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BOB Manipal: Journey to the Final destination

प्रिय पाठकों,

आज हम एक छात्र की सफलता की यात्रा में आने वाली चुनौतियों तथा मुश्किलों से होने वाले अनुभवों को आपके साथ साँझा करेंगे. यहाँ हम आपके साथ एक छात्र की ‘बॉब मनिपाल: अंतिम पथ की यात्रा’ का अनुभव आपके साथ बाटेंगे ताकि आप इस अनुभव से प्रेरणा प्राप्त कर सके और अपनी सफलता की कहानी खुद लिख सके. यहाँ हम उस छात्र के साक्षात्कार से लेकर, उसके बॉब मनिपाल का कार्यभार सँभालने तक के अनुभवों को साँझा करेंगे. 


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आज हम दीप के ग्रुप परिचर्चा तथा साक्षात्कार के अनुभवों को आपसे साँझा करेंगे

यह मेरी पहली परिचर्चा तथा साक्षात्कार था  परन्तु मैं नहीं जनता था कि यह मेरे भाग्य को निर्धारति करेगा और बैंक ऑफ़ बड़ोदा में जॉइनिंग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध होगा क्योकि जो तथ्य मैंने ग्रुप परिचर्चा तथा साक्षात्कार में दिए वह मैंने स्टेट बैंक पीओं के लिए भी दिए थे परन्तु उसमे मैं चयनित नहीं हुआ, शायद मेरी किस्मत पहले से ही लिखी गयी थी और मैं उसे बदलने में आसमर्थ था .

रिपोर्टिंग का समय – सुबह 9 बजे, मैं वहां  लगभग 8.15 तक पहुँच गया. 

वहां 8.30  बजे के करीब हमे एंट्री दी गयी हमें वहां 11वें तल पर जाना था वहां सभी व्यवस्था की गयी थी. मेरे साथ कुछ ओर उम्मीदवार 11वें तल पर बैंक ऑफ बड़ौदा दिल्ली रीजन 2 में मौजूद थे.

 लिफ्ट के वहां पहुँचते ही सामने गणपति जी का मंदिर देख कर मैं बहुत खुश हुआ. जैसे ही मैं गेट के अंदर गया वहां गणपति जी का दीपक प्रकाशित था जोकि एक अच्छी अनुभूति प्रदान कर रहा था यह दीप जीवन को प्रकाशमान करता है मैं उस दीप को देखकर बहुत खुश था तथा बार-बार मेरी आंखे उस दीप के प्रकाश की ओर आकर्षित होती थी

हम जिस पैनल में बैठे थे उसमे करीब 30 उम्मीदवार थे. इसके बाद हमें हस्ताक्षर तथा अंगूठे का निशान लगाने के लिये बुलाया गया.  जब हम अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे तो बैंक के किसी कर्मचारी ने मेरी ओर देख कर कुछ कहा, मैं समझ नहीं पाया उसने क्या कहा, इसके बाद उसने तेजी से बोला, वह एक प्रार्थना थी. वह एक बेहद खुबसूरत प्रार्थना थी ( इतनी शक्ति हमे देना दाता, मन का विश्वास कमजोर होना), मैं उस प्रार्थना को सुन कर बहुत खुश हुआ और  मैंने हाथ जोड़े तथा उस जगह मुडा जहाँ सभी देख रहे था और उस प्रार्थना को गाना शुरू कर दिया. और सभी उम्मीदवार हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे. वहां एक अच्छा माहौल बन गया था

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ग्रुप परिचर्चा


यह चाय बिस्कुट तथा पानी के साथ शुरू हुई. हमे  2 ग्रुप में बाँट दिया जिनमे प्रत्येक में 15 उम्मीदवार थे. हमें जीडी के लिए बुलाया गया‎ था. मैं दुसरे ग्रुप में था.

विषय – शिक्षा का निजीकरण –  अच्छा या बुरा?
यह एक अच्छी परिचर्चा थी जो ज्ञानवर्धक थी. 
मेरे विचार था कि – शिक्षा का निजीकरण अच्छा है यदि इसमें उचित निवेश किया जाये तथा उचित कार्यप्रणाली, संसाधनों का कुशल प्रयोग तथा संस्थाओ तथा सरकार के बीच सौहार्दपूर्ण सामंजस्य स्थापित किया जाये. इसके कारण समाज के सभी वर्गों को इसका लाभ प्राप्त हो पायेगा. यहाँ उचित सुधार होना चाहिए और सरकार को इस पर सख्ती से  नियंत्रण रखना चाहिए।

दुसरे ग्रुप की परिचर्चा का विषय था – गैर सरकारी संस्थान वास्तव में देश में अच्छा कार्य कर रहे हैं या  वे सिर्फ अपने कार्य  कर रहे हैं या प्रसिद्धि और लाभ के रास्ते पर जा कर देश हित को भूल रहे है.
सच कहुं तो मुझे दुसरे ग्रुप का विषय याद नहीं है पर वो गैर सरकारी संस्थानों से सम्बंधित था.

ग्रुप परिचर्चा समाप्त होने के बाद, दस्तावेज सत्यापन शुरू किया गया. पूरा सत्यापन अच्छे से हो गया. अब हम  साक्षात्कार के लिए पूरी तरह से एक ऑफिस के माहौल में बैठे थे. मैं ऑफिस के माहौल का आनंद उठा रहा था. वहां एक ओर गणपति बाप्पा की मूर्ति थी , जोकि बेहद सुंदर थी और वहां भी एक दीपक था जोकि एक अच्छा प्रतिक था .

