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DRDO Full form, Work & History: जानें, DRDO फुल फॉर्म, कार्य और इतिहास के बारे में All Facts

DRDO Full form, Work & History: जानें, DRDO फुल फॉर्म, कार्य और इतिहास के बारे में All Facts | Latest Hindi Banking jobs_3.1



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DRDO Full form in Hindi: DRDO का पूरा नाम “Defence Research and Development Organisation” होता है, जबकि इसे इसे हिंदी में “रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन” के नाम से जाना जाता है.  DRDO भारत के प्रमख संस्थान में से एक और जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है ये हमारी सेना को मजबूत बनाने का करी करता है, डीआरडीओ मिसाइलों, हथियारों, हल्के लड़ाकू विमानों, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों को लगातार विकसित करने में काम कर रहा है. आज इस आर्टिकल में हम DRDO Full form, Work & History:यानि, DRDO फुल फॉर्म, कार्य और इतिहास के बारे में All Facts लेकर आये हैं.



What is DRDO work?-  रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) कार्य

डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आर एंड डी विंग है, जो अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत को सशक्त बनाने के लिए एक दृष्टि के साथ है। डीआरडीओ ने आत्मनिर्भरता का पीछा किया और मिसाइलों की अग्नि और पृथ्वी श्रृंखला जैसे रणनीतिक प्रणालियों और प्लेटफार्मों के सफल स्वदेशी विकास और उत्पादन; हल्के लड़ाकू विमान, तेजस; मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, पिनाका; वायु रक्षा प्रणाली, आकाश; रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की एक विस्तृत श्रृंखला; आदि ने, भारत की सैन्य ताकत को  महत्वपूर्ण लाभ हुआ।


बलस्य मूलम् विज्ञानम्” – शक्ति का स्रोत विज्ञान है जो शांति और युद्ध में राष्ट्र को संचालित करता है। डीआरडीओ ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में राष्ट्र को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने का दृढ़ निश्चय किया है, विशेषकर सैन्य प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में।वर्तमान में डॉ. जी.
सतीश रेड्डी
DRDO
के चेयरमैन
हैं।


DRDO History & Development: इतिहास और विकास

डीआरडीओ का गठन 1958 में भारतीय सेना के तत्कालीन पहले से चल रहे तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDEs) और रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के साथ तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (DTDP) के समामेलन से किया गया था। डीआरडीओ तब 10 प्रतिष्ठानों या प्रयोगशालाओं वाला एक छोटा संगठन था।

आज, डीआरडीओ 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है, जो विभिन्न विषयों को कवर करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में लगे हुए हैं, जैसे कि वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइल, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली। , जीवन विज्ञान, प्रशिक्षण, सूचना प्रणाली और कृषि। मिसाइलों, आयुध, प्रकाश का मुकाबला करने वाले विमान, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली आदि के विकास के लिए कई प्रमुख परियोजनाएं हाथ में हैं और ऐसी कई तकनीकों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां पहले ही हासिल की जा चुकी हैं।


एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP)






§  इसकी स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉएपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था।

§  इसका उद्देश्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना था।

§  रक्षा बलों द्वारा विभिन्न प्रकार की मिसाइलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस कार्यक्रम के तहत पाँच मिसाइल प्रणालियों को विकसित करने की आवश्यकता को मान्यता दी गई।

§  IGMDP को औपचारिक रूप से 26 जुलाई, 1983 को भारत सरकार की मंज़ूरी मिली।

§  इसने देश के वैज्ञानिक समुदायशैक्षणिक संस्थानोंअनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओंउद्योगों और तीन रक्षा सेवाओं को रणनीतिकस्वदेशी मिसाइल प्रणालियों को आकार देने हेतु एकत्रित किया है।





IGMDP के तहत विकसित मिसाइलें






पृथ्वी – सतहसेसतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।

अग्नि – सतहसेसतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।

त्रिशूल – सतहसेआकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।

आकाश – सतहसेआकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।

नाग –  तीसरी पीढ़ी की  टैंक भेदी मिसाइल।





भारत की मिसाइल प्रणाली

मिसाइल 

                                                                      
विशेषताएँ

अग्नि– I

·          
सिंगल स्टेजठोस ईंधनमध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM)

·          
ठोस प्रणोदन बूस्टर और एक तरल प्रणोदन ऊपरी चरण का उपयोग करना।

700-800 किमीकी मारक दूरी।

अग्नि– II

·         मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM)

·         2000 किमीसे अधिक की मारक दूरी।

अग्नि– III

·         दो चरणों वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM)

·         वारहेड कॉन्फिगरेशन की एक विस्तृत शृंखला को सपोर्ट करती है।

·         2,500 किलोमीटर से अधिक की मारक दूरी।

अग्नि– IV 

·         ठोस प्रणोदक द्वारा संचालित दो चरणों वाली मिसाइल।

·         रोड मोबाइल लॉन्चर से फायर कर सकते हैं।

·         3,500 किमीसे अधिक की मारक दूरी है।

·         यह स्वदेशी रूप से विकसित रिंग लेज़र गायरो और समग्र रॉकेट मोटर से लैस है।

