भारत दुनिया की लगभग 8% जैव विविधता का घर है, इसलिए यहाँ वन्यजीव संरक्षण सिर्फ पर्यावरणीय संतुलन के लिए ही नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय धरोहर को बचाने के लिए भी बेहद आवश्यक है। खतरे में पड़ी प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए सरकार ने समय-समय पर कई विशिष्ट संरक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं। इन कार्यक्रमों से संबंधित प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार पूछे जाते हैं, विशेषकर पर्यावरण, करेंट अफेयर्स और GS से जुड़े टॉपिक्स में। इसलिए इन्हें समझना परीक्षार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत के राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम: बाघ, डॉल्फ़िन, हाथी, भालू, मगरमच्छ और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा का संपूर्ण सफर
| प्रोजेक्ट / कार्यक्रम | शुरुआत का वर्ष | लक्षित प्रजाति | मुख्य क्षेत्र / राज्य | मुख्य उद्देश्य / प्रमुख बिंदु |
|---|---|---|---|---|
| प्रोजेक्ट टाइगर | 1973 | बंगाल टाइगर | पूरे भारत में (50+ टाइगर रिज़र्व) | पर्यावास संरक्षण, शिकार-रोधी उपाय, NTCA के तहत जनसंख्या वृद्धि |
| प्रोजेक्ट एलीफेंट | 1992 | एशियाई हाथी | असम, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा | मानव-हाथी संघर्ष में कमी, कॉरिडोर सुरक्षा, जनगणना व मॉनिटरिंग |
| एशियाई शेर संरक्षण कार्यक्रम / लायन लैंडस्केप डेवलपमेंट | 1972 से आगे | एशियाई शेर | गिर वन, गुजरात | पर्यावास विस्तार, जीन विविधता जोखिम कम करना, मानव-शेर संघर्ष में कमी |
| प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन | 2020 | गंगा नदी डॉल्फ़िन एवं इंडियन ओशन हंपबैक डॉल्फ़िन | गंगा, ब्रह्मपुत्र, तटीय क्षेत्र | पर्यावास सुरक्षा, स्वच्छ नदियाँ, जागरूकता और वैज्ञानिक शोध |
| प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल | 1975 | घड़ियाल, मगर, खारे पानी का मगरमच्छ | चंबल, ओडिशा, गुजरात | कैप्टिव ब्रीडिंग, पुनःउत्सर्जन कार्यक्रम, वेटलैंड संरक्षण |
| प्रोजेक्ट घड़ियाल | 2008 | घड़ियाल (संकटग्रस्त) | चंबल, सोन, गंडक नदी | प्रजाति पुनर्स्थापन, ब्रीडिंग व मॉनिटरिंग |
| प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड | 2009 | हिम तेंदुआ | हिमालयी राज्य—जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल, सिक्किम | जलवायु-संवेदी संरक्षण, स्थानीय समुदाय की भागीदारी |
| प्रोजेक्ट हंगुल — कश्मीरी स्टैग | — | हंगुल हिरण | जम्मू-कश्मीर | दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में केंद्रित संरक्षण |
| प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर | 2009–10 | स्लॉथ भालू | मध्य प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात | मानव-भालू संघर्ष में कमी, कॉरिडोर सुरक्षा, ट्रैकिंग |
| प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड | — | ग्रेट इंडियन बस्टर्ड | राजस्थान, गुजरात | ब्रीडिंग सेंटर, पर्यावास पुनर्स्थापन, घासभूमि संरक्षण |
| प्रोजेक्ट रेड पांडा | — | रेड पांडा | सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश | पर्यावास सुधार, मॉनिटरिंग, ब्रीडिंग |
| प्रोजेक्ट ब्लैकबक | — | ब्लैकबक | गुजरात, राजस्थान, ओडिशा | घासभूमि प्रबंधन, स्थानांतरण, गश्ती व संरक्षण कार्य |
| प्रोजेक्ट वल्चर | 2006–07 | भारतीय गिद्ध (कई प्रजातियाँ) | उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम, मध्य प्रदेश | डाइक्लोफेनाक पर प्रतिबंध, ब्रीडिंग सुविधाएँ, जागरूकता अभियान |
| राइनो विज़न 2020 / असम राइनो कार्यक्रम | 2005 | एक-सींग वाला गेंडा | काज़ीरंगा, पबितोरा, ओरंग (असम) | स्थानांतरण, शिकार-रोधी उपाय, पर्यावास सुदृढ़ीकरण |
प्रोजेक्ट टाइगर: भारत की सबसे ऐतिहासिक संरक्षण पहल
1973 में शुरू किया गया प्रोजेक्ट टाइगर भारत के सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों में से एक है। इसकी शुरुआत सिर्फ 9 टाइगर रिज़र्व से हुई थी, लेकिन आज यह देश भर के 50 से अधिक टाइगर रिज़र्व को कवर करता है।
प्रोजेक्ट टाइगर के उद्देश्य
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बाघों की जनसंख्या बढ़ाना
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वन पर्यावास की सुरक्षा
