मेरा नाम शकील है। मैं SBI Junior Associates (Clerk) के पद के लिए हुई भर्ती प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ राज्य से सफल रहा हूं। सफलता छोटी हो या बड़ी, यह चलकर तो हमारे पास नहीं आती है। हमें उन तक पहुंचना होता है। मेरे लिए यह सफर कैसा रहा, इस अनुभव को मैं यहां साझा कर रहा हूं।
सफलता के लिए तीन चीजें जरूरी है। पहला है आत्मविश्वास। दूसरा, थोड़ी सी कल्पनाशीलता। और तीसरी चीज जो कि सबसे मुश्किल है। जी हां। असफल होना। यह किसी चर्चित उपन्यास का संवाद हो सकता है, पर बात बेहद गहरी है। पहली दो जीचें सभी के पास होती है। लेकिन लाखों की भीड़ में कुछ हजार लोग जो खुद को अलग खड़ा कर पाते हैं उसका राज यही है कि वह असफलता के मायनों को समझ चुके होते हैं। खुद की बात करूं तो मैं 17 महीने के कठिन परिश्रम के बाद नौंवे एक्जाम में सफल हुआ। तो क्या पहले की आठ कोशिशें मेरे लिए असफलता थी। कतई नहीं। IBPS के रिकॉड्स में मैं भले ही असफल रहा। पर हकीकत में वह सफलता की सीढ़ी थी, जिसपर चढ़कर मैंने यहां तक का सफर तय किया। सोचता हूं अगर ये सीढियां न होतीं तो मैं यहां न होता।
मैंने बैंक एक्जाम की तैयारी थोड़े देर से शुरू की। अप्रैल 2017 में। ग्रामीण परिवेश और थोड़ी बहुत आर्थिक तंगी के कारण कोचिंग ज्वाइन करना मुश्किल विकल्प था। लिहाजा खुद से ही पढ़कर बैंकर बनने का बीड़ा उठाया। इसमें साथ मिला कुछ दोस्तों के मार्गदर्शन का। लेकिन सबसे अहम रहा यू—ट्यूब। और यू—ट्यूब में भी Adda247 का। Adda के लाइव क्लासेस मेरी लिए संजीवनी की तरह थी। जब मैंने तैयारी शुरू की तो मैथ सबसे बड़ी चुनौती थी। Adda के यू—ट्यूब चैनल पर सुमित सर के क्लासेस को फॉलो किया। सच कहूं तो कुछ ही महीनो में मैथ, मैथ नहीं खेल लगने लगा। सुमित सर ने मैथ सेक्शन को एटेम्पट करने का सही एप्रोच दिया। और साथ ही दिया ढेर सारा आत्मविश्वास। शुक्रिया सर। आपका मुझपर जो ऋण है उससे कभी उऋण नहीं हो पाउंगा।
रिजिनिंग में पजल बड़ी चुनौती थी। कइयों ने खूब प्रैक्टिस करने की सलाह दी। की भी। ये सोच कर कि Practice Makes a man perfect. पर मैं गलत था। इस Proverb में एक बुनियादी दोष है। मेरे ख्याल से यह यूं होना चाहिए—Right Practice Makes a Man Perfect. और मुझे Right Practice का हुनर सिखाया आकांक्षा मैम ने। उसकी क्लासेस करके एहसास हुआ कि मैं तो बेकार ही डर रहा था। शुक्रिया मैम। स्टूडेंट्स के प्रति आपका समर्पण किसी भी शिक्षक के लिए नजीर की तरह है।
और अब इंग्लिस जिसमें अपना हाथ सबसे ज्यादा तंग था। सिलेक्शन के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा। कई किताबें फॉलो की। यू—ट्यब पर भी कई चैनल फॉलो किया। लेकिन विश्वास कम हासिल हुआ और तनाव ज्यादा। लगा कि इंग्लिस कहीं ले न डूबे। हताशा के इसी क्षण में आंचल मैम का साथ मिला। उनके दो तीन लाइव क्लासेस के बाद ही इंग्लिस में इंटेरेस्ट आने लगा। मैम आपके पढ़ाने का अंदाज मन मोह लेने वाला होता है। और आपने तो मेरे मन को भी अंग्रेजी पर मोहित कर दिया। आपके क्लासेस ने मेरे अंदर इतना आत्मविश्वास तो भर ही दिया कि मैं इंग्लिस सेक्शन में स्कोर करने के बारे में सोच सकता था। पहले तो सारी काशिशें बस Cut Off क्लियर करने पर ही सिमट कर रह जाती थी। शुक्रिया मैम। हालांकि यह शब्द काफी नहीं आपका आभार व्यक्त करने के लिए।
मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि अड्डा और उनके शानदार फैकल्टी का सहयोग और मार्गदर्शन आगे भी मुझे मिलता रहेगा। क्योंकि सफलता कोई मंजिल नहीं बस पड़ाव भर है। आगे सफर लंबा है।
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