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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय: पूर्ण जानकारी

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय: पूर्ण जानकारी | Latest Hindi Banking jobs_2.1
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के दस बैंकों को चार प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंकों में विलय की घोषणा की है। विलय के बाद, भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कुल संख्या 27 से घटकर 12 हो जाएगी। देश में व्याप्त आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए, यह नीतिगत घोषणा की गई है। इसके साथ सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 55,000 करोड़ रुपये की पूंजी देने की घोषणा की है। सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंक के प्रस्तावित विलय इस प्रकार होगा :

  • पंजाब नेशनल बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय करके एक बैंक बनाया जायेगा,जो 17.95 लाख करोड़ रुपये की कुल पूंजी के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन जायेगा।
  • केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का विलय किया जाना चाहिए, जो सार्वजनिक क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा, जिसकी कुल पूंजी 15.2 लाख करोड़ रुपये होगी।
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का विलय होना है, जो पाचवां सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंक बन जायेगा, जिसकी कुल पूंजी 14.6 करोड़ रुपये है।
  • इंडियन बैंक का विलय इलाहाबाद बैंक में कर दिया जाएगा, जो कुल 8.08 लाख करोड़ रुपये की पूंजी के साथ 7 वां सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बन जाएगा। 

इससे पहले अप्रैल 2017 में, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBP), स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (SBT), और भारतीय महिला बैंक (BMB) का विलय SBI में गया था।

एक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था आंतरिक और बाहरी कारकों के कारण प्रभावित हो सकती है। भारतीय बैंकों द्वारा भारी नुकसान का यह अनुभव नया नहीं है। इससे पहले 1980 में भी बैंकों में विलय हुए थे। वर्ष 1991 और 1992 में बैंकिंग क्षेत्र के संकट के मुद्दे को देखने के लिए नरसिम्हन समिति (Narasimhan Committee) की स्थापना की गई थी। बैंकों का विलय पहले भी किया गया है, लेकिन इतने बड़े पैमाने में विलय इससे पहले कभी नहीं हुआ है। बैंकिंग संस्थानों और बैंक विलय के मुद्दे को हल करने के लिए पी जे नायक समिति  (P J Nayak committee) नाम की एक समिति भी है।

बैंक विलय की आवश्यकता क्यों होती है?

मैकिन्से रिपोर्ट में दिए गए एक हालिया शोध ने एशिया – प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को समेकित करते हुए एक रिपोर्ट तैयार की है। बैंकिंग संस्थान किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और रिपोर्ट के अनुसार, एशिया-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में बैंकों की बढ़ती पूंजी लागत के साथ संपत्ति की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। भारत, एशिया के उन देशों में से एक है, जिनके बैंक भारी नुकसान से जूझ रहे हैं। इस नुकसान का मुख्य कारण खराब ऋण मामले हैं। इसके अलावा, बैंकिंग सेक्टर में लंबे संकट की  और दिवालियापन के नियमों में बाधा ने भारतीय बैंकों की हालत और भी खराब कर दी है।

बाजार संचालित प्रक्रिया के लिए विलय एक उचित कदम है। परंपरागत रूप से, बैंक विलय इन चार प्रमुख उद्देश्यों को देखते हुए किया जाता है: लागत लाभ ( स्तर की अर्थव्यवस्था, दक्षता, धन की लागत, जोखिम विविधीकरण); राजस्व लाभ (बड़े सौदों के लिए अर्थव्यवस्था और गुंजाइश); आर्थिक स्थिति (व्यापार चक्र में उतार-चढ़ाव); और अन्य उद्देश्य (मूल्यांकन, प्रबंधकीय लाभ, पूर्व कार्यवाही संभव अधिग्रहण, आदि)।



एक बुरा ऋण क्या है?

एक बुरा ऋण एक मौद्रिक राशि (monetary amount) है, जो एक लेनदार पर बकाया है और एक जोखिम भरा भुगतान है क्योंकि भुगतान की संभावना नहीं है। इस नुकसान के पीछे कारण यह है कि कभी-कभी लेनदार कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं होता है या फिर लेनदार दिवालिया होने के कारण राशि का भुगतान करने में सक्षम नहीं होता है।

बुरा ऋण का अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है और इसके परिणाम स्वरूप अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ जाता है। भारत में, बैंकों द्वारा दिए गए कुल ऋण का 11%, लेनदारों द्वारा वापस नहीं किया जाता है और यह ऋण खराब ऋण में चला जाता है। इसमें से 90% खराब ऋण सरकारी बैंक द्वारा उधार दिया जाता हैं। SBI भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंक है, जिसे लगभग 40,000 करोड़ रुपये के बुरे ऋण संकट का सामना करना पड़ा।

बैंकों के विलय का नकारात्मक पक्ष 




भारत अपने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 17 से घटाकर 12 कर रहा है और सरकार को लगता है कि 20 निजी बैंकों और 35 विदेशी बैंकों के सामने यह छोटी संख्या पर्याप्त है। सरकार को अर्थव्यवस्था में संकट से निपटने के लिए, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कम करने के अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करना चाहिए, विलय मंदी से जूझने का एकमात्र तरीका नहीं है। मूडीज की रेटिंग के अनुसार छोटे अर्थव्यवस्था वाले देशों की अर्थव्यवस्था बैंक की बड़ी संख्या के साथ भी स्थिर है। फिलीपींस उसी का एक अच्छा उदाहरण है।
एक अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विकास प्राप्त करने के लिए, बैंकों के विलय के बजाय अन्य सुधार भी किये जा सकते हैं।
साथ ही बैंकों का विलय कर्मचारियों को भी प्रभावित कर सकता है और विशेष रूप से अधिकारियों को क्योंकि मुख्य कार्यों को नियंत्रित करने में समस्या होगी।

उपरोक्त जानकारी के आधार पर, हम कह सकते हैं कि विलय की प्रक्रिया का उपयोग करने के बजाय समस्या को हल करने के अन्य उपाए भी अपनाए जा सकते हैं। वैसे सरकार का कदम भी हमें बेहतर परिणाम दे सकता है क्योंकि इसे व्यापक तरीके से लागू किया गया है। विभिन्न लाभकारी विशेषताओं वाले एकल बैंक के लिए अलग-अलग मजबूत बिंदुओं के साथ बैंकों का विलय करने की सरकार की सोच हमारे राष्ट्र के लिए अच्छा काम कर सकती है।

हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में इस विलय के अच्छे परिणाम देखने को मिलें!



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