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शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार पर रोक
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स्थानीय समुदायों को संरक्षण में शामिल करना
इस पहल की सफलता से आज भारत विश्व के कुल बाघों में से 75% से अधिक को अपने यहाँ सुरक्षा दे रहा है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर वन्यजीव संरक्षण में अग्रणी देश बन गया है।
भारत में बाघ संरक्षण: एक शानदार सफलता की कहानी
भारत रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक पर्यावास है—एक प्रतिष्ठित प्रजाति जो अपनी अद्भुत शक्ति, फुर्ती और सुंदरता के लिए दुनिया भर में जानी जाती है। नवीनतम आकलन रिपोर्टों के अनुसार भारत में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण है—कड़े संरक्षण उपाय, शिकार-रोधी निगरानी, और वन पर्यावास का पुनर्स्थापन।
रणथंभौर, सुंदरबन, जिम कॉर्बेट और बांधवगढ़ जैसे प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व हर साल हजारों अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। इससे न केवल बाघ संरक्षण मजबूत होता है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए इको-टूरिज़्म, गाइडिंग, होटलिंग और वन आधारित नौकरियों के नए अवसर भी उत्पन्न होते हैं।
प्रोजेक्ट लायन / एशियाई शेर संरक्षण (1972 से जारी)
हालाँकि इसे आधिकारिक रूप से “प्रोजेक्ट लायन” नहीं कहा जाता, लेकिन एशियाई सिंह संरक्षण कार्यक्रम पूरी तरह से गिर, गुजरात में केंद्रित है—जहाँ एशियाई शेरों की दुनिया की एकमात्र जंगली जनसँख्या पाई जाती है।
मुख्य विशेषताएँ
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भारत ही दुनिया में एशियाई शेर की अकेली जंगली जनसंख्या का घर है।
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संरक्षण का मुख्य फोकस पर्यावास विस्तार और जेनेटिक जोखिमों को कम करना है।
- लायन लैंडस्केप डेवलपमेंट प्रोजेक्ट इस संरक्षण प्रयास को और मजबूत कर रहा है, जिससे शेरों के लिए सुरक्षित और विस्तृत लैंडस्केप तैयार किए जा रहे हैं।
प्रोजेक्ट डॉल्फिन (2020)
यह एक नवीनतम पहल है, जिसे 2020 में पेश किया गया था।
कवरेज क्षेत्र
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गंगा नदी डॉल्फ़िन
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इंडियन ओशन हंपबैक डॉल्फ़िन
इस प्रोजेक्ट का मुख्य ध्यान-क्षेत्र है—स्वच्छ नदियाँ, शिकार-रोधी उपाय, स्थानीय समुदाय की भागीदारी, और जलीय पारितंत्र का पुनर्स्थापन।
डॉल्फिन: भारत के मित्रवत जल स्तनधारी
भारत गंगा नदी डॉल्फ़िन का घर है, जिसे 2009 में राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया था।
डॉल्फ़िन की सुरक्षा के लिए 2020 में प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य है:
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नदी पर्यावासों की सफाई
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डॉल्फ़िन की संख्या और व्यवहार की मॉनिटरिंग
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प्रजनन स्थलों की सुरक्षा
डॉल्फ़िन नदियों के स्वास्थ्य की पहचान हैं, इसलिए उनका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रोजेक्ट क्रोकोडाइल (1975)
1975 में शुरू हुई इस परियोजना का उद्देश्य तीन मुख्य क्रोकोडिलियन प्रजातियों का संरक्षण है:
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घड़ियाल
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मगर
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सॉल्टवॉटर क्रोकोडाइल
मुख्य उपाय
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कैप्टिव ब्रीडिंग और पुनःउत्सर्जन
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नेशनल चंबल सेंचुरी की स्थापना
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वेटलैंड संरक्षण
प्रोजेक्ट घड़ियाल (2008)
यह परियोजना विशेष रूप से गंभीर रूप से संकटग्रस्त घड़ियाल के संरक्षण के लिए शुरू की गई।
फोकस क्षेत्र
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घोंसलों और नदी तटों की निगरानी
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कैप्टिव ब्रीडिंग कार्यक्रम
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चंबल, सोन, गंडक और गिरवा नदियों में जारी
प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड (2009)
