वित्त वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey 2022-23) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से संसद में पेश कर दिया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक वार्षिक रिपोर्ट है। यह पिछले एक साल में देश के आर्थिक प्रगति और प्रदर्शन का लेखा -जोखा होता है। इसे हर साल बजट से पहले पेश किया जाता है। आर्थिक समीक्षा सरकार की ओर आम बजट से एक दिन पहले पेश करने की परंपरा रही है। इसमें केंद्र सरकार ने यह बताया है कि भारत आगे भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
Economic Survey 2023 in Hindi
आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि कोरोना के दौर के बाद दूसरे देशों की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी तेज रही है। घरेलू मांग और पूंजीगत निवेश में बढ़ोतरी की वजह से ऐसा हो पाया है। हालांकि, सर्वेक्षण में यह चिंता जताई गई है कि चालू खाता घाटा बढ़ सकता है क्योंकि दुनियाभर में कीमतें बढ़ रही हैं। इससे रुपये पर दबाव रह सकता है। यूएस फेडरल रिजर्व अगर ब्याज दरों में इजाफा करता है तो रुपये का अवमूल्यन हो सकता है। कर्ज लंबे समय तक महंगा रह सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि काेरोना से निपटने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर आगे बढ़ चुकी है। वित्तीय वर्ष 2022 में अन्य कई देशों की तुलना में भारत ने पहले ही कोरोना पूर्व की स्थिति हासिल कर ली है। हालांकि सर्वेक्षण में महंगाई पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि महंगाई पर लगाम लगाने की चुनौती अब भी बरकरार है। यूरोप में जारी संघर्ष के कारण यह स्थिति बनी है।
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आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य बातें
- चालू वित्त वर्ष की विकास दर 7 प्रतिशत के मुकाबले देश की अर्थव्यवस्था 2023-24 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। 2021-22 के दौरान ये आंकड़ा 11 प्रतिशत का था। वहीं, अगले वित्त वर्ष में नॉमिनल टर्म में 11 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
- विकास दर को निजी खपत, अधिक कैपेक्स, मजबूत कॉर्पोरेट बैलेंस शीट, छोटे व्यवसायों द्वारा लोन की मांग और शहरों में मजदूरों की वापसी से सहारा मिल रहा है। कोरोना की चुनौतियों से देश उबर चुका है।
- रियल जीडीपी विकास दर 6-6.8 प्रतिशत के आसपास रह सकता है, हालांकि, इकोनॉमिक और राजनीति माहौल पर निर्भर करता है।
- चालू खाता घाटा (Current account deficit) बढ़ने की संभावना है। इस पीछे की वजह कमोडिटी की कीमत उच्च स्तर पर रहना है। इस कारण डॉलर के मुकाबले रुपये पर भी दबाव बना रह सकता है। आरबीआई के ताजा डाटा के मुताबिक, सितंबर तिमाही में चालू खाता घाटा बढ़कर जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रह सकता है, जो कि अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी का मात्र 2.2 प्रतिशत था।
- भारत के पास चालू खाता घाटा और विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।
- छोटे व्यवसायों के लिए लोन की मांग में जनवरी- नवंबर के बीच 30.5 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है।
- चालू वित्त वर्ष में सरकार का पूंजीगत व्यय 63.4 प्रतिशत से बढ़ा है।
- सर्वे में बताया गया है कि महंगाई अधिक रहने के कारण ब्याज दरें उच्च स्तर पर सकती हैं।
- भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकसित हो रही है बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी का विकास दर 7% रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 8.7% के दर से विकसित हुई थी।
- महामारी के बाद भारत ने आर्थिक तौर पर आनुपातिक हिसाब से तेजी से रिकवर किया और आने वाले वर्षों में भी विकास मजबूत घरेलू मांग और कैपिटल इंवेस्टमेंट के दम पर अच्छा रहने का अनुमान है।
- PPP (क्रय शक्ति समानता) के मामले में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
- महामारी और यूरोप में हो रहे संघर्ष की वजह से अर्थव्यस्था ने जो खोया था उसे लगभग ‘फिर से प्राप्त’ किया है, जो रुक गया था उसका ‘नवीनीकरण’ हुआ है और जो धीमा हुआ था वह, ‘पुनर्जीवित’ हुआ है।
- आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय यानी कैपेक्स वित्तीय वर्ष 2023 के पहले आठ महीनों में 63.4 प्रतिशत बढ़ा है। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि दर्ज की गई है।