व्यक्तिगत साक्षात्कार

आइये मूल बिंदु की चर्चा करते है व्यक्तिगत साक्षात्कार के बारे में, जोकि सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है. यह संक्षिप्त और लघु था परन्तु इसका आनंद पूरे पैनल ने लिया. यह लगभग  6-7  मिनट का था. जिनमे 3 बेहद अनुभवी सर तथा 2 मैडम थी . इसमें कुल  5  साक्षात्कारकर्ता और मैं था .
मैंने वहां सभी को नमस्कार किया . 

M1 – उन साक्षात्कारकर्ता के बीच में बैठे व्यक्ति सबसे वरिष्ठ थे

तो दीप.  अपने बारे में कुछ बताओ.

Me – मैंने अपने परिचय से शुरू किया,  तथा अपनी रूचियों के बारे में बताया जोकि अंत नहीं था परन्तु अंत में रुक गया.
मैंने जब से अपना परिचय देना शुरू किया वह तभी से मुस्कुरा रहे थे.

M1 – ‎तुम किस कंपनी में अभी भी काम कर रहे हो या तुमने छोड़ दिया ?
Me – मैंने कहा कि मैं अभी भी काम कर रहा हूँ तथा अपने अनुभव के बारे में बताया.

M1 – तो तुम्हें आर्थिक और बैंकिंग में रूचि है , अर्थव्यवस्था.
Me – मैंने कहा, जी सर.

M1 – इतने अनुभव के बाद यह अवसर क्यों?
Me – ‎मैंने पूरी कहानी शुरू से अंत तक उन्हें बता दी मैंने कैसे यह कंपनी ज्वाइन की, मेरे अनुभव, तथा मेरी रुचियों के बारे में बताया
बैंकिंग और वित्त में पीजीडीएम आगे बढ़ाने के लिए अच्छा अवसर है. एमबीए के समकक्ष है. साथ ही सरकारी नौकरी का भी लाभ मिला 

M1 – यदि आपको मौका दिया जाये आपके विभाग को बैंकिंग तथा आर्थिक विभाग से बदलने का. तो आप बदलेंगे?
Me – मैंने हाँ कहा … तो  मेरी बैंकिंग तथा आर्थिक के बारे में जिज्ञासा को लेकर वह सभी मुस्कुराने लगे  

वह काफी आश्वस्त तथा मुस्कुरा रहे थे इसके बाद उन्होंने  M2. M2 से प्रश्न पूछने को कहा पर उन्होंने नहीं पूछा.

F1 – तो, आप बैंगलोर में कार्य कर रहे है, मैंने कहा नहीं , मैं गुडगाँव में कर रहा हूँ.
तो बताइये आपकी कंपनी के अध्यक्ष कौन है और उनके बारे में जो आप जानते हो और हम नहीं जानते हो बताइये?
Me – मैंने उनका नाम बताया और थोडा बहुत बताया.
वह हालही में समाचार में रहे थे.

F1 (सबसे छोटी) – यह तो हम सभी जानते है , कुछ ऐसा बताइये जो हम नहीं जानते हो और आप जानते हो.
Me – माफ़ कीजिये मेम, मैं ज्यादा कुछ नहीं जनता इनके बारे में.
(अब तो उनको पुरे तरीके से विश्वास हो गया कि इसका इस क्षेत्र में कोई रूचि नहीं है जिसमे यह अभी कम कर रहा है , तभी ज्यादा जानकारी नहीं है अपने कंपनी के अध्यक्ष के बारे में..)

F2 – (सबसे वृद्ध) – तुम सीएसआर के बारे में जानते हो? 
Me – (हे भगवान (मैंने सोचा), यह मेरे दिमाग में नहीं रहा .)
मैंने आराम से मुस्कुरा के कहा, माफ़ कीजिये मेम, यह मुझे अभी याद नहीं आ रहा.
परन्तु बाद में जब मैं बाहर आया तो एक उम्मीदवार ने मुझे इसके बारे में बताया और तब मुझे याद आया  – कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी.

F2 – स्टीव जॉब्स कौन है  –
Me – मैंने कहा एप्पल के संस्थापक तथा सीईओ.

F2 – वह कैसे दुसरे सीईओ से अलग है ?
Me – मैंने उत्तर दिया और कहा कि उनकी सोच! जिज्ञासा, काम, वह अपने कार्य का आनंद लेते इस से उन्हें ख़ुशी मिलती है.
वह मुस्कुराने लगी .

But, F2 – वह भारत के साथ कैसे जुड़ सकते है ?
Me – यह मैं अभी नहीं जनता.  मैंने सोचा और फिर कहा , मैं नही जनता ,  मुझे जहाँ तक याद है .

F2 – जन धन योजना तथा इसकी क्या उपयोगिता है ? 
Me – मैंने इसके बारें में सब कुछ बताया. इसके लाभ तथा क्यों यह महत्वपूर्ण है .  मैंने इसके दूरगामी लाभ के बारे में बताया.
वह सभी फिर से मुस्कुराने लगे.

तथा  M3 ने और कुछ नहीं पुछा . वह मुझ पर अलग तरह से मुस्कराय, जो मैंने उनके बारे में देखा.. 

अंत में  मुस्कुराकर भविष्य के लिए शुभकामनाये दी 

मैंने सभी का धन्यवाद किया.
यह एक बेहद अच्छा अनुभव था मैंने काफी कुछ इस से सिखा . सभी का व्यवहार मित्रतापूर्ण था और मैंने आधे दिन में काफी मित्र बनाये जो मेरे पैनल में थे.


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