यह कार्यक्रम हिमालयी राज्यों में पाए जाने वाले दुर्लभ हिम तेंदुए की रक्षा के लिए शुरू किया गया था।
कवर किए गए राज्य
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जम्मू और कश्मीर
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हिमाचल प्रदेश
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उत्तराखंड
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अरुणाचल प्रदेश
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सिक्किम
यह पहल समुदाय आधारित संरक्षण और जलवायु-संवेदी शोध पर आधारित है।
प्रोजेक्ट हंगुल (कश्मीर स्टैग संरक्षण)
यह कार्यक्रम कश्मीर घाटी में पाए जाने वाले संकटग्रस्त हंगुल हिरण के संरक्षण पर केंद्रित है।
मुख्य चिंताएँ
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पर्यावास की हानि
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शिकार
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कम और कमजोर जनसँख्या
संरक्षण कार्य मुख्य रूप से दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान में किया जाता है।
प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर (2009–10)
मुख्य उद्देश्य
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स्लॉथ भालू के कमजोर पर्यावासों की रक्षा
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मानव–भालू संघर्ष में कमी
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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात के जंगलों में मॉनिटरिंग
प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
यह भारत का गंभीर रूप से संकटग्रस्त घासभूमि पक्षी है।
मुख्य संरक्षण प्रयास
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राजस्थान में कैप्टिव ब्रीडिंग
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घासभूमि पुनर्स्थापन
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बिजली की लाइनों से होने वाली मृत्यु रोकना
मुख्य क्षेत्र: राजस्थान और गुजरात
प्रोजेक्ट रेड पांडा
यह मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्रों में लागू है:
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सिक्किम
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अरुणाचल प्रदेश
इसमें पर्यावास मानचित्रण, मॉनिटरिंग और कैप्टिव ब्रीडिंग शामिल हैं।
प्रोजेक्ट ब्लैकबक
यह कार्यक्रम निम्न राज्यों में संचालित है:
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गुजरात
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राजस्थान
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ओडिशा
मुख्य प्रयास हैं: घासभूमि पुनर्स्थापन, स्थानांतरण और कड़ी सुरक्षा।
प्रोजेक्ट वल्चर (2006–07)
डाइक्लोफेनाक दवा के कारण गिद्धों की भारी गिरावट देखी गई, जिसके बाद यह परियोजना शुरू की गई।
मुख्य कदम
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पशु दवा डाइक्लोफेनाक पर पूर्ण प्रतिबंध
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कैप्टिव ब्रीडिंग केंद्र
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समुदाय में जागरूकता कार्यक्रम
प्रोजेक्ट राइनो (असम राइनो विज़न 2020)
असम में चलाया जाने वाला यह कार्यक्रम भारतीय एक-सींग वाले गैंडे के संरक्षण पर केंद्रित है।
मुख्य उपाय
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काज़ीरंगा, पबितोरा और ओरंग में सख्त सुरक्षा
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नए सुरक्षित क्षेत्रों में ट्रांसलोकेशन
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एंटी-पोचिंग स्क्वाड और गश्त
इन परियोजनाओं का महत्व
ये सभी संरक्षण पहल:
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संकटग्रस्त प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाती हैं
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पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखती हैं
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इको-टूरिज़्म के माध्यम से ग्रामीण रोजगार बढ़ाती हैं
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भारत को वैश्विक संरक्षण नेतृत्व में अग्रणी बनाती हैं


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