अग्नि– V 

·         तीन चरणों वाली ठोस ईंधनस्वदेशी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM)

·         1.5 टन परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम।

·         नेविगेशन और मार्गदर्शनवारहेड और इंजन के संदर्भ में नवीनतम एवं सबसे उन्नत संस्करण।

·         इसके सेना में शामिल होने के बाद भारत भी अमेरिकारूसचीनफ्राँस और ब्रिटेन जैसे देशों के एक विशेष क्लब में शामिल हो जाएगाजिनके पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता है।

·         5,000 किमीसे अधिक की मारक दूरी।

त्रिशूल

·         सभी मौसम में सतहसेआकाश में मार करने में सक्षम कम दूरीत्वरित प्रतिक्रिया वाली मिसाइल को निम्न स्तर के हमले का मुकाबला करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

आकाश 

·         एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता के साथ सतहसेआकाश में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल है।

·         एक से अधिक वारहेड ले जाने में सक्षम है।

·         उच्चऊर्जा ठोस प्रणोदक और रैमरॉकेट प्रणोदक प्रणाली।

नाग

·         यह तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget), 4-8 किमीकी मारक दूरी की क्षमता के साथ टैंक भेदी मिसाइल है।

·         स्वदेशी रूप से इसे एक एंटीवेपन के रूप में विकसित किया गया है जो उड़ान मार्गदर्शन के लिये सेंसर फ्यूजन प्रौद्योगिकियों को नियोजित करती है।

·         हेलीना (HELINA) नाग का हवा से सतह पर मार करने वाला संस्करण है जो ध्रुव हेलीकाप्टर के साथ एकीकृत है।

पृथ्वी

·         IGMDP के तहत स्वदेशी तौर पर निर्मित पहली बैलिस्टिक मिसाइल।

·         सतहसेसतह पर मार करने वाली बैटल फील्ड मिसाइल।

·         150 किमीसे 300 किमीतक की मारक दूरी की क्षमता।

ब्रह्मोस

·         सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल।

·         इसे निजी संयुक्त उद्यम के रूप में रूस के साथ विकसित किया गया है।

·         मल्टीप्लेटफॉर्म क्रूज़ विभिन्न प्रकार के प्लेटफार्मों से आक्रमण कर सकता है।

·         2.5-2.8 मैक की गति के साथ विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है।

·         एक बार लक्ष्य साधने के बाद इसे कंट्रोल केंद्र से मार्गदर्शन की आवश्यकता नही होती है इसलिये इसे ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) मिसाइल भी कहा जाता है। 

निर्भय

·         सबसोनिक मिसाइलब्रह्मोस का पूरक।

·         भूमिसमुद्र और वायु पर कई प्लेटफाॅर्मो से लॉन्च किये जाने में सक्षम।

·         1,000 किमीतक की पहुँच है।

सागरिका

·         पनडुब्बीलॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM)

·         भारत की परमाणु ऊर्जा संचालित अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी के साथ एकीकृत है।

·         700 किमीकी मारक दूरी।

शौर्य

·         K-15 सागरिका का एक प्रकार है।

·         पनडुब्बी– परमाणुसक्षम मिसाइल।

·         भारत की दूसरी,आक्रमण क्षमता को बढ़ाने का लक्ष्य।

धनुष

·         सीबेस्डकम दूरीतरल प्रणोदक बैलिस्टिक मिसाइल।

·         पृथ्वी II का नौसेना संस्करण।

·         अधिकतम 350 किमीकी मारक दूरी।

अस्त्र 

·         ठोसप्रणोदक का उपयोग करते हुए दृश्यरेंज से परे हवासेहवा में मार करने वाली मिसाइल।

·         आकार और वज़न के मामले में DRDO द्वारा विकसित सबसे छोटे हथियारों में से एक है।

·         लक्ष्य खोजने के लिये सक्रिय रडार साधक।

·         इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमाप क्षमता।

·         80 किमीकी रेंज में हेडऑन मोड में सुपरसोनिक गति से दुश्मन के विमान को रोकने और नष्ट करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

प्रहार

·         यह भारत की नवीनतम 150 किमीकी दूरी की मारक क्षमता के साथ सतहसेसतह पर मार करने वाली मिसाइल है।

·         इसका प्राथमिक उद्देश्य अनगाइडेड पिनाका मल्टीबैरल रॉकेट लॉन्चर और निर्देशित पृथ्वी मिसाइल वेरिएंट के मध्य की खाई को पाटना है।

·         इसकी उच्च गतिशीलतात्वरण और सटीकता है।

 


GK /GA Topic 2022 : जानिये, भारत के सैन्य अभ्यासों  के बारे में  (Military Exercises of India)



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