Jallianwala Bagh massacre: Here’s what happened 102 years ago
Jallianwala Bagh Massacre : 13 अप्रैल 1919 भारत के इतिहास का वह काला दिन है, जिस दिन हजारों मासूम और निहत्थे लोगों पर अंग्रेज हुक्मरान ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं. आज इस घटना को 101 वर्ष पूरे हो चुके हैं. पर अगर आज भी आप इस जलियाँवाला बाग जायेंगे तो ये जख्म बिकुल ताजे महसूस होंगे. जलियाँवाला बाग की दीवारों और कुएँ पर आज भी इस भयानक हत्याकांड के निशान मौजूद हैं. कहते हैं इसी घटना का प्रभाव भगत सिंह पर पड़ा और वह देश की क्रांति में कूद पड़े. इस घटना के समय भगत सिंह की उम्र मात्र 12 वर्ष की थी फिर भी इस घटना की सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जलियांवाला बाग पहुंच गए थे
Jallianwala Bagh Massacre (जलियाँवाला बाग हत्याकांड) – क्या है इस दिन का इतिहास
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में बैसाखी के दिन एक सभा का आयोजन किया गया था. इस सभा का आयोजन रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए किया गया था. इस सभा में मासूम और निहत्थे लोग थे. अँग्रेज ऑफिसर जनरल डायर उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं. जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे गए थे और लगभग 2000 से भी अधिक लोग घायल हुए थे.
10 मिनट में चलीं थी 1650 राउंड गोलियां
इस हत्या कांड में 1650 राउंड गोलियां चली. जिसमें मरने वाले और घायल लोगों के अकड़े अलग अलग हैं. अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है वहीँ जलियांवाला बाग में 388 लोगों के शहीद होने की लिस्ट है. ब्रिटिश राज के अभिलेख में इस घटना में घायल होने वालों की संख्या 200 वहीँ शहीद होने वाले 379 लोगों की लिस्ट है, जिसमें 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था. वैसे अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए थे और 2000 से अधिक घायल हुए थे.
सैकड़ों लाशें शहीदी कुएँ से हुई थी बरामद –
जब जनरल डायर (Brigadier-General Reginald Dyer) ने बिना किसी चेतावनी के मासूम लोगों पर गोली चलाने के निर्देश दिए तो भगदड़ मच गई और बहुत सी औरते अपने बच्चों समेत खुद को बचाने बाग में मौजूद कुएँ में कूद गई थी. इस घटना के बाद 100 से भी अधिक लाशों को कुएँ से निकाला गया था. इसी लिए इस कुएँ का नाम शहीदी कुआं रख दिया गया.
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13 मार्च, 1940 को उधम सिंह ने लिया था बदला
जलियाँवाला बाग हत्याकांड के समय उधम सिंह भी वहाँ मौजूद थे जिन्हें गोली लगी थी. मासूम लोगों पर गोलियां बरसाने का बदला लेने ले लिए उधम सिंह ने लंदन में 13 मार्च, 1940 को गवर्नर माइकल ओ डायर को गोली मार दी थी. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और 31 जुलाई, 1940 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया.
“ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी” – पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन
वर्ष 2013 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन जब भारत आये थे तो वह इस स्मारक पर गए थे, जिसके बाद उन्होंने अपनी एक किताब विजेटर्स बुक में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बारे लिखा है – “ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी”. इसके अलावा महारानी एलिज़ाबेथ ने 1997 में इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी.
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