब्रोकरेज और डाटा विश्लेषण को जोड़ती है.सोशल मीडिया के दिग्गज फ़ेसबुक ने जिसमें 50 मिलियन फेसबुक यूजर का डाटा है वह शोधकर्ता के संपर्क में आया जो कैंब्रिज एनालिटिका में काम करता था जो ट्रम्प कैंपेन के लिए काम करती थी. कैंब्रिज एनालिटिका होने से  पहले वह स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशन लैबोरेट्रीज ग्रुप-एससीएल ग्रुप था. यह मूल रूप से एक संदेश वाहक और पीआर फर्म है जो पूरे विश्व में सरकारों, राजनेताओं और सेना के लिए काम करता है. क्रिस्टोफर वाइली, एक डाटा वैज्ञानिक, एक पूर्व कैम्ब्रिज एनालिटिका कर्मचारी है जो कि विस्सल ब्लोअर हैं. स्टीव बैनन पूर्व व्हाईट हाउस के चीफ स्ट्रैटेजीस्ट के गठित डाटा फर्म कैंब्रिज एनालिटिका के गहरे संबंध थे. उन्होंने डाटा कंपनी की स्थापना में मदद की और उपाध्यक्ष के रूप में सेवा भी दी. अलेक्जेंडर कोगन फ़ेसबुक ऐप के डेवलपर जिसने “दिसइसयोरडिजिटललाइफ” क्विज एप का इस्तेमाल करते हुए सभी डाटा एकत्र किये हैं.

यह कोई पहली बार नहीं है जब कैंब्रिज एनालिटिका घोटाले में फंसी है, द गार्जियन में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक ब्रैक्सिट रिफरेनडम के दौरान एक डिजिटल सेवा फर्म है जो कैंब्रिज एनालिटिका से जुड़ी थी ने प्रो -ब्रेक्सिट कैंपेन संगठन से £625,000 का भुगतान प्राप्त किया था, ताकि वोट लीव को प्रभावित किया जा सके और जनमत संग्रह के नियमों का उल्लंघन किया जा सके.

अब सवाल उठता है कि वास्तव में क्या हुआ था? क्रिस्टोफर विली पूर्व कैम्ब्रिज एनालिटिका कर्मचारी के अनुसार, फर्म जिसे एक रूसी अमेरिकी -अलेक्जेंडर कोगन के माध्यम से लगभग 50 मिलियन फेसबुक उपयोगकर्ताओं का डाटा प्राप्त किया जिन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में काम किया है. अलेक्जेंडर कोगन ने 2014 में एक व्यक्तित्व-पूर्वानुमान एप्लिकेशन- “thisisyourdigitallife” विकसित किया, जो 50 मिलियन फेसबुक उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत आंकड़ों से होकर कैंब्रिज एनालिटिका तक पहुँचता है. इस डाटा का इस्तेमाल अमेरिका में राजनीतिक अभियान के लिए ट्रम्प समर्थन के लिए लक्षित विज्ञापनों को बनाने के लिए किया गया था. ट्रम्प अभियान ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ 2016 में काम करना शुरू किया था. ट्रम्प ने कैंब्रिज एनालिटिका के पूर्व उपाध्यक्ष स्टीव बॅनन को अपने अभियान के मुख्य कार्यकारी के रूप में भी नियुक्त किया.

क्या फेसबुक पर आपका डाटा सुरक्षित है? चलिए स्पष्ट करते है यदि आप फेसबुक पर कोई भी व्यक्तिगत जानकारी डालते हैं, तो आप उम्मीद कर सकते हैं कि इसे फ़ेसबुक और तीसरे पक्षों द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा. हर बार जब आप किसी ऐप या किसी खाते या डिवाइस को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लिंक करते हैं तो  Google+, Twitter or Facebook जैसे एप आपसे डाटा को एक्सेस करने की अनुमति मांगती हैं जो  कुछ हो सकता है:कॉन्टेक्ट्स, फ्रेंडलिस्ट, इमेज, सर्च डाटा, कूकीज, ज्योग्राफिकल लोकेशन आदि. लेकिन, जो कुछ भी संगृहीत किया जा सकता है उसे लॉक करने के लिए आप को किसी भी एप को फेसबुक अकाउंट या इनफार्मेशन की अनुमति नहीं देनी चाहिए.

How are people in India concerned?
पहले हम आपको यह बताते कि डिजिटल युग में डाटा पीआर, एनालिटिकल फर्म और फेसबुक के लिए क्या मायने रखता है, यह उनके लिए एक मुद्रा जैसा है जिसके माध्यम से एक कंपनी एक व्यक्ति की पसंद, न पसंद और प्राथमिकताओं के बारे में जानती हैं और व्यक्ति की खोज और प्राथमिकताओं के अनुसार उन्हें विज्ञापन दिखाती है. और इस तरह से फेसबुक बहुत पैसा कमा रहा है और  यह अनुमान लगाया जा सकता है कि गूगल और फेसबुक वैश्विक डिजिटल विज्ञापन राजस्व का 1/5 हिस्सा ले रहा है. अब अफवाहें अमेरिका के समान हैं, यहां तक कि भारत में भी ऐसे राजनीतिक अभियान संभवतः 2019 चुनावों के लिए सोशल मीडिया के इस मंच से शुरू हो सकते हैं क्योंकि हम सभी जानते हैं कि भारत में फेसबुक का एक बड़ा उपयोगकर्ता आधार है और कंपनी के पास  निश्चित रूप से भारतीय नागरिक का बहुत बड़ा डाटा है. यह डाटा मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल बनाने की कुंजी है और फिर अगर डाटा समझौते के आधार पर होता है, तो फिर  के प्रयोक्ताओं को भी अपने मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल के अनुरूप राजनीतिक विज्ञापन दिखाकर लक्षित किया जा सकता है. यह सब हालांकि प्रत्यक्ष रूप से नहीं पर परोक्ष रूप से एक निश्चित पार्टी या उम्मीदवार के लिए वोट करने के लिए किसी व्यक्ति की पसंद में हेरफेर कर सकता है. लेकिन अब तक, कोई निश्चित दावा नहीं है कि भारत में ऐसी कोई डिजिटल पहल हो रही है, ये यू.एस. चुनाव अभियान में क्या हुआ या उसके आसपास है.

फेसबुक और गूगल पहले से ही भारत सरकार की ओर से उड़ीसा में महिला उद्यमियों को प्रशिक्षित करने के लिए ‘शी मीन्स बिजनेस’ कार्यक्रम जैसे डिजिटल पहलों से जुड़े विभिन्न परियोजनाओं में भारत से जुड़े हैं; फेसबुक, ने फाइबर ग्रिड के माध्यम से अपने लोगों को इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार को सहयोग देने की पेशकश की; गूगल रेलटेल के साथ रेलवे स्टेशन वाई-फाई पहुंच के लिए जुड़ा हुआ है. यह भविष्य में सरकारों और कंपनियों जैसे फेसबुक और गूगल के लिए डाटा खनन और व्यवसाय खुफिया कार्यों के बीच सह-निर्भरता का एक पारिस्थितिकी तंत्र बना सकता है. 


Cambridge Analytica Scandal: Should We Be Concerned? (in Hindi) | Latest Hindi Banking jobs_4.1     Cambridge Analytica Scandal: Should We Be Concerned? (in Hindi) | Latest Hindi Banking jobs_5.1

You may also like to read:

TOPICS:

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *